असम-मिज़ोरम सीमा संशोधन | 28 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

इनर लाइन परमिट

मेन्स के लिये:

सीमा विवाद से संबंधित मुद्दे, पूर्वोत्तर भारत से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

मिज़ोरम सरकार ने वर्ष 1873 के ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन’ (Bengal Eastern Frontier Regulation- BEFR) और वर्ष 1993 के ‘लुशाई हिल्स अधिसूचना’ (Lushai Hills Notification) की इनर लाइन के आधार पर असम के साथ सीमा संशोधन की माँग की है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1972 में केंद्र शासित प्रदेश और वर्ष 1987 में राज्य बनने से पहले मिज़ोरम असम का लुशाई हिल्स ज़िला था।
  • स्वतंत्रता के बाद से असम को विभाजित कर मिज़ोरम और नगालैंड जैसे नए राज्यों का गठन किया गया।
  • चूँकि राज्यों की सीमाएँ जनजातीय क्षेत्र एवं पहचान का अनुसरण नहीं करती हैं जिसके कारण विभिन्न जनजातियों के मध्य आपसी संघर्ष उत्पन्न होता है और राजनीतिक एवं सीमा विवाद का कारण बनता है।

विवाद का कारण

  • मिज़ोरम दक्षिणी असम के साथ 123 किलोमीटर की सीमा साझा करता है और असम के 509 वर्ग मील के हिस्से पर यह कहकर दावा करता है कि पड़ोसी राज्य ने इस पर कब्ज़ा कर लिया है। दोनों राज्यों के बीच इस सीमा के विस्तार को लेकर विवाद है।
  • इस सीमा पर कई हिंसक घटनाएँ भी हो चुकी हैं जो विवाद को बढ़ावा देने का कार्य करती रही हैं।

Arunachal Pradesh

इनर लाइन परमिट

(Inner Line Permit- ILP):

  • ILP एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है जिसे भारत सरकार द्वारा किसी भारतीय नागरिक को संरक्षित क्षेत्र में सीमित समय के लिये आंतरिक यात्रा की मंज़ूरी देने हेतु जारी किया जाता है।
  • इसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के आधार पर लागू किया गया था।
    • यह अधिनियम पूर्वोत्तर के पहाड़ी आदिवासियों से ब्रिटिश हितों की रक्षा करने के लिये बनाया गया था क्योंकि वे ब्रिटिश नागरिकों (British Subjects) के संरक्षित क्षेत्रों में प्रायः घुसपैठ किया करते थे।
    • इसके तहत दो समुदायों के बीच क्षेत्रों के विभाजन के लिये इनर लाइन (Inner Line) नामक एक काल्पनिक रेखा का निर्माण किया गया ताकि दोनों पक्षों के लोग बिना परमिट के एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश न कर सकें।
  • आगंतुकों को इस संरक्षित क्षेत्र में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं होता है।
  • अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड तथा मिज़ोरम राज्यों के मूल निवासियों की पहचान को बनाए रखने के लिये यहाँ बाहरी व्यक्तियों का ILP के बिना प्रवेश निषिद्ध है।
  • इस दस्तावेज़ की सेवा-शर्तें और प्रतिबंध राज्यों की अलग-अलग आवश्यकताओं के अनुसार लागू किये गए हैं।
  • BEFR अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड में अनिवासी भारतीयों को अस्थायी प्रवास के लिये आंतरिक लाइन परमिट के बिना अनुमति नहीं देता है।

विवाद का प्रभाव:

  • यह सीमा विवाद राज्यों के आपसी सहयोग को प्रभावित करेगा तथा नृजातीय संघर्ष को बढ़ावा देगा।
  • इससे विवादित क्षेत्र की विकास प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे वहाँ के लोग दूसरे क्षेत्रों की ओर पलायन करेंगे।

समाधान के उपाय:

  • दोनों राज्यों को आपसी वार्ता के माध्यम से सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास करना चाहिये।
  • दोनों राज्यों में आपसी सहमति न बनने की स्थिति में केंद्र सरकार की मदद से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।

आगे की राह

  • बदलते परिदृश्य में सरकारों को क्षेत्रवाद के स्वरूप को समझना होगा। यदि यह विकास की मांग तक सीमित है तो उचित है, परंतु यदि क्षेत्रीय टकराव को बढ़ावा देने वाला है तो इसे रोकने के प्रयास किये जाने चाहिये।
  • वर्तमान में क्षेत्रवाद संसाधनों पर अधिकार करने और विकास की लालसा के कारण अधिक पनपता दिखाई दे रहा है। इसका एक ही उपाय है कि विकास योजनाओं का विस्तार सुदूर तक हो।

स्रोत: द हिंदू