सीमावर्ती जनसंख्या एक सामरिक संपदा : गृह मंत्रालय | 13 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में एक बैठक की अध्यक्षता की और इस अवसर पर उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme-BADP) के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में 17 राज्यों के 25 ज़िलों के मजिस्ट्रेटों ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि लद्दाख क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं की अनुपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।

प्रमुख बिंदु:

  • श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीमा पर रह रही जनसंख्या देश की सामरिक संपदा है तथा सीमा सुरक्षा बनाए रखने के लिये एक महत्त्वपूर्ण घटक है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सामाजिक तथा आर्थिक अवसंरचना के विकास के लिये सभी प्रयास किये जाएँ ताकि यह सुनिश्चित हो कि ये लोग सीमा स्थित गाँव में ही बने रहें।
  • सरकार सीमा पर रह रही जनसंख्या की सामाजिक तथा आर्थिक खुशहाली और उन्हें कनेक्टिविटी संबंधी सुविधाएँ, स्वच्छ पेयजल, विद्यालय, अस्पताल तथा अन्य सुविधाएँ सुलभ कराने को अत्यधिक प्राथमिकता देती है ताकि इन क्षेत्रों के लोगों के में जीवन में स्थायित्व आए।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत अवसंरचना तथा विकास गतिविधियों की अभिवृद्धि के लिये राज्यों को केंद्र की ओर से निरंतर सहायता का भी आश्वासन दिया।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के बेहतर नियोजन, पर्यवेक्षण तथा कार्यान्वयन के लिये BADP ऑनलाइन प्रबंध प्रणाली की शुरुआत की गई।
  • सीमावर्ती राज्य अपनी-अपनी वार्षिक कार्य योजनाएं ऑनलाइन प्रस्तुत कर सकते हैं और उन्हें गृह मंत्रालय से इलेक्ट्रॉनिक मोड में अनुमोदन प्राप्त हो जाएगा जिससे स्वीकृति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और नियोजन तथा कार्यान्वयन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालने तथा सीमावर्ती जनसंख्या के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये सरकार द्वारा किये गए उपायों का उल्लेख करने हेतु अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियाँ दीं।

सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के बारे में: 

  • इस कार्यक्रम  की शुरुआत 1986-87 में की गई। इस कार्यक्रम के लिये अब तक कुल 13,400 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।
  • कार्यक्रम के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के भीतर रहने वाले लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीमावर्ती जनसंख्या की विशेष विकासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये 17 राज्यों के 111 सीमावर्ती ज़िले शामिल किये गए हैं।
  • सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत किये जाने वाले व्यय को 2015-16 के 900 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2017-18 में 1100 करोड़ रुपयए कर दिया गया है। 
  • सीमा पर स्थित गाँव के विस्तृत एवं समग्र विकास के लिये 61 आदर्श गाँव विकसित करने का विनिश्चय किया गया है जिसके लिये राज्य सरकारों को 126 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। साथ ही आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त धनराशि भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
  • प्रत्येक आदर्श गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक शिक्षा, सामुदायिक केंद्र, संपर्क सुविधा, निकासी, पेयजल आदि जैसी सभी मूलभूत सुविधाएँ सुलभ करवाई जाएंगी ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में जीवन में स्थायित्व आए।
  • केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 10 किमी. तक स्थित गांवों को विकसित करने और उन्हें "आत्मनिर्भर" बनाने की योजना बना रही है।