फिल्म व टेलीविज़न उद्योग में श्रम नियमों का उल्लंघन | 19 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने फिल्म और टेलीविज़न उद्योग में हो रहे बाल श्रम नियमों के उल्लंघन पर चिंता ज़ाहिर की है।

मुख्य बिंदु:

  • हाल ही में श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक पत्र लिखा, जिसमें बाल तथा किशोर श्रम (रोकथाम और नियमन) कानून, 1986 के उल्लंघन की बात कही गई।
  • मंत्रालय द्वारा यह मांग की गई थी कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस उद्योग में बाल श्रम नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
  • श्रम मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, जल्द ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस संदर्भ में सभी निर्माताओं एवं प्रसारकों को एक सूचना जारी करेगा।
  • बाल एवं किशोर श्रम (रोकथाम और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2017 के अनुसार, बाल कलाकारों से एक दिन में 5 घंटे से अधिक कार्य नहीं कराया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सभी बाल कलाकारों से बिना ब्रेक लिये लगातार 3 घंटे से अधिक कार्य नहीं करवाया जा सकता है।
  • इस संदर्भ में अन्य प्रावधान:
    • नियम के अनुसार, किसी भी बाल कलाकार से कार्य कराने के लिये ज़िलाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) की अनुमति आवश्यक है।
    • बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक व्यक्ति (अधिकतम पाँच बच्चों पर) की तैनाती भी आवश्यक है।
    • कोई भी बाल कलाकार कार्य करने के लिये 27 दिनों से अधिक स्कूल से छुट्टी नहीं ले सकता है।
    • इसके अतिरिक्त नियमानुसार, सभी बच्चों की कुल आय का 20 प्रतिशत हिस्सा सावधि जमा के रूप में रखा जाना आवश्यक है।
  • यदि कोई भी बच्चा फिल्म में शामिल होता है तो फिल्म निर्माताओं के लिये यह सूचना प्रसारित करना आवश्यक है कि ‘फिल्म में यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया गया है कि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार तथा शोषण न हो’।

निष्कर्ष:

फिल्म और टेलीविज़न उद्योग में हो रहा नियमों का उल्लंघन प्रशासन के समक्ष काफी चिंताजनक विषय है और इस पर ध्यान दिया जाना भी आवश्यक है। हमें न केवल इस संदर्भ में नए और सख्त नियमों का निर्माण करना होगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पूर्व में निर्मित नियमों का सख़्ती से पालन हो।

स्रोत: द हिंदू