केंद्र ने लगाया ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध | 01 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लाइफोसेट, शाकनाशी, कीटनाशक अधिनियम 1968

मेन्स के लिये:

शाकनाशी व कीटनाशकों के उपयोग से संबंधित पर्यावरण और स्वास्थ्य समस्याएँ।

चर्चा में क्यों?

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले शाकनाशी ग्लाइफोसेट के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।

  • नई अधिसूचना में कहा गया है कि कंपनियों को इसके निर्माण या बिक्री के लिये प्राप्त होने वाले रसायन के पंजीकरण के सभी प्रमाण पत्र अब पंजीकरण समिति को वापस करने होंगे।
  • ऐसा न करने पर कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी।

ग्लाइफोसेट:

  • परिचय:
    • ग्लाइफोसेट एक खरपतवारनाशी है तथा इसका IUPAC नाम N-(phosphonomethyl) Glycine है। इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1970 में शुरू किया गया था। फसलों तथा बागानों में उगने वाले अवांछित घास-फूस को नष्ट करने के लिये इसका व्यापक पैमाने पर उपयोग होता है।
  • अनुप्रयोग:
    • खरपतवारों को समाप्त करने के लिये इसका प्रयोग पौधों की पत्तियों पर किया जाता है।
  • भारत में उपयोग:
    • पिछले दो दशकों में चाय बागान मालिकों द्वारा ग्लाइफोसेट को अत्यधिक स्वीकार किया गया था। पश्चिम बंगाल और असम के चाय उत्पादन क्षेत्र में इसका बाज़ार आकार काफी अधिक है।
    • वर्तमान में इसकी खपत महाराष्ट्र में सबसे अधिक है क्योंकि यह गन्ना, मक्का और कई फलों की फसलों में एक प्रमुख शाकनाशी के रुप में प्रयोग होता है।

संबंधित  चिंताएँ:

  • स्वास्थ्य प्रभाव:
    • ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव कैंसर, प्रजनन और विकासात्मक विषाक्तता से लेकर न्यूरोटॉक्सिसिटी एवं इम्यूनोटॉक्सिसिटी से संबंधित होते हैं।  
      • इसके लक्षणों में सूजन, त्वचा में जलन, मुँह और नाक में परेशानी, स्वाद में कमी होना और धुँधली दृष्टि होना शामिल हैं।  
    • कुल 35 देशों ने ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है या इसे निषेध कर दिया है।
      • इनमें श्रीलंका, नीदरलैंड, फ्राँस, कोलंबिया, कनाडा, इज़रायल और अर्जेंटीना शामिल हैं।
  • अवैध उपयोग:
    • भारत में ग्लाइफोसेट को केवल चाय के बागानों और चाय की फसल के साथ गैर-रोपण क्षेत्रों में उपयोग के लिये अनुमोदित किया गया है। इसके अतिरिक्त पदार्थ का उपयोग अवैध है।
    • हालाँकि देश में ग्लाइफोसेट के उपयोग की स्थिति पर पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क (PAN) इंडिया द्वारा वर्ष 2020 के एक अध्ययन में चिंताजनक निष्कर्ष दिये थे, ग्लाइफोसेट का उपयोग 20 से अधिक फसल क्षेत्रों में किया जा रहा था।
    • खरपतवारनाशी का उपयोग करने वालों में से अधिकांश ऐसा करने के लिये प्रशिक्षित नहीं थे और उनके पास उचित सुरक्षा सावधानियाँ नहीं थीं।
  • खेतों की कृषि पारिस्थितिक प्रकृति को खतरा:
    • गैर-निर्दिष्ट क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट के बड़े पैमाने पर उपयोग के गंभीर परिणाम हैं।
    • भारत में ग्लाइफोसेट के निरंतर उपयोग की अनुमति देने से शाकनाशी सहिष्णु फसलों में इसका व्यापक उपयोग होगा।
    • यह लोगों जानवरों और पर्यावरण पर विषाक्त प्रभाव फैलाने के अलावा भारतीय खेतों की कृषि संबंधी प्रकृति को खतरे में डालेगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में कार्बोफ्यूरन, मिथाइल पैराथियोन, फोरेट और ट्रायज़ोफोस के उपयोग को आशंका के साथ देखा जाता है। इनका उपयोग किया जाता है: (2019)

(a) कृषि में कीटनाशक
(b) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में परिरक्षक
(c) फल पकाने वाले कारक
(d) सौंदर्य प्रसाधनों में मॉइस्चराइजिंग कारक

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये कृषि विभाग, केरल ने वर्ष 2011 से लगभग 17 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
  • प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची:
    • कीटनाशक: कार्बोफ्यूरन, मिथाइल डेमेटन, मिथाइल पैराथियन, मोनोक्रोटोफॉस, फोरेट, मिथाइलमोल, प्रोफेनोफोस, ट्रायजोफोस, एंडोसल्फान
    • कवकनाशक: एमईएमसी, एडिफेनफोस, ट्राईसाइक्लाज़ोल, ऑक्सीथियोक्विनॉक्स
    • खरपतवारनाशक: अनिलोफोस, पैराक्वाट, थियोबेनकार्ब, एट्राजीन

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ