कैलिफोर्निया ने ऑनलाइन प्राइवेसी की रक्षा के लिये स्वीपिंग कानून पारित किया | 02 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

कैलिफ़ोर्निया की विधायिका ने कैलिफोर्निया उपभोक्ता गोपनीयता अधिनियम (California Consumer Privacy Act) को भारी बहुमत से पारित किया है जिससे उपभोक्ताओं को ऑनलाइन व्यक्तिगत जानकारी के फैलाव में अधिक नियंत्रण और अंतर्दृष्टि प्रदान की जा सकती है। यह कानून संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रौद्योगिकी कंपनियों के डेटा-संग्रह प्रक्रियाओं की देख-रेख करने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण नियमों में से एक बन गया है।

क्या कहता है नया कानून?

  • नया कानून उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार देता है कि कौन-सी सूचना कंपनियाँ उनके बारे में जानकारी एकत्र कर रही हैं, वे उस डेटा को क्यों एकत्र कर रही हैं और किसके साथ इसे साझा करने जा रही हैं।
  • यह कानून कंपनियों को उपभोक्ताओं की जानकारी हटाने के साथ-साथ अपना डेटा बेचने या साझा करने का अधिकार नहीं देता है।
  • समान गुणवत्ता वाली सेवा का चयन करने वाले व्यवसायों के बारे में समस्त जानकारी उपभोक्ताओं को देनी होगी। 
  • यह कानून 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के संबंध में डेटा को साझा करने  या उस डेटा को बेचने के कार्य को भी मुश्किल बनाता है।
  • जनवरी 2020 में लागू होने वाला यह कानून उपभोक्ताओं के डेटा उल्लंघन के मामले में कंपनियों पर मुकदमा करना आसान बनाता है।
  • यह राज्य के अटॉर्नी जनरल को उन कंपनियों पर ज़ुर्माना लगाने का अधिकार देता है जो नए नियमों का पालन नहीं करते हैं।
  • कैलिफ़ोर्निया उपभोक्ता गोपनीयता कानून यूरोप के सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन या जीडीपीआर (General Data Protection Regulation-GDPR के रूप में विस्तारित नहीं है। कानूनों का यह नया सेट तकनीकी कंपनियों द्वारा व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने, स्टोर करने और उनके उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • इस कानून को बैलेट पहल पर बारीकी से तैयार किया गया है। इसे तैयार करने के लिये एक रियल एस्टेट डेवलपर, एलिस्टेयर मैक्टागार्ट ने 3 मिलियन डॉलर खर्च किये और इसे प्रमाणित करने के लिये इसके समर्थन में 600,000 से अधिक हस्ताक्षर सुरक्षित किये।
  • इससे कानून को पारित कराने के लिये विधायकों का अनैच्छिक समर्थन प्राप्त करने के लिये दबाव बनाया जा सका।
  • बैलेट पहल ने जहाँ व्यक्तियों की निजी गोपनीयता का पालन न करने के लिये कंपनियों पर मुकदमा करना आसान बना दिया था, वहीँ, इसे संभावित देयता जोखिम के बारे में चिंतित उद्योग समूहों के मुखर विरोध का भी सामना करना पड़ा।
  • इस उपाय में एक प्रावधान शामिल था जिसके तहत कानून बनने के बाद किसी भी बदलाव को मंज़ूरी देने के लिये विधायिका के दोनों सदनों में 70 प्रतिशत बहुमत की आवश्यकता होगी।
  • गूगल, फेसबुक, वेरिज़ॉन, कॉमकास्ट और एटी एंड टी प्रत्येक ने प्रस्तावित बैलेट पहल का विरोध करने वाली समिति को रिश्वत में 200,000 डॉलर  देने की पेशकश की थी और वे इसे पारित होने से रोकने के लिये नवंबर के चुनाव से पहले 100 मिलियन डॉलर खर्च करने को तैयार थे।