RBI की वार्षिक रिपोर्ट और बैंकिंग धोखाधड़ी | 30 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में यह बात सामने आई है कि बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

  • वार्षिक रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
  • वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग धोखाधड़ी की राशि में भी 73.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में बैंकिंग धोखाधड़ी की राशि बढ़कर 7,15,429.3 मिलियन रुपए तक पहुँच गई है।
  • इसी अवधि में बैंकिंग धोखाधड़ी संबंधी 6,801 मामले दर्ज किये गए हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 5,916 थी।
  • अर्थव्यवस्था में प्रचलित मुद्रा की मात्रा भी 17 फीसदी बढ़कर 21,109 बिलियन रुपए तक पहुँच गई है। ज्ञातव्य है कि सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये काफी प्रयास किये जा रहे हैं, परंतु इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में प्रचलित मुद्रा की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।
  • वर्तमान में नए 500 रुपए के नोट की मांग सबसे ज़्यादा है और वर्तमान में प्रचलित कुल मुद्रा में 500 रुपए के नोट की 51 फीसदी हिस्सेदारी है।
  • यदि बैंकिंग समूहों के आधार पर वित्तीय धोखाधड़ी का विश्लेषण करें तो धोखाधड़ी से संबंधित सबसे अधिक 55.4 प्रतिशत मामले (कुल 3,766 मामले) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ही देखे गए हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 में पकड़े गए कुल जाली नोटों की संख्या 3,17,384 है। ज्ञातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में नोटबंदी के बाद कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए थे।
  • RBI ने रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू मांग में कमी से अर्थव्यवस्था की ‘एनिमल स्पिरिट’ (Animal Spirits) कमज़ोर हो रही है। साथ ही वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान घरेलू मांग और निजी निवेश को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
    • ज्ञातव्य है कि एनिमल स्पिरिट का आशय अर्थव्यवस्था में सुस्ती या मंदी के दौरान निवेश संबंधी निर्णय लेने की क्षमता से है। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स (John Maynard Keynes) द्वारा 1936 में अपनी पुस्तक द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी (The General Theory of Employment, Interest, and Money) में किया गया था।

भारतीय रिज़र्व बैंक

(Reserve Bank of India-RBI)

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।
  • रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया।
  • यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व वाला था, लेकिन 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
  • वर्तमान में इसके गवर्नर शक्तिकांत दास हैं जिन्होंने उर्जित पटेल का स्थान लिया है।

स्रोत: द हिंदू एवं इकोनॉमिक टाइम्स