भादभूत परियोजना | 18 Aug 2020

प्रीलिम्स के लिये:

भादभूत परियोजना

मेन्स के लिये:

भादभूत परियोजना के उद्देश्य तथा प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात सरकार ने भरूच में भादभूत परियोजना (Bhadbhut Project) के लिये अनुबंध प्रदान किया है। उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterway Authority) ने इस परियोजना को मंज़ूरी दे दी है। इस परियोजना को स्थानीय मछुआरों के विरोध का सामना करना पड़ा है क्योंकि इसके निर्माण से मछली पकड़ने के पैटर्न, मुख्य रूप से हिल्सा (Tenualosa ilisha) को पकड़ने के पैटर्न के प्रभावित होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • परियोजना की विशेषताएँ:

    • यह नर्मदा नदी के पार, भादभूत गाँव से 5 किमी. और नदी के मुहाने से 25 किमी. दूर स्थित है, जहाँ नर्मदा नदी खंभात की खाड़ी में गिरती है।
    • यह परियोजना वृहद कल्पसर परियोजना का हिस्सा है, जो भरूच और भावनगर ज़िलों के बीच खंभात की खाड़ी में 30 किलोमीटर के बांध के निर्माण पर बल देती है।
      • कल्पसर परियोजना का लक्ष्य गुजरात के 25% औसत वार्षिक जल संसाधनों को संग्रहित करना है।
      • यह जलाशय लगभग 8,000 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) भूमिगत जल को संग्रहित करेगा और यह समुद्र में दुनिया के सबसे बड़े मीठे जल के जलाशयों में से एक होगा।
  • उद्देश्य:

    • लवणता को रोकने के लिये
      • लवणता अंतर्ग्रहण, मीठे पानी वाले क्षेत्रों में खारे पानी के अतिक्रमण की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
      • मीठे पानी के कम प्रवाह के कारण उच्च ज्वार के दौरान नर्मदा के मुहाने पर खारे समुद्री जल का जमाव हो जाता है, इससे नदी के किनारों के साथ लवणता बढ़ती जा रही है।
    • यह सरदार सरोवर बांध से बहने वाले अधिकांश अतिरिक्त पानी को समुद्र तक पहुँचने से रोकेगा और नदी पर 600 MCM मीठे पानी की एक झील का निर्माण करेगा, जिससे भरूच में मीठे पानी की समस्या का समाधान होगा।
    • इससे जलाशय में नर्मदा, महिसागर और साबरमती नदियों के अतिरिक्त जल का दोहन हो सकेगा।
  • प्रभाव:

    • इस बैराज से हिल्सा मछली के प्रवास और प्रजनन चक्र में हस्तक्षेप होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, क्योंकि इसके निर्माण से इनकी प्राकृतिक प्रविष्टि अवरुद्ध हो जाएगी।
      • हिल्सा एक समुद्री मछली है, जो नदी की विपरीत धारा में बहती हुई भरूच के समीप नर्मदा नदी के मुहाने के खारे पानी में प्रवेश करती है। आमतौर पर यह जुलाई और अगस्त के मानसून के महीनों से लेकर नवंबर तक ऐसा करती है।
      • हिल्सा के पतन के प्रमुख कारणों में बांध से पानी का कम बहाव, नदी में अपवाहित होने वाले औद्योगिक अपशिष्ट और बढ़ती लवणता को उत्तरदायी माना जा रहा है।
    • इस परियोजना के निर्माण से आलिया बेट का एक हिस्सा, नर्मदा के डेल्टा में एक द्वीप जो झींगा की खेती के लिये प्रसिद्ध है, के जलमग्न होने की संभावना है।
      • इस परियोजना से आलिया बेट (Aliya Bet) में जंगल का एक हिस्सा भी प्रभावित होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस