क्षतिपूर्ति मुआवज़े का नया विकल्प | 16 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये

राजकोषीय घाटा, एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक, वस्तु एवं सेवा कर

मेन्स के लिये

क्षतिपूर्ति मुआवज़े के भुगतान के लिये ऋण की आवश्यकता, भुगतान का नया विकल्प और उसका कार्यान्वयन

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्रालय की हालिया घोषणा के अनुसार, केंद्र सरकार राज्यों के GST क्षतिपूर्ति मुआवज़े का भुगतान करने के लिये स्वयं बाज़ार से 1.1 लाख करोड़ रुपए का उधार लेगी, जिसे मुआवज़े के तौर पर राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के लिये लिया जा रहा यह ऋण भारत सरकार के राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि इसे राज्य सरकारों की पूंजीगत प्राप्तियों (Capital Receipts) के रूप में दर्शाया जाएगा।
  • कार्यान्वयन
    • राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाला यह ऋण अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय संस्थानों जैसे- विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (ADB) आदि से मिलने वाले ऋण की तरह ही वितरित किया जाएगा, जहाँ केंद्र सरकार पहले उधार लेती है फिर राज्यों के बीच उसे वितरित कर देती है।
    • इस तरह राज्यों द्वारा छोटे-छोटे ऋण लेने के बजाय केंद्र सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में ऋण लिया जाएगा, जिससे राज्यों के लिये ऋण संबंधी प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी।
    • यहाँ सबसे मुख्य तथ्य यह है कि केंद्र सरकार द्वारा जिस ब्याज दर पर ऋण लिया जाएगा, वही ब्याज दर राज्यों को भी हस्तांतरित कर दी जाएगी।
  • निहितार्थ
    • केंद्र सरकार के इस निर्णय से GST क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच चल रहे गतिरोध को समाप्त किया जा सकेगा।
    • ध्यातव्य है कि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य लगातार GST क्षतिपूर्ति के मुआवज़े के भुगतान के लिये राज्य सरकार द्वारा ऋण लिये जाने की मांग कर रहे थे, जबकि कुल 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार द्वारा दिये गए विकल्पों पर अपनी सहमति व्यक्त कर दी है।
    • यह उन राज्यों को विशेष तौर पर राहत प्रदान करेगा, जो उच्च राजकोषीय घाटे का सामना कर रहे हैं, और यदि वे बाज़ार से उधार लेते हैं तो अधिक ब्याज दर का भुगतान करना पड़ सकता है।
  • मुआवज़े के लिये ऋण की आवश्यकता क्यों?
    • वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक इस वर्ष महामारी समेत अन्य कारणों के परिणामस्वरूप GST राजस्व में कुल 3 लाख करोड़ रुपए की कमी आ सकती है, जबकि इस वर्ष क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह का अनुमान केवल 65,000 करोड़ रुपए है, इसका अर्थ है कि राज्यों को मुआवज़े का भुगतान करने के लिये केंद्र सरकार के पास कुल 2.35 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित कमी हो सकती है।
    • वित्त मंत्रालय की गणना के अनुसार, GST मुआवज़े में GST कार्यान्वयन के कारण मात्र 97,000 करोड़ रुपए की कमी हुई है, जबकि शेष कमी COVID-19 के प्रभाव के कारण हुई है। हालाँकि केंद्र सरकार ने बाद में इसे 1.1 लाख करोड़ रुपए कर दिया था। 

पृष्ठभूमि

  • अगस्त माह में जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को अनुमानित मुआवज़े की कमी के विवादास्पद मुद्दे को हल करने के लिये दो विकल्प प्रस्तुत किये।
  • पहला विकल्प
    • वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को दिये गए पहले विकल्प के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के परामर्श से राज्यों को उचित ब्याज़ दर पर अनुमानित GST कमी, जो कि लगभग 97,000 करोड़ रुपए (बाद में 1.1 लाख करोड़ रुपए) थी, को ऋण के रूप में लेने के लिये एक विशेष विंडो प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था।
    • राज्य सरकारों द्वारा यह धनराशि उपकर संग्रह के माध्यम से जीएसटी कार्यान्वयन के 5 वर्ष बाद (यानी वर्ष 2022 के बाद) चुकाई जा सकती थी।
  • दूसरा विकल्प
    • राज्य को प्रस्तुत किये गए दूसरे विकल्प के अंतर्गत राज्य सरकारें मौजूदा वित्तीय वर्ष में GST राजस्व में आई संपूर्ण कमी को उधार के रूप में ले सकती थीं, जो कि तकरीबन 2.35 लाख करोड़ रुपए है।
    • यहाँ यह समझाना महत्त्वपूर्ण है कि पहले विकल्प में केवल GST कार्यान्वयन के कारण आई राजस्व की कमी को शामिल किया गया था, जबकि दूसरे विकल्प में कार्यान्वयन के साथ-साथ महामारी के कारण आई राजस्व में कमी को शामिल किया गया था।

GST राजस्व में कमी

  • ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था, नियमों के अनुसार, वर्ष 2022 तक यानी GST कार्यान्वयन के पाँच वर्षों तक GST राजस्व में कमी होने के कारण राज्यों को क्षतिपूर्ति की गारंटी दी गई थी।
  • हालाँकि GST की शुरुआत के बाद से ही GST मुआवज़े के भुगतान का मुद्दा केंद्र और राज्य के बीच गतिरोध का विषय रहा है।
  • हालाँकि आँकड़े बताते हैं कि इस वर्ष अगस्त माह में बीते वर्ष इसी अवधि की अपेक्षा GST राजस्व संग्रह में 11.96 प्रतिशत की कमी आई है।
    • आँकड़ों के अनुसार, अगस्त, 2020 में GST राजस्व संग्रह 86,449 करोड़ रुपए के आस-पास रहा है, जबकि अगस्त 2019 में यह लगभग 98,202 करोड़ रुपए था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस