सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी | 11 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी, मौलिक अधिकार, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महिलाओं से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि परिवार बनाने हेतु व्यक्तिगत पसंद एक मौलिक अधिकार है और इसके लिये ऊपरी आयु सीमा तय करना प्रतिबंध जैसा है, अतः इस पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है।

संबंधित मुद्दा: 

  • सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी [Assisted Reproductive Technology- ART] (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत महिलाओं के लिये 50 वर्ष और पुरुषों हेतु 55 वर्ष की आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायालय ने निर्देश पारित किया है।
    • याचिकाकर्त्ताओं के अनुसार, ART अधिनियम की धारा 21 (G) के तहत ऊपरी आयु सीमा का निर्धारण तर्कहीन, मनमाना, अनुचित और प्रजनन के उनके अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इसे मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है।
    • याचिकाकर्त्ताओं ने इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की।
  • उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड को केंद्र सरकार को सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिये निर्धारित ऊपरी आयु सीमा पर फिर से विचार करने की आवश्यकता के बारे में सचेत करने का निर्देश दिया है।
  • इसके अलावा याचिकाकर्त्ताओं ने उस प्रावधान को भी चुनौती दी है जिसमें चिकित्सकों को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) के दायरे में लाया गया है और अपराधों को संज्ञेय बनाया गया है।
    • ये प्रावधान देश भर में IVF चिकित्सकों को डरा रहे हैं, उन्हें मुकदमा चलाए जाने के डर से अपने पेशेवर दायित्वों को पूरा करने से हतोत्साहित कर रहे हैं।

ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 के प्रावधान: 

  • कानूनी प्रावधान:
    • नेशनल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड की स्थापना वर्ष 2021 के ART (विनियमन) अधिनियम द्वारा सरोगेसी कानून को लागू करने की एक विधि के रूप में की गई थी
    • इस अधिनियम के उद्देश्यों में ART क्लीनिक और बैंकों का विनियमन एवं निरीक्षण, दुरुपयोग की रोकथाम तथा ART सेवाओं से संबंधित सुरक्षित और नैतिक प्रावधान शामिल हैं।
  • ART: 
    • इस अधिनियम के अनुसार, ART से तात्पर्य उस विधि से है जिसमें गर्भावस्था के लिये किसी महिला के प्रजनन तंत्र में युग्मकों (Gamets) को स्थानांतरित किया जाता है। इनमें जेस्टेशनल सरोगेसी, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) और युग्मक दान (शुक्राणु या अंडे का) शामिल हैं। 
    • ART सेवाएँ निम्नलिखित माध्यम से प्रदान की जाएंगी: (i) ART से संबंधित उपचार और प्रक्रियाएँ प्रदान करने वाले ART क्लीनिक और (ii) ART बैंक, जो युग्मक (Gamets) का संग्रह, जाँच और भंडारण करते हैं। 
  • दाताओं के लिये पात्रता संबंधी शर्तें: 
    • सीमेन प्रदान करने वाले पुरुष की आयु 21 से 55 वर्ष तथा अंडाणु दान करने वाली महिला की आयु 23-35 वर्ष के बीच होनी चाहिये। महिला द्वारा अपने जीवनकाल में केवल एक बार अंडाणु दान किया जाएगा तथा दान किये जाने वाले अंडाणुओं की अधिकतम संख्या 7 होगी। कोई बैंक एकल दाता के युग्मक को एक से अधिक कमीशनिंग पार्टी (युगल अथवा आकांक्षी एकल महिला) को नहीं दे सकता है।
  • संबद्ध शर्तें: 
    • केवल कमीशनिंग पार्टियों (वह व्यक्ति जो नैदानिक परीक्षण शुरू करने, निर्देशित करने या वित्तपोषण करने का प्रभारी होता है) और दाता की लिखित स्वीकृति के बाद ही ART उपचार किया जा सकता है। दाताओं की सुरक्षा (किसी भी नुकसान, क्षति या मृत्यु की स्थिति) के लिये कमीशनिंग पार्टी को बीमा संबंधी प्रबंधन करना आवश्यक होता है । 
  • ART से पैदा हुए बच्चे के अधिकार: 
    • ART से पैदा हुए बच्चे को दंपत्ति के जैविक बच्चे के रूप में माना जाएगा और प्राकृतिक रूप से पैदा हुए बच्चे के समान सभी अधिकारों एवं विशेषाधिकारों के लिये पात्र माना जाएगा। दाता (Donor) का बच्चे पर कोई अधिकार नहीं होगा।
  • कमियाँ:
    • अविवाहित और विषमलैंगिक(Heterosexual) जोड़ों का बहिष्कार:
      • यह अधिनियम अविवाहित, तलाशुदा और विधुर पुरुषों, अविवाहित रूप से सहवास करने वाले विषमलैंगिक जोड़ों, ट्रांस व्यक्तियों और समलैंगिक जोड़ों (चाहे विवाहित या साथ रहने वाले) को ART सेवाओं का लाभ लेने से वंचित करता है।
      • यह बहिष्करण प्रासंगिक है क्योंकि सरोगेसी अधिनियम उपरोक्त व्यक्तियों को प्रजनन की एक विधि के रूप में सरोगेसी का सहारा लेने से भी मना करता है।
    • प्रजनन विकल्पों को कम करना:
      • यह अधिनियम उन कमीशनिंग (Commissioning) जोड़ों तक भी सीमित है जो बाँझ हैं- जो असुरक्षित सहवास के एक वर्ष के बाद गर्भ धारण करने में असमर्थ हैं। इस प्रकार यह उपयोग हेतु सीमित है और बाहरी लोगों के प्रजनन विकल्पों को काफी कम कर देता है।
    • अनियंत्रित कीमतें:
      • सेवाओं की कीमतें विनियमित नहीं हैं, इस समस्या को निश्चित रूप से सरल निर्देशों के साथ दूर किया जा सकता है।

आगे की राह 

  • अनिवार्य परामर्श स्वतंत्र संगठनों द्वारा प्रदान किया जाना चाहिये, न कि क्लिनिक नैतिकता समितियों द्वारा।
  • सभी ART निकायों के लिये राष्ट्रीय हित, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता के मामले में केंद्र एवं राज्य सरकारों के निर्देश बाध्यकारी होने चाहिये।
  • लाखों लोगों को प्रभावित करने से पहले उठाए गए सभी संवैधानिक, चिकित्सा-कानूनी, नैतिक और नियामक चिंताओं की पूरी तरह से समीक्षा की जानी चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस