भारत NCAP | 28 Jun 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारत एनसीएपी, सड़क सुरक्षा।

मेन्स के लिये:

भारत एनसीएपी का महत्त्व और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिये सामान्य वैधानिक नियम (GSR) अधिसूचना के मसौदे को मंज़ूरी दी है।

  • एनसीएपी को 1 अप्रैल, 2023 से शुरू किया जाएगा और इसका मतलब होगा कि भारत में ऑटो निर्माताओं के साथ-साथ आयातकों के पास देश के भीतर कारों को स्टार रेटेड प्राप्त करने का विकल्प होगा।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश था जिसने क्रैश परीक्षणों के माध्यम से कार के सुरक्षा मानकों के परीक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया था।

भारत NCAP:

  • परिचय:
    • यह एक नया कार सुरक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम है जो दुर्घटना परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑटोमोबाइल को 'स्टार रेटिंग' देने का एक तंत्र प्रस्तावित करता है।
    • भारत एनसीएपी मानक वैश्विक बेंचमार्क के साथ संरेखित है और ये न्यूनतम नियामक आवश्यकताओं से परे हैं।
  • भारत NCAP रेटिंग:
    • प्रस्तावित भारत NCAP मूल्यांकन 1 से 5 स्टार तक स्टार रेटिंग आवंटित करेगा।
    • इस कार्यक्रम के लिये वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुनियादी ढांँचे के साथ परीक्षण एजेंसियों के आधार पर किया जाएगा।
  • प्रयोज्यता:
    • यह देश में निर्मित या आयातित 3.5 टन से कम सकल वन वाले एम1 श्रेणी के अनुमोदित मोटर वाहनों पर लागू होगा।
      • एम1 श्रेणी के मोटर वाहनों का उपयोग यात्रियों के आवागमन के लिये किया जाता है, जिसमें चालक की सीट के अलावा आठ सीटें होती हैं।

NCAP का भारत के लिये महत्त्व:

  • उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाना:
    • नए नियम यात्री कारों की सुरक्षा रेटिंग की अवधारणा प्रस्तुत करते हैं और उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाते हैं।
  • निर्यात-योग्यता बढ़ाता है:
    • क्रैश टेस्ट के आधार पर भारतीय कारों की स्टार रेटिंग न केवल कारों में संरचनात्मक और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि भारतीय ऑटोमोबाइल की निर्यात-योग्यता को भी बढ़ाएगी।
  • ऑटोमोबाइल उद्योग आत्मनिर्भर होंगे:
    • यह भारत को दुनिया में नंबर 1 ऑटोमोबाइल हब बनाने के मिशन के साथ हमारे ऑटोमोबाइल उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने में भी एक महत्त्वपूर्ण साधन साबित होगा।

चुनौतियांँ:

  • बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिये मज़बूत बुनियादी संरचना की तथा इसे सफलतापूर्वक और त्वरित तरीके से लागू करने के लिये भारी बजटीय समर्थन की आवश्यकता होगी।
  • भारत के प्रमुख शहरों ने परिवहन बुनियादी ढांँचे के निर्माण के लिये अपनी कुल भूमि आवंटन का मुश्किल से 6-10% (दिल्ली को छोड़कर, जिसने परिवहन बुनियादी ढांँचे के लिये लगभग 20% आवंटित किया है) को समर्पित किया है, जिसके कारण शहरों में जनसंख्या और इसकी आवश्यकताओं के संदर्भ में अपर्याप्त परिवहन अवसंरचना विकसित हुई है।

आगे की राह

  • परीक्षण प्रोटोकॉल को मौजूदा भारतीय नियमों में फैक्टरिंग ग्लोबल क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल के साथ संरेखित किया जाना चाहिये, जिससे OEM (मूल उपकरण निर्माता) को अपने वाहनों का परीक्षण भारत की अपनी इन-हाउस परीक्षण सुविधाओं में करने की अनुमति मिल सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस