CAG द्वारा FRBM अधिनियम की समीक्षा | 22 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम, 2003 की अपनी 2023-24 की वार्षिक समीक्षा प्रस्तुत की।
- समीक्षा से पता चलता है कि भारत दीर्घकालिक व्यापक आर्थिक स्थिरता की ओर लगातार अग्रसर है।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिये FRBM अधिनियम की CAG समीक्षा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- केंद्रीय सरकारी ऋण: मार्च 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 57% तक घट गया, जो वर्ष 2020-21 वित्त वर्ष में 61.38% था।
- सामान्य सरकारी ऋण (GGD): मार्च 2022 में GDP के 83% से घटकर मार्च 2023 में 81.3% हो गया, जो अभी भी 60% के लक्ष्य से काफी ऊपर है।
- ऋण स्थिरता विश्लेषण (DSA): DSA सरकार की ऋण चुकाने की क्षमता का आकलन करता है, जिसमें ऋण-से-GDP अनुपात प्रमुख मापदंड होता है।
- एक स्थायी राजकोषीय नीति वह होती है जिसमें ऋण-से-GDP अनुपात दीर्घकाल में स्थिर या कम हुआ हो।
- केंद्र का ऋण-से-GDP अनुपात वित्त वर्ष 2020-21 में 61.38% के शिखर पर था, जो वर्ष वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 57% हो गया।
- अप्राप्त कर: वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक 31.11 लाख करोड़ रुपये कर अप्राप्त रहे, जो 2022-23 की तुलना में 9.81 लाख करोड़ रुपये अधिक है।
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम, 2003 क्या है?
- परिचय: FRBM अधिनियम, 2003 को राजकोषीय घाटों को कम करने तथा दीर्घकालिक समष्टि आर्थिक स्थिरता और अंतर-पीढ़ीगत समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
- इसके बाद इसमें क्रमशः वर्ष 2004, 2012, 2015 और 2018 में संशोधन किये गए, ताकि घाटे के लक्ष्यों में संशोधन किया जा सके, नए ऋण-न्यूनकरण लक्ष्य निर्धारित किये जा सकें तथा संकट या आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान राजकोषीय प्रबंधन में लचीलापन प्रदान किया जा सके।
- प्रमुख प्रावधान:
- राजकोषीय उत्तरदायित्व: अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि वित्त मंत्री राजकोषीय प्रवृत्तियों की समीक्षा करें और संसद के दोनों सदनों के समक्ष अर्द्धवार्षिक समीक्षा प्रस्तुत करें।
- मध्यमावधि राजकोषीय नीति (MTFP): अधिनियम के अनुसार मध्यमावधि राजकोषीय नीति विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है, जिसमें तीन वर्षों के लिये प्रमुख राजकोषीय सूचकों, जैसे राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा तथा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार का ऋण के रोलिंग लक्ष्य (rolling targets) निर्दिष्ट किये जाते हैं।
- क्रियान्वयन: CAG FRBM लक्ष्यों के साथ सरकार के अनुपालन का आकलन करने के लिए वार्षिक समीक्षा करता है।
- FRBM लक्ष्य: वर्ष 2018 के संशोधन ने यह लक्ष्य निर्धारित किया कि सामान्य सरकारी ऋण (केंद्र + राज्य, अंतर-सरकारी देयतायों को छोड़कर) को GDP के 60% तक और केंद्रीय सरकारी ऋण को 40% तक वित्तीय वर्ष 2024-25 तक कम किया जाए।
- मार्च 2021 तक राजकोषीय घाटा (FD) का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 3% है (महामारी के कारण लक्ष्य स्थगित)। सरकार अब 2025-26 तक FD को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% से नीचे रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
- जून 2025 में भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिये सकल घरेलू उत्पाद के 4.8% के अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।
- सरकार किसी भी वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के आधे प्रतिशत से अधिक भारत की समेकित निधि की सुरक्षा पर अतिरिक्त ऋण गारंटी प्रदान नहीं करेगी।
- मार्च 2021 तक राजकोषीय घाटा (FD) का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 3% है (महामारी के कारण लक्ष्य स्थगित)। सरकार अब 2025-26 तक FD को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% से नीचे रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
और पढ़ें: भारत का राजकोषीय समेकन, सरकार की दीर्घकालिक राजकोषीय रणनीति |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनाें पर विचार कीजिये: (2018)
- राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफ.आर.बी.एम.) समीक्षा समिति के प्रतिवेदन में सिफारिश की गई है कि वर्ष 2023 तक केन्द्र एवं राज्य सरकारों को मिलाकर ऋण-जी.डी.पी. अनुपात 60% रखा जाए जिसमें केंद्र सरकार के लिए यह 40% तथा राज्य सरकारों के लिए 20% हो।
- राज्य सरकाराें के जी.डी.पी. के 49% की तुलना में केन्द्र सरकार के लिए जी.डी.पी. का 21% घरेलू देयतायें हैं।
- भारत के संविधान के अनुसार यदि किसी राज्य के पास केंद्र सरकार की बकाया देयतायें हैं तो उसे कोई भी ऋण लेने से पहले केंद्र सरकार से सहमति लेना अनिवार्य है।
उपर्युत्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
प्रश्न. किसी देश का राजकोषीय घाटा ₹ 50,000 करोड़ है। इसे गैर-ऋण सर्जक पूँजीगत प्राप्तियों के माध्यम से ₹ 10,000 करोड़ प्राप्त हो रहे हैं। उस देश की ब्याज देयताएँ ₹ 1,500 करोड़ हैं। उसका सकल प्राथमिक घाटा कितना है? (2025)
(a) ₹ 48,500 करोड़
(b) ₹ 51,500 करोड़
(c) ₹ 58,500 करोड़
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (a)