कैंसर देखभाल सुविधाएँ | 13 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड

मेन्स के लिये:

संसदीय स्थायी समिति द्वारा जारी कैंसर देखभाल सुविधाओं से संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने भारत में कैंसर देखभाल सुविधाओं से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • इस समिति द्वारा भारत में बढती कैंसर की समस्या से निपटने के लिये टाटा मेमोरियल सेंटर के माध्यम से परमाणु उर्जा विभाग की विस्तृत भूमिका की जाँच की गई है।

रिपोर्ट से संबंधित अन्य तथ्य:

  • इस समिति के अनुसार, भारत में कैंसर देखभाल संबंधी बुनियादी ढाँचे की कमी है और इस कारण अधिकांश रोगियों को उपचार के लिये हज़ारों किलोमीटर दूर जाने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
  • भारत में कैंसर उपचार से संबंधित व्यवस्था की विफलता के कारण उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देशों की अपेक्षा देश में कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या 20% अधिक है।
  • भारत में प्रतिवर्ष कैंसर के लगभग 16 लाख नये मामले सामने आते हैं तथा इसके कारण प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख मौतें होती हैं, जिनमें महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के 1,40,000 मामले, सर्वाइकल कैंसर के 1,00,000 मामले तथा मुख से संबंधित कैंसर के 45,000 मामले सामने आए हैं। वहीं पुरुषों में प्रथम तीन प्रकार के कैंसर के मामलों में मुख संबंधी 1,38,000 मामले, ग्रसनी संबंधी 90,000 मामले और पेट की आँत संबंधी लगभग 2,00,000 कैंसर के मामले सामने आए हैं।
  • ‘द इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (The International Agency for Research on Cancer) के अनुमान के अनुसार, भारत में वर्ष 2018 के कैंसर के 13 लाख मामलों की तुलना में वर्ष 2035 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 17 लाख हो जाएगी तथा कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या वर्ष 2018 के 8.8 लाख से बढ़कर वर्ष 2035 तक लगभग 13 लाख हो जाएगी।
  • इस समिति के अनुसार, भारत के सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं, इन राज्यों में कहीं-कहीं कैंसर मामलों का औसत राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है।
  • भारत का राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड, कैंसर के उपचार के लिये एक प्रमुख प्रणाली है, इस प्रणाली में 183 कैंसर उपचार केंद्रों, अनुसंधान संस्थानों, रोगी परामर्श समूहों तथा चैरिटेबल संस्थाओं के माध्यम से 7 लाख से अधिक कैंसर पीड़ितों का उपचार किया जाता है।

‘हब एंड स्पोक’

(Hub and Spoke):

  • प्रत्येक प्रकार के कैंसर पीड़ित के लिये उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु संसद की स्थायी समिति ने ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ का विचार दिया।
  • यह मॉडल पंजाब में पहले से ही क्रियान्वित है, इसके अंतर्गत ऐसे केंद्रों का नेटवर्क तैयार किया जाता है, जो कैंसर के जटिल रूपों का इलाज करने में सक्षम हैं। ऐसे केंद्रों को ‘हब’ कहा जाता है तथा इन्हीं केंद्रों से कुछ ऐसे केंद्रों को जोड़ दिया जाता है जो कैंसर के कम जटिल रूपों का उपचार करने में सक्षम होते हैं, ऐसे केंद्रों को ‘स्पोक’ कहा जाता है। इससे पीड़ितों को उपचार केंद्र तक पहुँचने में कम समय लगता है तथा उपचार सुविधाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित होती है।
  • इस मॉडल के अंतर्गत एक हब लगभग 4 करोड़ कैंसर पीड़ितों को तथा एक स्पोक लगभग 50 लाख से 1 करोड़ कैंसर पीड़ितों को वार्षिक रूप से कवर करेगा।
  • भारत में कैंसर के उपचार के बीच के अंतर को समाप्त करने के लिये लगभग 30 हब और 130 स्पोक बनाने की आवश्यकता होगी।
  • भारत के दो-तिहाई कैंसर पीड़ितों का उपचार निजी अस्पतालों में किया जाता है, वहीं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले पीड़ितों को कैंसर के उपचार में अत्यधिक व्यय का सामना करना पड़ता है।

स्रोत- द हिंदू