स्मारकों के संरक्षण में सहायक बैक्टीरियल स्प्रे | 29 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

भारतीय वैज्ञानिकों ने सोलहवीं शताब्दी में बने एक मुगल स्मारक (सलाबत खान का मकबरा) का गहन परीक्षण करते हुए इसके क्षरण के कारणों का पता लगाया है। गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में स्मारकों के संरक्षण हेतु नए उपायों की भी खोज की है।  

प्रमुख बिंदु 

  • वैज्ञानिकों ने पाया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित सलाबत खान के मकबरे की दीवारों एवं गुंबदों पर रासायनिक अभिक्रिया के परिणामस्वरुप कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate) के अवक्षेप जमा होने से उसकी चमक और सुंदरता समाप्त हो  रही है। 

  • दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्ट्री ऑफ आर्ट, कंजर्वेशन एंड म्यूजियोलॉजी (National Museum Institute of History of Art, Conservation and Museology) के शोधकर्त्ताओं ने मकबरे के प्रभावित हिस्सों में गहराई तक  खुदाई किया एवं नमूने एकत्रित किये।
  • शोधकर्त्ताओं ने इन नमूनों के माध्यम से चूने के कठोर होने तथा कैल्सीफिकेशन  के लिये ज़िम्मेदार बैक्टीरिया की पहचान की जिसमें सूक्ष्म जीवाणुओं की निम्नलिखित प्रजातियाँ शामिल हैं: 
    • बेसिलस प्रजाति (Bacillus sp), आर्थ्रोबैक्टर प्रजाति (Arthrobacter sp), एग्रोमाएसिस इंडिकस (Agromyces Indicus) और एक्वामाइक्रोबियम  प्रजातियाँ (Aquamicrobium sp)
  • ज्ञातव्य है कि चूने, वर्षा जल और कुछ जीवाणुओं (Bacterias) के मध्य रासायनिक अभिक्रिया से संगमरमर का क्षरण होता है।
  • जब वर्षा का जल मकबरे की संरचना में प्रवेश करता है तब निक्षालन के कारण  चूना एवं बैक्टीरिया के मध्य अभिक्रिया के परिणामस्वरूप मकबरे की संरचना कठोर कैल्सीफाइड चूने (Calcified Lime) में परिवर्तित हो जाती है। 

कैसे होगा संरक्षण? 

  • शोधकर्त्ताओं ने कैल्शियम कार्बोनेट युक्त जीवों का एक स्प्रे तैयार किया है जो कैल्साइट परत (Calcite Layer) का निर्माण कर स्मारकों के बाहरी हिस्सों को संरक्षित करने में मदद करेगा ।
  • सलाबत मकबरे (जो काले बसाल्ट पत्थरों से बना है) की सतहों पर जिस बैक्टीरिया के कारण सफेद धब्बे पड़ जाते हैं उसी बैक्टीरिया के कारण चूने पत्थर तथा संगमरमर से निर्मित इमारतों को क्षरण से बचाने में मदद मिलती है।
  • इस स्प्रे का इस्तेमाल अमरावती और नागार्जुनकोंडा की चूना पत्थर से निर्मित मूर्तियों को साफ करने के लिये भी किया जा सकता है।
  • इस विधि में, सूक्ष्मजीवों को संगमरमर की सतह पर समान रूप से छिड़का जाता है तथा उन्हें कैल्शियम और यूरिया युक्त पोषण दिया जाता है। तत्पश्चात् बैक्टीरिया अल्प अम्लीय माध्यम के निर्माण द्वारा कार्बोनेट का अवक्षेपण करता है और घुलित कैल्शियम को कैल्शियम कार्बोनेट की सुरक्षात्मक परत के रूप में परिवर्तित करता है।
  • अल्प अम्लीय या क्षारीय माध्यम ही वह प्राथमिक स्रोत हैं जिसके द्वारा सूक्ष्मजीव कैल्शियम कार्बोनेट के अवक्षेपण को बढ़ावा देते हैं और इस प्रक्रिया को बायोकोटिंग (Biocoating) के रूप में भी जाना जाता है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ