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अटल भू-जल योजना | 26 Dec 2019 | शासन व्यवस्था

प्रीलिम्स के लिये:

अटल भूजल योजना

मेन्स के लिये:

भारत के विभिन्न शहरों में गिरते हुए भूमि जलस्तर से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

25 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा निम्न भूमि जल स्तर वाले क्षेत्रों में भूजल संरक्षण के लिये ‘अटल भूजल योजना’ प्रारंभ की गई है।

वित्तीय प्रारूप:

उद्देश्‍य

अटल जल के दो प्रमुख घटक हैं–

  1. विभिन्‍न स्‍तरों पर हितधारकों के क्षमता निर्माण तथा भू-जल निगरानी नेटवर्क में सुधार के लिये संस्‍थागत मज़बूती से भू-जल डेटा भंडारण, विनिमय, विश्‍लेषण और विस्‍तार को बढ़ावा देना।
  2. उन्‍नत और वास्‍तविक जल प्रबंधन से संबंधित उन्‍नत डेटाबेस तथा पंचायत स्‍तर पर समुदायिक नेतृत्‍व के तहत जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना।
  3. भारत सरकार और राज्‍य सरकारों की विभिन्‍न मौजूदा और नई योजनाओं के समन्‍वय के माध्‍यम से जल सुरक्षा योजनाओं को लागू करना, ताकि सतत् भू-जल प्रबंधन के लिये निधियों के न्‍यायसंगत और प्रभावी उपयोग में मदद मिल सके।
  4. सूक्ष्‍म सिंचाई, फसल विविधता, विद्युत फीडर विलगन आदि जैसे मांग पक्ष के उपायों पर ध्‍यान देते हुए उपलब्‍ध भू-जल संसाधनों का उचित उपयोग करना।

प्रभाव:

पृष्‍ठभूमि

भू-जल देश के कुल सिंचित क्षेत्र में लगभग 65 प्रतिशत और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में लगभग 85 प्रतिशत योगदान देता है। बढ़ती जनसंख्‍या, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की बढ़ती हुई मांग के कारण देश के सीमित भू-जल संसाधन खतरे में हैं। अधिकांश क्षेत्रों में व्‍यापक और अनियंत्रित भू-जल दोहन से इसके स्‍तर में तेज़ी से और व्‍यापक रूप से कमी होने के साथ-साथ भू-जल पृथक्‍करण ढाँचों की निरंतरता में गिरावट आई है। देश के कुछ भागों में भू-जल की उपलब्‍धता में गिरावट की समस्‍या को भू-जल की गुणवत्‍ता में कमी ने और बढ़ा दिया है। अधिक दोहन, अपमिश्रण और इससे जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों के कारण भू-जल पर पड़ते दबाव के कारण राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा खतरे में पहुँच गई है। इसके लिये आवश्‍यक सुधारात्‍मक, उपचारात्‍मक प्रयास प्राथमिकता के आधार पर किये जाने की ज़रूरत है।

जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने अटल भू-जल योजना के माध्‍यम से देश में भू-जल संसाधनों की दीर्घकालीन निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये एक अग्रणीय पहल की है, जिसमें विभिन्‍न भू-आकृतिक, जलवायु संबंधी, जल भू-वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक स्थिति के पहलुओं का प्रतिनिधित्‍व करने वाले 7 राज्‍यों में पहचान किये गए भू-जल की कमी वाले प्रखंडों में ‘टॉप-डाउन’ और ‘बॉटम अप’ का मिश्रण अपनाया गया है। अटल जल को भागीदारी भू-जल प्रबंधन तथा निरंतर भू-जल संसाधन प्रबंधन के लिये समुदाय स्‍तर पर व्‍यवहार्य परिवर्तन लाने के लिये संस्‍थागत ढाँचे को मजबूत बनाने के मुख्‍य उद्देश्‍य के साथ तैयार किया गया है। इस योजना में जागरूकता कार्यक्रमों, क्षमता निर्माण, मौजूदा और नई योजनाओं के समन्‍वय तथा उन्‍नत कृषि प्रक्रियाओं सहित विभिन्‍न उपायों के माध्‍यम से इन उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने की कल्‍पना की गई है।

स्रोत- PIB