भुवन पोर्टल | 17 Feb 2021

चर्चा में क्यों?.

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और ‘मैप माई इंडिया’ ने एक स्वदेशी भू-स्थानिक पोर्टल “भुवन' को प्रारंभ करने के लिये आपस में भागीदारी की है।

  • यह भारत में लागू भू-स्थानिक क्षेत्र से संबंधित नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।

प्रमुख बिंदु:

भू-स्थानिक पोर्टल ‘भुवन':

  • यह एक प्रकार का वेब पोर्टल है, जिसका उपयोग इंटरनेट के माध्यम से भौगोलिक जानकारी (भू-स्थानिक जानकारी) और अन्य संबंधित भौगोलिक सेवाओं (प्रदर्शन, संपादन, विश्लेषण आदि) को खोजने और उनका उपयोग करने के लिये किया जाता है।

सहयोग:

  • इस पोर्टल के अंतर्गत मैप माई इंडिया का डेटाबेस इसरो के ‘उच्च-अंतः उपग्रह कैटालॉग’ और पृथ्वी अवलोकन संबंधी डेटा के साथ जुड़ेगा जो इसरो के उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त होता है।
  • पृथ्वी से संबंधित प्रेक्षण डेटासेट, नेविगेशन इन इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC), वेब सर्विसेज़ और ‘मैप माई इंडिया’ में उपलब्ध एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) का प्रयोग करके एक संयुक्त भू-स्थानिक पोर्टल तैयार किया जा सकेगा।
    • एपीआई एक सॉफ्टवेयर मध्यस्थ है जो दो एप्लीकेशंस (Applications) को एक-दूसरे से जोड़ने की अनुमति देता है।
    • यह एक कंप्यूटिंग इंटरफेस है जो कई सॉफ्टवेयर मध्यस्थों के बीच संबंधों को परिभाषित करता है।

पोर्टल का महत्त्व:

  • शुद्ध मानचित्रण:
    • यह पोर्टल भारत सरकार से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, देश की वास्तविक सीमाओं को दर्शाएगा।
  • निजता की रक्षा:
    • विदेशी मानचित्र एप्स के बजाय ‘मैप माई इंडिया’ के एप्लीकेशन का उपयोग कर उपयोगकर्त्ता अपनी गोपनीयता की बेहतर ढंग से सुरक्षा कर सकते हैं।
    • विदेशी सर्च इंजन और कंपनियाँ फ्री मानचित्र पेश करने का दावा करती हैं, परंतु वास्तव में वे विज्ञापन के साथ एक उपयोगकर्त्ता को लक्षित कर एवं उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता पर हमला कर उसकी अवस्थिति और निजी जानकारी संबंधी डेटा की नीलामी करके पैसा कमाते हैं। ‘मैप माई इंडिया’ में विज्ञापन का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
  • आत्मनिर्भर भारत: एक भारतीय पोर्टल होने के नाते यह सरकार के आत्मनिर्भर मिशन को मज़बूती प्रदान करेगा।
  • ‘मैप माई इंडिया’
    • यह एक भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनी है जो डिजिटल मानचित्र संबंधी डेटा, टेलीमैटिक्स सेवाओं, ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम और कृत्रिम बुद्धिमता संबंधी सेवाएँ प्रदान करती है। 
    • यह ‘गूगल मैप’ का एक विकल्प है, जिसमें 7.5 लाख भारतीय गाँव और 7,500 शहर शामिल हैं।
  • डेटाबेस:
    • इसके डेटाबेस में  63 लाख किमी. का एक सड़क नेटवर्क है और संस्था का दावा है कि यह देश का सबसे विस्तृत डिजिटल मानचित्र डेटाबेस है।
  • प्रयोग:
    • भारत में लगभग सभी वाहन निर्माता जो ‘बिल्ट-इन नेविगेशन सिस्टम’ प्रदान करते हैं, वे ‘मैप माई इंडिया’ का उपयोग कर रहे हैं।
  • अन्य प्रयास:
    • 'मूव' नामक एप भी ‘रियल टाइम ट्रैफिक अपडेट’ और नेविगेशन सुविधा प्रदान करता है।

नेविगेशन इन इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC)

  • यह एक भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है।
    •  IRNSS में आठ उपग्रह हैं, इसके अंतर्गत भूस्थैतिक कक्षा में तीन उपग्रह और भू-समकालिक कक्षा में पाँच उपग्रह शामिल हैं।
  • यह स्थापित और लोकप्रिय अमेरिकी ‘ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम’ (Global Positioning System- GPS) की तरह ही काम करता है, लेकिन यह उप-महाद्वीप के लगभग 1,500 किलोमीटर क्षेत्र को ही कवर करता है।
  • इसे मोबाइल टेलीफोन मानकों के समन्वय के लिये वैश्विक संस्था ‘3rd जनरेशन पार्टनरशिप प्रोजेक्ट’ (3GPP) द्वारा प्रमाणित किया गया है।

उद्देश्य:

  • इसका मुख्य उद्देश्य भारत और उसके पड़ोसियों को विश्वसनीय नेविगेशन सुविधाएँ और समय सबंधी सेवाएँ प्रदान करना है।

संभावित उपयोग :

  • स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन
  • आपदा प्रबंधन
  • वाहन ट्रैकिंग और पोत प्रबंधन (विशेष रूप से खनन और परिवहन क्षेत्र के लिये)
  • मोबाइल फोन के साथ संयोजन
  • सटीक समय (एटीएम और पावर ग्रिड हेतु)
  • मैपिंग और जियोडेटिक डेटा

अन्य वैश्विक नेवीगेशनल प्रणालियाँ:

  • बाइडू (चीन)
  • गैलीलियो (यूरोप)
  • ग्लोनास (रूस)
  • क्वासी-ज़ेनिथ सैटेलाइट (जापान)

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस