अप्रैल 2019 से NCR में BS-VI ईंधन की उपलब्धता | 02 May 2018

चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को एक हलफनामे के माध्यम से ज़वाब दिया है कि BS-VI ऑटो ईंधन 1 अप्रैल, 2019 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के सभी हिस्सों में उपलब्ध होगा। 

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि 1 अप्रैल, 2019 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 23 ज़िलों में से 17 में BS-VI ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इसके साथ ही 1 अप्रैल, 2019 को या उससे पहले उत्तर प्रदेश के आगरा में भी भी ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • ध्यातव्य  है कि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से यह विचार करने के लिये कहा था कि क्या 1 अप्रैल, 2019 तक 13 प्रमुख महानगरों में स्वच्छ ईंधन शुरू करना संभव है या नहीं।
  • निजी वाहनों की कुल बिक्री में 13% डीजल वाहन का और शेष 87% अन्य खंडों द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • इसके साथ ही कम कीमत के कारण किसानों द्वारा कृषि कार्यों में भी 13% डीजल का उपयोग किया जाता है।
  • विभिन्न मंत्रालयों सहित पेट्रोलियम और सड़क परिवहन मंत्रालय तथा सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियों, जैसे-एआरएआई और हरित प्राधिकरण ने नए BS-VI मानकों को स्थापित किया है।

क्या हैं भारतीय उत्सर्जन मानक? 

  • BS मानक यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं।
  • अलग-अलग देशों में ये मानक अलग-अलग होते हैं, जैसे- अमेरिका में ये टीयर-1, टीयर-2 के रूप में होते हैं, तो यूरोप में इन्हें यूरो मानक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • भारत में सर्वप्रथम उत्सर्जन नियमों की शुरुआत 1991 में हुई थी और तब ये नियम केवल पेट्रोल इंजन से चलने वाले वाहनों पर लागू होते थे।
  • BS यानी भारत स्टेज वाहन उत्सर्जन मानकों को केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में शुरू किया था।
  • इसके बाद 2005 और 2006 के आस-पास वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये BS-2 और BS-3 मानकों की शुरुआत की गई। लेकिन BS-3 मानकों का अनुपालन वर्ष 2010 में शुरू किया जा सका।
  • भारत स्टेज उत्सर्जन मानक आतंरिक दहन और इंजन तथा स्पार्क इग्निशन इंजन के उपकरण से उत्सर्जित वायु प्रदूषण को विनियमित करने के मानक हैं।
  • इन मानकों का उद्देश्य वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और वातावरण में घुल रहे ज़हर पर रोक लगाना है।
  • वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के BS मानक के आगे संख्या- 2, 3 या 4 और अब 6 के बढ़ते जाने का मतलब है, उत्सर्जन के बेहतर होते मानक जो पर्यावरण के अनुकूल हैं।
  • अर्थात् BS के आगे जितना बड़ा नंबर है, उस गाड़ी से होने वाला प्रदूषण उतना ही कम।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि BS-4 के मुकाबले BS-VI डीजल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75% तक कम होते हैं।
  • BS-VI मानक लागू होने से प्रदूषण में काफी कमी होगी, विशेषकर डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में BS-VI स्तर का डीजल काफी बेहतर होगा।
  • हवा में PM 2.5 का अधिकतम स्तर 60 mgcm तक होना चाहिये।
  • BS-VI में यह मात्रा 20 से 40 mgcm होती है, जबकि BS-4 में 120 mgcm तक होती है।
  • 1अप्रैल से दिल्ली में BS-VI की शुरुआत के बाद सरकार 1 अप्रैल, 2019 से देश के 13 बड़े शहरों में इसे शुरू करने की योजना पर काम कर रही है।
  • 2020 से यह पूरे देश में लागू हो जाएगा अर्थात् 1 अप्रैल, 2020 के बाद जो भी वाहन सड़क पर आएंगे, वे BS-VI  मानक के अनुरूप होंगे।

निष्कर्ष: 

वर्तमान समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर खतरा है और भारत अपने गतिशील भविष्य के लिये हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तैयार करना चाहिए। इसके अलावा BS-VI मानकों को अपनाना निश्चित रूप से सही कदम है और यह देश में समग्र प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।