केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो | 25 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (DSPE) अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति

मेन्स के लिये:

CBI और सिफारिशों से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी संसदीय समिति ने कई राज्यों द्वारा CBI जाँच हेतु सामान्य सहमति वापस लिये जाने के मद्देनज़र कहा है कि CBI को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून की 'कई सीमाएँ' हैं और इसकी स्थिति, कार्यों एवं शक्तियों को परिभाषित करने के लिये इसे एक नए कानून के साथ बदलने की आवश्यकता है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI):

  • परिचय:
  • कार्य:
    • भारतीय अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निगमों और भारत सरकार के स्वामित्त्व या नियंत्रण वाले निकायों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी तथा दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच करना।
    • राजकोषीय और आर्थिक कानूनों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच करना, अर्थात् निर्यात एवं आयात नियंत्रण, सीमा शुल्क तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयकर विदेशी मुद्रा नियमों से संबंधित कानूनों का उल्लंघन।
  • मुद्दे:
    • CBI बनाम राज्य पुलिस:
      • किसी विशेष राज्य में CBI जाँच राज्य सरकार द्वारा अनुमोदन के अधीन है।
      • एक राज्य में सत्तारूढ़ दल कभी-कभी वास्तविक रूप से और कई बार कमज़ोर आधार पर CBI को मामलों की जाँच करने की अनुमति देने से इनकार कर देता है, जिससे जाँच की सीमा सीमित हो जाती है।
    • ओवरलैपिंग/दोहराव:
      • राज्य पुलिस बलों के साथ विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (CBI का एक प्रभाग) को उन अपराधों के लिये जाँच और अभियोजन की समवर्ती शक्तियाँ प्राप्त हैं जो कभी-कभी मामलों के दोहराव एवं ओवरलैपिंग का कारण बनते हैं।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप:
    • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने CBI के कामकाज़ में अत्यधिक राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना की है तथा इसे "अपने मालिक की आवाज़ में बोलने वाला पिंजरे में बंद तोता" कहा है।

संसदीय समिति के निष्कर्ष और सिफारिशें:

  • निष्कर्ष:
    • सामान्य सहमति की वापसी:
      • 9 राज्यों ने CBI द्वारा किसी भी जाँच के लिये आवश्यक सामान्य सहमति को वापस ले लिया है, जिससे CBI को नियंत्रित करने वाला मौजूदा कानून अप्रभावी हो गया है।
    • रिक्त पद:
      • CBI में रिक्तियों को आवश्यक गति से नहीं भरा जा रहा है, जिससे जाँच की गुणवत्ता में बाधा आ रही है जिससे अंततः एजेंसी की प्रभावशीलता एवं दक्षता प्रभावित हो रही है।
      • CBI में स्वीकृत 7,295 पदों के मुकाबले कुल 1,709 पद खाली हैं।
        • उच्च पदों, कानूनी अधिकारियों एवं तकनीकी अधिकारियों के संवर्गों में ये रिक्तियाँ निर्विवाद रूप से मामलों की लंबितता को बढ़ाएगी, जाँच की गुणवत्ता को बाधित करेगी जो अंततः एजेंसी की प्रभावशीलता एवं दक्षता को प्रभावित करेगी।
  • अनुशंसा:
    • CBI की स्थिति को पुनः परिभाषित करना:
      • समिति CBI की स्थिति, कार्यों और शक्तियों को परिभाषित करने तथा इसके कामकाज़ में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये सुरक्षा उपाय निर्धारित करने हेतु एक नया कानून बनाने की सिफारिश करती है।
    • रिक्तियों को तिमाही आधार पर भरना:
      • समिति CBI निदेशक से सिफारिश करती है कि वह तिमाही आधार पर रिक्तियों को भरने में हुई प्रगति की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक उपाय करें कि संगठन में पर्याप्त स्टाफ है।
    • प्रतिनियुक्ति पर निर्भरता को कम करना:
      • CBI को प्रतिनियुक्ति पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिये एवं पुलिस निरीक्षक तथा पुलिस उपाधीक्षक के पद पर स्थायी कर्मचारियों की भर्ती करने का प्रयास करना चाहिये।
    • वाद प्रबंधन प्रणाली: CBI को एक वाद प्रबंधन प्रणाली (Case Management System) निर्मित करनी चाहिये जो एक केंद्रीकृत डेटाबेस होगा, जिसमें इसके पास दर्ज शिकायतों एवं उनके निपटारे में हुई प्रगति का विवरण होगा।
      • पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये मामलों के आँकड़े तथा वार्षिक रिपोर्ट भी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिये।
      • CBI के पास दर्ज मामलों का विवरण, उनकी जाँच में हुई प्रगति और अंतिम परिणाम सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. एक राज्य-विशेष के अंदर प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर करने और जाँच करने के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के अधिकार क्षेत्र पर कई राज्यों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। हालाँकि सी.बी.आई. जाँच के लिये राज्यों द्वारा दी गई सहमति रोके रखने की शक्ति आत्यंतिक नहीं है। भारत के संघीय ढाँचे के विशेष संदर्भ में व्याख्या कीजिये। (2021)

स्रोत: द हिंदू