भूकंपीय ध्वनि में परिवर्तन | 17 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये

भूकंपीय ध्वनि

मेन्स के लिये

भूकंपीय ध्वनि में परिवर्तन का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे (British Geological Survey-BGS) के वैज्ञानिकों ने कोरोनवायरस (COVID-19) लॉकडाउन के बीच पृथ्वी की भूकंपीय ध्वनि (Earth’s Seismic Noise) और कंपन (Vibrations) में परिवर्तन की सूचना दी है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि इससे पूर्व बेल्जियम के रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी (Royal Observatory) के भूकंपीय विशेषज्ञों ने भूकंपीय शोर के स्तर में 30-50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की थी।
  • ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, अब दुनिया भर के भूकंपीय विशेषज्ञों ने भूकंपीय ध्वनि और कंपन के स्तर में गिरावट संबंधी अध्ययन शुरू कर दिया है।

भूकंपीय ध्वनि (Seismic Noise) 

  • भू-विज्ञान (Geology) में भूकंपीय ध्वनि को भीड़ के कारण उत्पन्न हुए सतह के अपेक्षाकृत लगातार कंपन को संदर्भित करता है।
  • भूकंपीय ध्वनि (Seismic Noise) भूकंपीय यंत्र द्वारा दर्ज किये गए संकेतों का अवांछित घटक (Unwanted Component) होती है। उल्लेखनीय है कि भूकंपीय यंत्र वह वैज्ञानिक उपकरण है जो ज़मीनी गति जैसे- भूकंप, ज्वालामुखी प्रस्फुटन और विस्फोट आदि को रिकॉर्ड करता है।
  • भूकंपीय ध्वनि में मानव गतिविधियों जैसे परिवहन और विनिर्माण के कारण उत्पन्न होने वाला कंपन शामिल होता है,, और यह ध्वनि वैज्ञानिकों के लिये मूल्यवान भूकंपीय डेटा के अध्ययन को अपेक्षाकृत मुश्किल बनाती है।
  • भू-विज्ञान के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों जैसे कि तेल अन्वेषण, जलविज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग में भी भूकंपीय ध्वनि का अध्ययन किया जाता है।

भूकंपीय ध्वनि में कमी के कारण?

  • बेल्जियम के रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी (Royal Observatory) द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, कोरोनोवायरस (COVID-19) महामारी से निपटने के लिये दुनिया भर में लॉकडाउन के उपायों को लागू किये जाने के कारण पृथ्वी की भूकंपीय ध्वनि में कमी आई है।
  • रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी के अनुसार, भूकंप मापी यंत्रों का प्रयोग कर भूकंप से होने वाले सतह के कंपन को मापा जाता है। यह यंत्र अपेक्षाकृत काफी संवेदनशील होते हैं, जिसके कारण यह कंपन के अन्य स्रोतों मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली ध्वनियों जैसे- सड़क यातायात, मशीनरी और यहाँ तक ​​कि लोगों के चलने की ध्वनि को भी मापता है। 
    • ये सभी गतिविधियाँ कंपन उत्पन्न करती हैं जो पृथ्वी के माध्यम से भूकंपीय तरंगों के रूप में फैलती हैं।
  • रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी के वैज्ञानिकों ने UK स्थित भूकंपीय स्टेशनों पर लॉकडाउन की शुरुआत से दो सप्ताह की अवधि में दिन के औसत ध्वनि स्तर की तुलना वर्ष की शुरुआत के औसत ध्वनि स्तर से की, जिससे यह ज्ञात हुआ कि लगभग सभी भूकंपीय स्टेशनों पर उक्त अवधि के दौरान भूकंपीय ध्वनि में औसतन 10-15 प्रतिशत की कमी आई है।

भूकंपीय ध्वनि में कमी का महत्त्व

  • मानव गतिविधि के कारण उत्पन्न होने वाली भूकंपीय ध्वनि उच्च आवृत्ति (1-100 हर्ट्ज़ के मध्य) की होती हैं और यह पृथ्वी की सतही परतों के माध्यम से यात्रा करती हैं।
  • आमतौर पर, भूकंपीय गतिविधि को सही ढंग से मापने और भूकंपीय ध्वनि के प्रभाव को कम करने के लिए, भू-वैज्ञानिक अपने यंत्रों को पृथ्वी की सतह से 100 मीटर नीचे रखते हैं।
  • हालाँकि लॉकडाउन के पश्चात् से भूकंपीय ध्वनि में कमी आई है और वैज्ञानिक पृथ्वी की सतह पर से भी भूकंपीय गतिविधियों को मापने में सक्षम हैं।
  • कम भूकंपीय ध्वनि के कारण कम शोर के स्तर के कारण वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि वे अब अपने उपकरणों के माध्यम से उन छोटे भूकंपों का भी पता लगा सकेंगे जिनके बारे में अब तक मौजूदा उपकरणों के माध्यम से जानना संभव नहीं था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस