बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम | 07 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिमी और मध्य रेलवे ने बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम (Biometric Token System-BTS) शुरू किया है जो ट्रेन के अनारक्षित कोच में बोर्डिंग की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम क्या है?

  • बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम (BTS) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सामान्य कोच (अनारक्षित कोच) में यात्रा करने वाले यात्रियों को ट्रेन के प्रस्थान से तीन घंटे पूर्व एक टोकन दिया जाता है।

इसका आवंटन कैसे होता है?

  • यह टोकन पहले आओ, पहले पाओ (First-Come, First-Served Basis) के आधार पर दिया जाता है और इन पर एक सीरियल नंबर अर्थात् क्रम संख्या अंकित होती है। इस सीरियल नंबर के क्रमानुसार ही यात्री ट्रेन में सवार होते हैं।
  • प्रत्येक यात्री बायोमेट्रिक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही उसे टोकन जारी किया जाता है।

इसका इस्तेमाल कैसे होता है?

  • इस प्रणाली में वैध टिकट वाला यात्री अपनी उॅगलियों को स्कैनर पर रखता है और उसके बायोमेट्रिक डेटा के अनुसार सीरियल नंबर के साथ एक टोकन जारी हो जाता है।

बायोमेट्रिक डेटा (Biometric Data)

  • बायोमेट्रिक जीवित प्राणियों के जैविक, शारीरिक व व्यावहारिक विशिष्टताओं की माप व विश्लेषण है। इन विशिष्टताओं में DNA, रक्त, फिंगरप्रिंट, चेहरा, आँख की पुतली, आवाज़, हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर आदि शामिल हैं।
  • बॉयोमेट्रिक का प्रयोग व्यक्तियों की पहचान और उस पहचान को प्रमाणित करने के लिये किया जाता है।
  • बायोमेट्रिक डेटा को स्थानीय प्राधिकरणों के साथ साझा करते हुये एक वर्ष के लिये सुरक्षित रखा जाता है।
  • इस संकलित डेटा का उपयोग भीड़ के पैटर्न और ट्रेन का उपयोग करने वाले लोगोंं की संख्या का विश्लेषण करने के लिये किया जाएगा। इसके साथ ही हादसे की स्थिति में रेलवे अधिकारियों के पास यात्रियों का ब्योरा भी उपलब्ध होगा।
  • बायोमेट्रिक के उपयोग से अनारक्षित टिकटों की कालाबाज़ारी पर रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही टोकन प्रणाली भीड़ को प्रबंधित करने में भी सहायक होगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस