अरब लीग | 08 May 2023

प्रिलिम्स के लिये:

अरब लीग, मध्य पूर्व, खाड़ी देश, तेल, प्रेषण, सीरिया संकट।

मेन्स के लिये:

अरब लीग- मध्य पूर्व में भारत का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

एक दशक से अधिक के निलंबन के बाद हाल ही में अरब लीग ने सीरिया को फिर से संगठन में शामिल कर लिया है।

सीरिया को अरब लीग में क्यों शामिल किया गया है?

  • निलंबन: 
    • सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर हिंसक रूप से कानूनी कार्रवाई के बाद वर्ष 2011 में सीरिया को अरब लीग से निलंबित कर दिया गया था।
    • अरब लीग ने सीरिया पर शांति योजना का पालन नहीं करने का आरोप लगाया, जिसमें सैन्य बलों की वापसी, राजनीतिक कैदियों की रिहाई और विपक्षी समूहों के साथ बातचीत शुरू करने का आह्वान किया गया था।
    • शांति वार्ता और युद्धविराम समझौते के प्रयासों के बावजूद, हिंसा जारी रही, जिसके चलते अंततः सीरिया को संगठन से निलंबित कर दिया गया।
    • इस निलंबन से सीरिया को आर्थिक एवं कूटनीतिक परिणामों को सामना करना पड़ा।
  • पुनः शामिल किया जाना: 
    • यह कदम सीरिया तथा अन्य अरब देशों की सरकारों के बीच संबंधों में नरमी का प्रतीक है और इसे सीरिया में जारी संकट के समाधान हेतु एक क्रमिक प्रक्रिया की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
      • सीरिया संकट के परिणामस्वरूप 21 मिलियन की युद्ध-पूर्व आबादी के लगभग आधे हिस्से का विस्थापन हुआ है और 300,000 से अधिक नागरिकों की मृत्यु हुई है।
    • सीरिया को इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिये एक समिति की स्थापना की जाएगी जिसमें मिस्र, सऊदी अरब, लेबनान, जॉर्डन और इराक शामिल होंगे।
      • लेकिन इस निर्णय का मतलब अरब राज्यों और सीरिया के बीच संबंधों की बहाली नहीं है क्योंकि यह प्रत्येक देश पर निर्भर करता है कि वह इसे व्यक्तिगत रूप से तय करे।
    • यह सीरिया में जारी गृहयुद्ध से उत्पन्न संकट के समाधान का आह्वान करता है, जिसमें शरणार्थियों के पड़ोसी देशों में प्रवास करने और पूरे क्षेत्र में नशीली दवाओं की तस्करी शामिल है।

अरब लीग क्या है?

  • परिचय: 
    • अरब लीग, जिसे लीग ऑफ अरब स्टेट्स (LAS) भी कहा जाता है, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के सभी अरब देशों का एक अंतर-सरकारी समग्र-अरब संगठन (pan-Arab organisation) है।
    • वर्ष 1944 में अलेक्जेंड्रिया प्रोटोकॉल को अपनाने के बाद 22 मार्च, 1945 को काहिरा, मिस्र में इसका गठन किया गया था।
  • सदस्य: 
    • वर्तमान में इसमें 22 अरब देश शामिल हैं: अल्जीरिया, बहरीन, कोमोरोस, जिबूती, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मॉरिटानिया, मोरक्को, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन।

Arab-League

  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य अपने सदस्यों के राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करना तथा उन्हें समन्वयित करना और उनके बीच या उनके एवं तीसरे पक्ष के बीच विवादों की मध्यस्थता करना है।
      • 13 अप्रैल, 1950 को संयुक्त रक्षा और आर्थिक सहयोग संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर ने भी सभी हस्ताक्षरकर्त्ताओं को सैन्य रक्षा उपायों के समन्वय के लिते प्रतिबद्ध किया
  • चिंताएँ: 
    • अरब लीग की उन मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने में असमर्थता के चलते आलोचना की गई है जिन्हें संभालने के लिये इसका गठन किया गया था। इस संस्थान तथा इसके उद्देश्य वाक्य "एक अरब राष्ट्र एक शाश्वत मिशन के साथ" (one Arab nation with an eternal mission) जिसे अब अप्रचलित माना जा रहा है, की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
      • इससे ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जहाँ नेताओं के वार्षिक शिखर सम्मेलन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को स्थगित या रद्द कर दिया गया है।
    • निर्णयों को लागू करने और अपने सदस्यों के बीच संघर्षों का समाधान करने में प्रभावशीलता की कमी के चलते लीग की आलोचना भी की गई है। इस पर एकजुटता भंग करने, खराब प्रशासन और अरब लोगों एक बजाय निरंकुश शासन का अधिक प्रतिनिधि होने का आरोप भी लगाया गया है।

भारत के लिये मध्य पूर्व/उत्तरी अफ्रीका (MENA) का महत्त्व

  • मध्य पूर्व:
    • ईरान जैसे देशों के साथ सदियों से भारत के अच्छे संबंध रहे हैं, जबकि छोटा सा गैस समृद्ध देश कतर इस क्षेत्र में भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है।
    • खाड़ी के अधिकांश देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं।
    • इन संबंधों के दो सबसे महत्त्वपूर्ण कारण तेल एवं गैस तथा व्यापार हैं।
    • दो अन्य कारण खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों की भारी संख्या और उनके द्वारा देश में भेजे जाने वाले प्रेषण हैं।
  • उत्तरी अफ्रीका:
    • मोरक्को और अल्जीरिया जैसे उत्तर अफ्रीकी देश भारत के लिये महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे अफ्रीका के अन्य हिस्सों हेतु प्रवेश द्वार के रूप में काम करते हैं। भारत की फ्रैंकोफोन अफ्रीका (फ्रेंच भाषी अफ्रीकी राष्ट्र) में प्रवेश की इच्छा को देखते हुए यह क्षेत्र भारत के लिये अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
    • स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत के रूप में अपनी क्षमता के कारण उत्तरी अफ्रीका भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में सौर एवं पवन संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु किया जा सकता है।
      • भारत ने महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित किये हैं और उत्तरी अफ्रीका भारत को अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने का अवसर प्रदान कर सकता है।
    • इसके अलावा उत्तरी अफ्रीका की  रणनीतिक अवस्थिति इसे व्यापार एवं वाणिज्य के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है।
    • उत्तरी अफ्रीका स्वेज़ नहर के माध्यम से होने वाले वैश्विक व्यापार के परस्पर प्रतिच्छेद मार्ग पर है। वर्ष 2022 में 22000 से अधिक जहाज़ पारगमन के साथ, यह नहर विश्व के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न    

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)  

कभी-कभी समाचारों में चर्चित शहर:       देश 

  1. अलेप्पो                                      सीरिया
  2.  किरकुक                                     यमन 
  3.  मोसुल                                        फिलिस्तीन
  4.  मज़ार-ए-शरीफ                             अफगानिस्तान

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1 और 4
(c) केवल 2 और 3 
(d) केवल 3 और 4 

उत्तर: (b)  


प्रश्न. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्य सागर तक नहीं फैला है? (2015) 

(a) सीरिया
(b) जॉर्डन
(c) लेबनान
(d) इज़रायल

उत्तर: (b) 


प्रश्न.'गोलन हाइट्स' के नाम में जाना जाने वाला क्षेत्र निम्नलिखित में से किससे संबंधित घटनाओं के संदर्भ में यदा-कदा समाचारों में दिखाई देता है?(2015)

(a) मध्य एशिया
(b) मध्य-पूर्व
(c) दक्षिण-पूर्व एशिया
(d) मध्य अफ्रीका

उत्तर: (b)  


प्रश्न. योम किप्पुर युद्ध किन पक्षों/देशों के बीच लड़ा गया था? (2008) 

(a) तुर्किये और ग्रीस
(b) सर्ब और क्रोट्स
(c) मिस्र और सीरिया के नेतृत्त्व में इज़रायल और अरब देश
(d) ईरान और इराक 

उत्तर: (c) 

स्रोत: इकनॉमिक टाइम्स