विमानन सम्‍मेलन 2019 | 28 Feb 2019

चर्चा में क्यों?

नागर विमानन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (Airports Authority of India), AAI कार्गो लॉजिस्टिक्स एंड एलाइड सर्विसेज़ कंपनी लिमिटेड (AAICLAS) और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) के सहयोग से नई दिल्‍ली में विमानन सम्‍मेलन 2019 (Aviation Conclave 2019) का आयोजन किया।

थीम- इस सम्मेलन की थीम/विषय-वस्तु  “सभी के लिये उड़ान” (Flying for All) थी।

  • इस विमानन सम्‍मेलन में भारत में नये विमानन व्‍यवसाय को लाने के एजेंडा खास तौर से द्रोण प्रणालियाँ, भारत में विमानों के निर्माण, भारतीय और विदेशी एयरलाइनों द्वारा विमानों के लिये वित्तपोषण और पट्टे, भारतीय हवाई अड्डों को अगली पीढ़ी के विमानन केंद्रों में बदलने और भारत के प्रत्‍येक गाँव को वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला से जोड़कर हवाई कार्गो की संभावना पर विचार-विमर्श किया गया।
  • इससे पहले भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय और फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry-FICCI) ने संयुक्त रूप से प्रथम ग्लोबल एविएशन समिट (Global Aviation Summit) का आयोजन किया था। इसकी थीम “Flying for all - especially the next 6 Billion” थी।

सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श के 5 प्रमुख क्षेत्र

  1. द्रोण-इकोसिस्टडम नीति रोडमैप' (Drone-Ecosystem Policy Roadmap)
  2. भारत में क्षेत्रीय परिवहन विमान सहित विमान और उससे जु़ड़े उपकरणों के निर्माण के लिये रोडमैप
  3. ‘भारत से विमानों के लिये वित्तपोषण और पट्टे- परियोजना रुपया रफ्तार’ (Project Rupee Raftaar)
  4. राष्ट्रीय विमान कार्गो नीति (National Air Cargo Policy)
  5. भारतीय हवाई अड्डों को अगली पीढ़ी के विमानन केंद्रों  में बदलने का मिशन

भारतीय नागर विमानन उद्योग

  • भारतीय नागर विमानन उद्योग अपने विस्‍तार के अभूतपूर्व दौर से गुज़र रहा है, जिसमें कम लागत के विमान (Low-Cost Carriers-LCCs), आधुनिक हवाई अड्डे, घरेलू एयरलाइनों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment-FDI), आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी हस्‍तक्षेप और क्षेत्रीय संपर्क पर विशेष ध्‍यान देना शामिल है।
  • विमानन में वृद्धि MRO (Maintenance, Repair, and Overhaul-रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सुविधाओं की मांग भी बढ़ रही है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जैसे- AAI बढ़ते उदारीकरण, ओपन स्काई नीति (Open Sky Policy), हवाई अड्डों और एयर एंड नेविगेशन सिस्टम के आधुनिकीकरण पर काम कर रहा है।
  • इस क्षेत्र में संवर्द्धित कौशल विकास भारत की मानव पूंजी क्षमता का लाभ उठा सकता है और रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है।
  • नवाचार और तकनीकी- GPS एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN): नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट एप्लीकेशन सिस्टम (NOCAS) के साथ भारत का पहला उपग्रह-आधारित नेविगेशन सिस्टम लॉन्च किया गया है, जो हवाई अड्डों के आसपास की इमारतों की ऊँचाई को मंज़ूरी देने के लिये समय पर NOC (No Objection Certificate) की ऑनलाइन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। नागरिक उड्डयन के लिये ई-शासन (E-Governance for Civil Aviation-eGCA) नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के लाइसेंस और नियामक प्रक्रियाओं की ऑनलाइन डिलीवरी को नियंत्रित करता है।

सरकार की नीतियाँ

  • ड़ान (UDAN)- 2016 में सरकार द्वारा शुरू की गई क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान (Ude Desh ka Aam Nagrik-UDAN) का उद्देश्य उन क्षेत्रों में जहाँ वर्तमान में या तो हवाई सेवा बिल्‍कुल भी उपलब्‍ध नहीं है या बेहद कम संख्‍या में उपलब्‍ध है, के लोगों के लिये हवाई यात्रा को किफायती बनाना है।
  • नभ-निर्माण : 2018-19 के बजट में घोषित NABH Nirman योजना का उद्देश्य हवाई अड्डों की क्षमता को पाँच गुना से अधिक बढ़ाना है।
  • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (NCAP) : क्षेत्रीय हवाई संपर्क एवं पर्यटन को बढ़ावा देने तथा रोज़गार सृजन के लिये एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से यह नीति तैयार की गई थी।
  • डिजी यात्रा नीति : सभी भारतीय हवाई अड्डों के चेक-पॉइंट्स पर सभी यात्रियों को सहज, पेपरलेस तथा सुविधाजनक अनुभव प्रदान करने के लिये यह नीति जारी की गई है। इस नीति के उद्देश्य हैं :

♦ यात्री अनुभव को बेहतर बनाना।
♦ डिजिटल ढाँचे का उपयोग करके बेहतर परिणाम (throughput) प्राप्त करना।
♦ चेक-पॉइंट्स पर अनावश्यक औपचारिकताओं को दूर करके संचालन लागत को कम करना।
♦ आधार तथा पासपोर्ट की तर्ज़ पर सरकार द्वारा जारी डिजिटल पहचान-पत्र के साथ डिजी यात्रा प्रणाली की शुरुआत करना।

विज़न 2040 (VISION 2040) : यह दस्तावेज़ भारत के विभिन्न उप-क्षेत्रों में विकास की क्षमता पर प्रकाश डालता है। भारत में नागर विमानन उद्योग के लिये विज़न 2040 दस्तावेज़ के अनुसार-

  • आने वाले समय में देश के पास किराये पर विमान लेने का अपना उद्योग होगा। वर्ष 2040 तक भारत द्वारा कर अवसंरचना और पट्टे पर विमान देने की प्रक्रिया वैश्विक स्तर के बराबर होगी या फिर उससे भी बेहतर होगी।
  • वर्ष 2040 तक हवाई यात्रियों की संख्या छह गुना बढ़कर लगभग 1.1 अरब होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2040 तक भारत में संचालित हवाई अड्डों की संख्या 190-200 हो सकती है। इस समय तक देश के शीर्ष 31 शहरों में दो-दो हवाई अड्डे तथा दिल्ली और मुंबई में तीन-तीन हवाई अड्डे हो सकते हैं।

स्रोत : पी.आई.बी