बिटक्वाइन पर प्रतिबंध ? | 13 Jul 2017

संदर्भ 
वर्तमान में भारत में क्रिप्टो-करेंसी (Crypto-currency ) अथवा आभासी मुद्राओं को न तो वैध माना गया है और न ही अवैध। हाल के समय में इसकी अवैध माँग में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, परन्तु अभी तक कोई आम सहमति नहीं बन पाई है।

क्या है बिटक्वाइन

  • बिटक्वाइन एक डिजिटल मुद्रा है, जो विनिमय को वैध बनाते हुए विनिमय करने वाले पक्षों की पहचान को उजागर नहीं करती। सरकारी अथवा निजी किसी भी संस्था के पास न तो इसका स्वामित्व है और न ही नियंत्रण है।
  • एक बिटक्वाइन का मूल्य 60 ग्राम सोने के मूल्य के बराबर होता है। हाल ही में इनका बाज़ार कैप $100 बिलियन को पार कर गया है। एक अप्रैल तक इनका बाज़ार कैप मात्र $ 25 बिलियन ही था। इस तरह यह पिछले साठ दिनों में तीन सौ फीसदी बढ़ा है।

प्रतिबंध क्यों ?

  • सरकार इन मुद्राओं को एक विनियामक शासन व्यवस्था के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।
  • ऐसी अनेक आभासी मुद्राएं हैं, जिनमें बिटक्वाइन, एथिरम और रिपल  बहुत लोकप्रिय हैं।
  • क्रिप्टो-करेंसी का उपयोग कई कानूनी गतिविधियों के लिये भी किया जा सकता है, बशर्ते यह इस पर निर्भर करता है कि कौन-से  रिटेलर्स इसे स्वीकार करते हैं।
  • क्रिप्टो-करेंसी पर प्रतिबंध लगना चाहिये या नहीं, इस बावत पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही है। 
  • इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिये वित्त मंत्री की अध्यक्षता में पिछले महीने एक प्रस्ताव पर विचार किया गया था, लेकिन वित्त मंत्रालय, गृह मामलों और आईटी के साथ–साथ, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और राष्ट्रीय उद्योग संघ के शीर्ष अधिकारियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई।
  • गौरतलब है कि हाल ही में बिटक्वाइन काफी चर्चा में रही है, जब दो वैश्विक साइबर रैनसमवेयर – वान्नाक्राई  और पेत्या – के हमलों के दौरान हमलावरों ने फिरौती के रूप में $300 बिटक्वाइन की माँग की थी।