भारत ने UNGA में CCIT की माँग फिर से उठाई | 04 Oct 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) की मांग को दोहराया।

CCIT क्या है?

  • 1996 में भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिये बोधगम्य कानूनी ढाँचा प्रदान करने के उद्देश्य के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के समक्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय’ (CCIT) को लागू किये जाने का प्रस्ताव रखा।
  • भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। इसलिये भारत ने प्रमुख वैश्विक शक्तियों से पहले वैश्विक शांति और सुरक्षा के मामले को संज्ञान में लिया।
  • CCIT के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं-
  • आतंकवाद की सार्वभौमिक परिभाषा को UNGA के सभी 193 सदस्य देशों द्वारा अपने आपराधिक विधि में अपनाया जाना।
  • सभी आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित करना तथा आतंकी गतिविधियों में संलिप्त कैम्पों को बंद करना।
  • विशेष कानूनों के तहत सभी आतंकवादियों पर मुकदमे चलाना।
  • वैश्विक स्तर पर सीमा-पार आतंकवाद को प्रत्यार्पण योग्य अपराध घोषित करना।

आतंकवाद की परिभाषा-

  • इस अभिसमय के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जिसके अपराध का उद्देश्य लोगों को डराना या सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य को करने से रोकना या ऐसा कार्य करने के लिये मजबूर करना हो, जिसके कारण-
  • किसी भी व्यक्ति की मौत या गंभीर शारीरिक चोट, या
  • सार्वजनिक उपयोग की जगह, कोई सरकारी सुविधा, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, अवसंरचना या पर्यावरण सहित सार्वजनिक या निजी संपत्ति की क्षति, या
  • संपत्ति, स्थान, सुविधाओं या प्रणालियों को नुकसान पहुँचता है जिसके परिणामस्वरूप बड़ा आर्थिक नुकसान हो, को आतंकवाद की परिभाषा के तहत माना जाएगा।

CCIT से सबंद्ध मुद्दे-

  • तीन मुख्य समूहों के विपक्ष में होने की वज़ह से CCIT के निष्कर्ष तथा अनुसमर्थन पर गतिरोध बना हुआ है-

1. अमेरिका-

  • अमेरिका शांतिकाल के दौरान राज्य की सैन्य ताकतों द्वारा किये गए कृत्यों को बाहर रखने का मसौदा चाहता था।
  • अमेरिका खासतौर पर अफगानिस्तान और इराक में किये गए हस्तक्षेपों के संबंध में अपने सैन्य बलों पर CCIT के अनुप्रयोग को लेकर चिंतित है।

2. इस्लामी देशों का संगठन (OIC)

  • OIC राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों को CCIT के दायरे से बाहर रखना चाहता है। राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों से OIC का तात्पर्य खासकर इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष से है।
  • यह तर्क दिया गया था कि स्वतंत्रता आंदोलनों तथा आतंकवाद के कृत्यों को अलग करने की आवश्यकता है ताकि वैध आंदोलनों को आतंकवाद के आपराधिक कृत्यों के रूप में वर्गीकृत न किया जा सके।

3. लातिन अमेरिकी देश

  • लातिन अमेरिकी देश ‘राज्य आतंकवाद (State Terrorism)’ को तथा राज्यों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन को भी CCIT में शामिल करना चाहते थे।
  • आतंकवाद की यह परिभाषा विवादास्पद नहीं है। विवाद इस परिभाषा के अनुप्रोग को लेकर है। क्या यह परिभाषा किसी राज्य के सशस्त्र बलों और स्वतंत्रता आंदोलनों पर भी लागू होगी?

निष्कर्ष

आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु एक प्रभावी तंत्र बनाने के लिये यह आवश्यक है कि दुनिया के सभी देश आतंकवाद की परिभाषा पर सहमत हों। देशों को मात्र अपने हित के नज़रिये से नहीं बल्कि वैश्विक आतंकवाद की समस्या का जड़ से उन्मूलन करने के व्यापक उद्देश्य के साथ इस मुद्दे को देखना चाहिये।