जलवायु परिवर्तन और केले की कृषि | 06 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में केले के उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत विश्व में केले का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। यह एक महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक फसल है।
  • हाल ही में ब्रिटेन की एक्ज़ेटर यूनिवर्सिटी (University of Exeter) के शोधकर्त्ताओं ने केले के उत्पादन और निर्यात पर वर्तमान के साथ साथ भविष्य में पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन किया।
  • नेचर क्लाइमेट चेंज (Nature Climate Change) पत्रिका के अनुसार विश्व में केले के सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता भारत तथा चौथे सबसे बड़े उत्पादक ब्राज़ील सहित कई देशों में फसल की पैदावार में भारी गिरावट देखने को मिली है।

केले के उत्पादन को फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt) नामक बीमारी प्रभावित कर रही हैं।

  • अध्ययन के अनुसार जहाँ एक ओर कुछ देशों में केले के उत्पादन में कमी आने की संभावना है वहीं दूसरी ओर इक्वाडोर और होंडुरास तथा कई अफ्रीकी देशों में केले के उत्पादन में समग्र वृद्धि देखने को मिल सकती है।
  • अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक मॉडलिंग तकनीकों (Sophisticated Modelling Techniques) का उपयोग करके केले की उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन किया।
  • केला अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इक्वाडोर और कोस्टारिका आदि देशों की अर्थव्यवस्था में केला तथा इससे बने उत्पाद महत्त्वपूर्ण हिस्सा रखते हैं।

भारत में केले का उत्पादन

  • भारत, विश्‍व में केले का सर्वाधिक उत्‍पादन करने वाला देश है। भारत में 0.88 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 29.7 मिलियन टन केले का उत्‍पादन होता है। भारत में केले की उत्‍पादकता 37 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है।
  • यद्यपि भारत में केले की खेती विश्‍व की तुलना में 15.5 प्रतिशत क्षेत्र में की जाती है, परन्‍तु भारत में केले का उत्‍पादन विश्‍व की तुलना में 25.58 प्रतिशत होता है।

उल्‍लेखनीय है कि केले की मांग में लगातार वृद्धि देखी गई है। यही कारण है कि मंत्रालय द्वारा केले की घरेलू मांग वर्ष 2050 तक बढ़कर 60 मिलियन टन होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)