चीन-आसियान बैठक | 11 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये:

आसियान

मेन्स के लिये:

आसियान में भारत की भूमिका तथा एशियाई क्षेत्र 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने 10 दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक की मेज़बानी की।

  • बैठक चीन-आसियान वार्ता की 30वीं वर्षगाँठ का प्रतीक है।
  • इस बैठक के माध्यम से चीन इस क्षेत्र के साथ अपने आर्थिक संबंधों को गहरा करने, अमेरिका के साथ-साथ क्वाड (चतुर्भुज फ्रेमवर्क) समूह से क्षेत्रीय जुड़ाव पर नए सिरे से प्रयास करना चाहता है।
    • QUAD इस वर्ष की शुरुआत में एक क्षेत्रीय वैक्सीन पहल के साथ सामने आया था।

प्रमुख बिंदु:

चीन का पक्ष:

  • चीन की सांस्कृतिक कूटनीति:
    • चीन ने दोहराया कि चीन और आसियान को संयुक्त रूप से पश्चिम में एशियाई मूल्यों को आगे बढ़ाना चाहिये। 
      • चीन ने वर्ष 2014 में इस विचार को सामने रखा था कि यह "एशियाई लोगों के एशिया की सुरक्षा को बनाए रखने के लिये" था।
  • कोविड-वैक्सीन:
    • चीन ने आसियान देशों को अपने टीके के साथ-साथ संयुक्त वैक्सीन विकास और उत्पादन पर घनिष्ठ सहयोग की पेशकश की।
  • समुद्री सुरक्षा और विवाद:
    • चीन ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिये चीन-आसियान संबंधों  पर बल देने, विचार करने और दक्षिण चीन सागर में आचार संहिता पर शीघ्र समझौते हेतु प्रयास करने का आह्वान किया।
    • दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बारे में उनकी चिंताओं के बीच चीन ऑफसेट समुद्री विवादों और कुछ आसियान देशों के अमेरिका के साथ घनिष्ठ रक्षा संबंधों हेतु गहरे आर्थिक संबंधों पर निर्भर है।
  •  क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी:
    • चीन ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के शीघ्र कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया, जिस पर नवंबर 2020 में चीन, आसियान देशों, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।
      • चीन के साथ पहले से ही व्यापक व्यापार असंतुलन और सेवाओं की विफलता के बीच भारत ने RCEP से मुख्य रूप से चिंताओं के कारण इसे चीनी सामानों हेतु खोल दिया।

आसियान का चीन के लिये महत्त्व:

  • आसियान चीन के आर्थिक और सामरिक हितों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह क्षेत्र संचार के महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों का विस्तार करता है जो मध्य पूर्वी क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण तेल आयात सहित वैश्विक बाज़ार तक चीन की पहुँच का प्रतिनिधित्व करता है।
  • चीन के साथ आर्थिक रूप से जुड़े हुए इस क्षेत्र के अपेक्षाकृत छोटे राष्ट्र भी चीन को अपने प्रभाव को बढ़ाने हेतु पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं और चीनी रणनीतिकारों को चीन की मुख्य भूमि के चारों ओर घेरने की एक यूएस (अमेरिका की उपस्थिति) शृंखला के रूप में देखते हैं।

आसियान और भारत:

  • परंपरागत रूप से भारत-आसियान संबंधों का आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों के कारण व्यापार एवं व्यक्तियों के बीच संबंध रहा है, अभिसरण का एक और हालिया व ज़रूरी क्षेत्र चीन के उदय को संतुलित कर रहा है।
    • वर्ष 2020 में 17वाँ आसियान-भारत आभासी शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था।
    • 8वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन आर्थिक मंत्रियों की बैठक (EAS-EMM) भी वर्ष 2020 में आयोजित की गई थी। इसमें आसियान के दस सदस्य देशों के साथ-साथ 8 अन्य देश ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूजीलैंड, कोरिया, रूस और अमेरिका शामिल हैं। 
    • भारत और आसियान दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के विपरीत क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम-आधारित सुरक्षा ढाँचा स्थापित करना है।
  • भारत की तरह वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई जैसे कई आसियान सदस्यों का चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है, जो कि चीन के संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • भारत ने वर्ष 2014 में अपने पिछले दृष्टिकोण की तुलना में अधिक रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ न केवल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ बल्कि प्रशांत क्षेत्र में भी जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति को एक्ट ईस्ट में फिर से जीवंत कर दिया।
    • ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का मुख्य फोकस भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने पर है।

दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ:

  • यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों, अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई।
  • इसके सदस्य राज्यों के अंग्रेज़ी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से प्रदान की जाती है।
  • आसियान देशों की कुल आबादी 650 मिलियन है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह लगभग 86.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार के साथ भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

सदस्य:

  • ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम

Asean-Grouping

आगे की राह:

  • जैसा कि डोकलाम गतिरोध में देखा गया है, चीन अक्सर भारत को चुनौती देने के इरादे से अपनी क्षमता प्रदर्शित करता है, यह उचित है कि भारत क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा के लिये मिलकर काम करने में रुचि रखने वाले अधिक समान विचारधारा वाले देशों को ढूॅढता है।
  • इस संदर्भ में आसियान पूरी तरह उपयोगी है। आसियान भारत के अविकसित पूर्वोत्तर क्षेत्र के तेज़ी से विकास को भी प्रेरित कर सकता है यदि लोगों और सामानों की आवाज़ाही को सक्षम करने वाले संबंध जल्दी से स्थापित किये जा सकें।
  • लेकिन ऐसा करने के लिये भारत को कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेज़ी लाने और आसियान देशों के साथ अपने असमान व्यापार संतुलन को दूर करने पर ध्यान देना चाहिये।

स्रोत-द हिंदू