शियामेन उद्घोषणा | 06 Sep 2017

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन के शियामेन (Xiamen) शहर में नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS summit) का आयोजन किया गया। इस शिखर सम्मेलन के बाद सभी ब्रिक्स देशों द्वारा शियामेन उद्घोषणा (Xiamen declaration) को स्वीकार किया गया। वर्ष 2011 के बाद से यह दूसरा अवसर था जब चीन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। 

शियामेन उद्द्घोषणा के प्रमुख बिंदु

  • ब्रिक्स देशों द्वारा उभरते बाज़ारों एवं विकासशील देशों के साथ व्यापक साझेदारी की दिशा में प्रयास किये जाएंगे।
  • ब्रिक्स प्लस सहयोग (BRICS Plus cooperation) के माध्यम से गैर-ब्रिक्स देशों के साथ समानांतर और लचीले व्यवहार, वार्ता तथा सहयोग की दिशा में भी कार्य किया जाएगा।
  • ब्रिक्स देशों द्वारा ‘ब्रिक्स स्थानीय मुद्रा बॉण्ड बाज़ारों’ के विकास को बढ़ावा देने एवं ब्रिक्स स्थानीय मुद्रा बॉण्ड फंड की स्थापना करने तथा वित्तीय बाज़ार एकीकरण (financial market integration) की सुविधा के लिये भी संकल्प लिया गया है।
  • इसके अतिरिक्त ब्रिक्स इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूचर नेटवर्क (BRICS Institute of Future Networks) की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। 
  • साथ ही, साझेदार देशों द्वारा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सहित आई. ओ. टी. (Internet of Things), क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स, नैनोटेक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धि (Artificial intelligence), 5जी एवं इनके अभिनव अनुप्रयोगों की दिशा में ब्रिक्स अनुसंधान, विकास और नवीनता को बढ़ावा प्रदान किया जाएगा।
  • ऊर्जा और इससे संबद्ध क्षेत्रों के संबंध में ब्रिक्स सहयोग को मज़बूती प्रदान करने, उनमें लचीलापन लाने तथा ऊर्जा संबंधी उपकरणों एवं तकनीकों हेतु बाज़ारों को अधिक से अधिक पारदर्शी बनाने के संबंध में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
  • भारत में ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच (BRICS Agriculture Research Platform) स्थापित करने का भी प्रस्ताव  किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक यथार्थवादी आतंकवाद विरोधी संगठन बनाने तथा इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र द्वारा केंद्रीय समन्वयशील भूमिका निभाने के लिये भी आह्वाहन किया गया है।
  • ब्रिक्स लोगों के बीच आपसी समझ, मैत्री और सहयोग तथा विकास को बढ़ावा देना।
  • इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स देशों को जीवाश्म ईंधन और गैस, पनबिजली एवं परमाणु ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये मिलकर काम करना होगा ताकि इन देशों की अर्थव्यवस्था को उन्नत करने तथा बेहतर ऊर्जा तक पहुँच और टिकाऊ विकास को सुनिश्चित किया जा सके।