सीमा समायोजन कर | 12 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

सीमा समायोजन कर 

मेन्स के लिये:

सीमा समायोजन कर से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘नीति आयोग’ (The National Institution for Transforming India-NITI Aayog) के एक सदस्य द्वारा घरेलू उद्योगों को संरक्षण/एक समान स्तर प्रदान करने के लिये आयात पर ‘सीमा समायोजन कर’ (Border Adjustment Tax- BAT) लगाने का समर्थन किया गया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • यह सुझाव संयुक्त राज्य अमेरिका तथा चीन के मध्य चल रहे व्यापार तनाव को ध्यान में रखते हुए दिया गया है जिसे देखकर आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह व्यापार तनाव COVID-19 महामारी के बाद भी जारी रह सकता है।
  • ‘सीमा समायोजन कर’ एक ऐसा कर है जो बाहर से आयातित सामान पर बंदरगाह पर  लेवी शुल्क के अलावा लगाया जाता है।
  • यह एक राजकोषीय उपाय है जिसे ‘कर के गंतव्य सिद्धांत’ (Destination Principle of Taxation) के अनुसार वस्तुओं या सेवाओं पर लगाया जाता है।
    • इस सिद्धांत के अनुसार, सरकारी कर उत्पादों को, अंतिम उपभोक्ता के लिये उनके उत्पादन या उत्पत्ति के स्थान के बजाय उनकी बिक्री के स्थान के आधार पर तैयार किया जाता है।
  • इस प्रकार, इस कर के माध्यम से एक देश के व्यापार को एक निश्चित ‘कर सीमा पर’ (At The Border) समायोजित करने के लिये-
    • आयातित उत्पादों और घरेलू स्तर पर उत्पादित उत्पादों को उसी आधार पर और उसी दर पर बेचा जाता है।
    • विदेशी उपभोक्ताओं को निर्यात किये गए उत्पादों पर कर से छूट दी जाती है।
  • सामान्यत: यह कर अपने क्षेत्राधिकार के भीतर उत्पादों या सेवाओं की आपूर्ति करने वाली विदेशी और घरेलू कंपनियों के लिये ‘प्रतिस्पर्धा की समान स्थिति’ (Equal Conditions of Competition) को बढ़ावा देता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों एवं मुख्य शर्तों के तहत  कुछ विशेष प्रकार के आंतरिक करों के समायोजन की अनुमति हैं। ये शर्तें इस प्रकार हैं-
    • घरेलू उत्पाद के समान ही आयात पर भी कर समान रूप से लागू होना चाहिये।
    • कर उत्पाद पर लिया जाना चाहिये और यह ‘प्रत्यक्ष’ नहीं होना चाहिये ।
    • ‘अनुमत सीमा कर समायोजन’ को निर्यात पर सब्सिडी नहीं देनी चाहिये ।

‘सीमा समायोजन कर’ का व्यापारिक भागीदारों पर पड़ने वाला  प्रभाव:

  • वृहद स्तर पर, आयात कम होने और निर्यात बढ़ने के साथ, एक देश अपने व्यापार घाटे में कटौती कर सकता है।
    • यदि कोई देश कई अन्य विकासशील देशों के लिये एक प्रमुख निर्यात बाज़ार है, तो कर योजना के कार्यान्वयन के कारण उन पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
    • मूल्य वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये घरेलू सामानों पर बिजली शुल्क, मंडी कर, स्वच्छ ऊर्जा उपकर और रॉयल्टी जैसे विभिन्न करों को लगाया जाता है। इसके कारण भारत में आयातित वस्तुओं को मूल्य लाभ (Price Advantage) प्राप्त होता है।
  • भारतीय उद्योगों द्वारा हमेशा ऐसे घरेलू करों के बारे में शिकायतें की जाती रही हैं जो घरेलू रूप से उत्पादित वस्तुओं पर वसूल किये जाते हैं क्योंकि ये कर उत्पाद में अंतर्निहित होते हैं।
  • कई प्रकार के आयातित सामान अपने मूल देश में इस तरह की लेवी के साथ लोड नहीं किये जाते हैं जिससे भारत में ऐसे उत्पादों को मूल्य लाभ मिलता है।

स्रोत: द हिंदू