लॉकडाउन में पुरातत्त्वविदों द्वारा कार्य | 08 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये: 

LiDAR तकनीकी तथा इसके अनुप्रयोग 

मेन्स के लिये:

पुरातात्त्विक कार्यों में LiDAR तकनीकी का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में COVID-19 महामारी के चलते जहाँ विश्व स्तर पर पुरातत्त्वविदों को स्थलों/साइट्स की खुदाई करने से रोक दिया गया है, वहीं यूनाइटेड किंगडम के पुरातत्त्वविदों के एक दल द्वारा अपने शोध कार्य को घर से ही ‘लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग’ (Light Detection and Ranging- LiDAR) तकनीकी के माध्यम से जारी रखा गया।

प्रमुख बिंदु:

  • पुरातत्त्वविदों के दल द्वारा हवाई सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा के माध्यम से  LiDAR तकनीकी का प्रयोग करते हुए हज़ारों डेटा छवियों का विश्लेषण किया।
  • दल द्वारा हवाई सर्वेक्षण के माध्यम से इन चित्रों को दो स्रोतों से प्राप्त किया गया है, पहला टेलस साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट (Tellus South West Project) नामक एक अनुसंधान परियोजना से तथा दूसरा यू.के. पर्यावरण एजेंसी द्वारा।
  • डेटा छवियों का विश्लेषण करने के दौरान दल को निम्नलिखित साइटों के बारे में जानकारी मिली-
    • दो रोमन सड़कों के हिस्से प्राप्त हुए।
    • 30 प्रागैतिहासिक काल के बड़े रोमन तटबंधों के बाड़ों का पता लगाया गया।
    • 20 प्रागैतिहासिक काल के मृतक टीले, मध्ययुगीन काल के सैकड़ों खेत तथा कुछ खदानों की पुष्टि की गई।

वर्तमान स्थल:

  • पुरातत्त्वविदों के इस दल द्वारा वर्तमान में तामार घाटी (Tamar Valley) का अध्ययन किया जा रहा  है, जो एक समृद्ध पुरातात्त्विक स्थल है।
  • तामार घाटी में लौह युग और रोमन युग से संबंधित कई स्थल विद्यमान हैं।

Tamar-Valley

LiDAR तकनीकी/पद्धति: 

  • यह तकनीकी लेज़र प्रकाश के साथ लक्ष्य को रोशन करने तथा एक सेंसर के साथ प्रतिबिंब को मापने के लिये दूरी को मापने की तकनीकी है। 
  • LiDAR तकनीकी/पद्धति का प्रयोग सामान्यत: भू-वैज्ञानिकों तथा सर्वेक्षणकर्त्ताओं द्वारा उच्च-रिज़ॉल्यूशन क्षमता के नक्शे तैयार करने के अलावा किसी साइट का सर्वेक्षण करने के लिये किया जाता है
  • प्राप्त प्रतिबिंब को एक सेंसर से मापा जाता है।

तामार घाटी:

  • तामार घाटी ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित है।
  • यह घाटी ताम्र नदी के दोनों ओर लाउंसेस्टन से बास स्ट्रेट तक 60 किमी उत्तर में स्थित,  तस्मानिया के सबसे सुंदर क्षेत्रों में से एक है।

भारत में LiDAR:

  • भारत में LiDAR तकनीकी का प्रयोग कृषि और भू विज्ञान से संबंधित अनुप्रयोगों के लिये ही किया गया है  
  • भारत में पुरातात्विक कार्यों के लिये इस तकनीकी का प्रयोग अभी संभव नहीं हो पाया है जिसका मुख्य कारण इस तकनीकी में प्रयुक्त डाटा के विश्लेषण एवं प्रयोग के लिये विशेषज्ञों की आवश्यकता का होना है। 
  • इसके अलावा डाटाओं को प्राप्त कर उनका विश्लेषण एक महँगी प्रक्रिया भी है। 

LiDAR तकनीकी का महत्त्व:

  • LiDAR तकनीकी का प्रयोग घरेलू वास्तुकला और क्षेत्र में खंदक और किलेबंदी जैसी रक्षात्मक वास्तुकला को समझने में मददगार हो सकता है।
  • यह तकनीकी जल विज्ञान और जल प्रबंधन प्रणालियों को ओर अधिक विस्तार से समझाने में मददगार साबित हो सकती है। 
  • इस तकनीकी के माध्यम से समय की बचत होगी।  

स्रोत: द हिंदू