बचपन बचाओ आंदोलन | 21 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये

बचपन बचाओ आंदोलन

मेन्स के लिये 

बच्चों से संबंधित, न्यायिक सक्रियता और NGO की भूमिका  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाल कल्याण केंद्रों से जुड़ी एक याचिका के संदर्भ में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (Bachpan Bachao Andolan-BBA) द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि बाल गवाहों के बयानों को न्यायालय में बुलाने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाल कल्याण केंद्रों पर ही दर्ज कराना चाहिये। 

प्रमुख बिंदु

  • बचपन बचाओ आंदोलन: 
    • यह बाल अधिकारों के संघर्ष करने वाला देश का सबसे लंबा आंदोलन है।
    • नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा ने इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में की गई थी।
    • मिशन: बच्चों को बाल सुलभ समाज प्रदान करने के लिये रोकथाम, प्रत्यक्ष हस्तक्षेप, सामूहिक प्रयास और कानूनी कार्रवाई के माध्यम से बच्चों को दासता से मुक्त कराना, उन्हें पुन:स्थापित करना, शिक्षित करना। 
    • कार्य: एक गैर-सरकारी संगठन (Non Government Organisation-NGO) है जो मुख्यतः बंधुआ मज़दूरी, बाल श्रम, मानव व्यापार की समाप्ति के साथ- साथ सभी बच्चों के लिये शिक्षा के समान अधिकार की मांग करता है।
  • नोबल पुरस्कार विजेता (Nobel Prize Winner): वर्ष 2014 में कैलाश सत्यार्थी एवं मलाला युसुफजई को बाल शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिये संयुक्त रूप से  शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

स्रोत- द हिंदू