FMCG कंपनियों की क्षमताओं का आधे से भी कम उपयोग | 13 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये 

FMCGs, सरकार द्वारा की गई पहलें

मेन्स के लिये 

FMCG कंपनियों के प्रभावित होने के कारण

चर्चा में क्यों?

COVID-19 के प्रसार के कारण देश में लॉकडाउन की स्थिति और ‘कंटेनमेंट जोन्स’ के निर्माण के कारण तीव्र बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं ( Fast Moving Consumer Goods-FMCGs) का निर्माण करने वाली कंपनियों के अधिकांश संयत्रों में विनिर्माण गतिविधियों में कमी है

तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएँ (FMCGs)

  • FMCGs से अभिप्राय उन उत्पादों से है, जिन्हें अपेक्षाकृत कम कीमत पर किंतु तीव्रता के साथ बेचा जाता है। 
  • हालाँकि FMCGs की बिक्री पर परिशुद्ध लाभ अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन आम तौर पर इन वस्तुओं को बड़ी मात्रा में बेचे जाने के फलस्वरूप इन उत्पादों पर संचयी लाभ काफी अधिक होता है।
  • इन वस्तुओं के सामान्य उदाहरणों में दैनिक उपयोग में आने वाली उपभोक्ता वस्तुएँ है, जैसे- साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, टूथपेस्ट, शेविंग का सामान और डिटर्जेंट तथा गैर-टिकाऊ वस्तुएँ, जैसे- काँच का सामान, बल्ब, बैटरी, कागज के उत्पाद और प्लास्टिक आदि।

FMCG कंपनियों के प्रभावित होने के कारण:

  • कच्चा माल, वस्तुओं और श्रम की आवाजाही प्रतिबंधित होने से, आवश्यक उत्पाद बनाने के बावजूद, FMCGs की बिक्री प्रभावित हुई है।
  • FMCG कंपनियाँ पहले से ही सामान्य मंदी से उबरने की कोशिश कर रही थीं। इसलिये केवल 20 % से 40% क्षमता उपयोग ही कर पाना चिंता का विषय है। 
  • वर्तमान संकट से निपटने और बाज़ार में तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये खाद्य और स्वच्छता वस्तुओं के उत्पादन पर ही अधिक बल दिया जा रहा है।
  • परिवहन सुविधाओं के बंद होने की वजह से FMCGs की आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है। 
  • लॉकडाउन के कारण FMCGs कंपनियों में श्रमिकों की उपस्थिति संख्या 25% तक ही  रह गई है। 

पूर्व में सरकार द्वारा की गई पहलें

  • भारत सरकार द्वारा सिंगल-ब्रांड रिटेल में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और मल्टी-ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत FDI को मंज़ूरी री दी गई है।
  • भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के लिये सरल, त्वरित, सुलभ, सस्ती और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिये  एक व्यापक तंत्र स्थापित करने पर विशेष बल देने के साथ एक नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक का मसौदा तैयार किया है।
  • वस्तु एवं सेवा कर (Goods &Service tax-GST) FMCGs उद्योग के लिये लाभकारी है। उदाहरण स्वरूप बुनियादी खाद्य उत्पाद जैसे दूध, चावल, गेहूं और ताजी सब्ज़ियाँ  0% दर के अंतर्गत रखे गए हैं।
  •  GST से FMCG क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स को एक आधुनिक और कुशल मॉडल में परिवर्तित करने की उम्मीद है।

आगे की राह:

  • आवश्यक वस्तुओं के खुदरा विक्रेताओं और विनिर्माताओं ने विभिन्न सरकारी विभागों से सिफारिशें की हैं कि आवश्यक वस्तुओं का विनिर्माण और बिक्री सुचारु रूप से जारी रहे जिससे लॉकडाउन में बंद परिवारों को आपूर्ति में कोई कमी ना आए।
  • लोकडाउन की समाप्ति के पश्चात खुदरा और विनिर्माण कंपनियाँ चरणबद्ध तरीके से क्षमता उपयोग पर काम कर सकती है।

स्रोत: बिजनेस स्टैण्डर्ड