कैंसर रोधी mRNA वैक्सीन | 20 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

mRNA वैक्सीन, mRNA-4157/V940, कैंसर, Covid-19, प्रोग्राम्ड डेथ-1, वैक्सीन के प्रकार

मेन्स के लिये:

वैक्सीन के प्रकार और महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मॉडर्ना और MSD (मर्क एंड कंपनी) द्वारा निर्मित मेसेंजर रिबोन्यूक्लिक एसिड (mRNA-4157/V940) वैक्सीन और इम्यूनोथेरेपी दवा कीट्रूडा (Keytruda) के एक साथ लेने संबंधी परीक्षण में मेलेनोमा, एक प्रकार के त्वचा कैंसर के विरुद्ध आशाजनक परिणाम देखने को मिले हैं।

एडवांस्ड मेलेनोमा हेतु mRNA वैक्सीन थेरेपी:

  • परिचय:
    • यह प्रति रोगी के लिये व्यक्तिगत रूप से तैयार किया गया कैंसर वैक्सीन है।
    • इस वैक्सीन को बनाने के लिये शोधकर्त्ता द्वारा रोगियों के ट्यूमर और स्वस्थ ऊतक के नमूने लिये जाते हैं।
      • उनके आनुवंशिक अनुक्रम को डिकोड करने और केवल कैंसर से जुड़े उत्परिवर्ती प्रोटीन को अलग करने के लिये नमूनों का विश्लेषण करने के बाद प्राप्त जानकारी का उपयोग वैक्सीन को तैयार करने हेतु किया गया।
    • व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन उसी mRNA तकनीक का उपयोग करती है जिसका उपयोग कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन के लिये किया गया था।
    • mRNA की वैक्सीन हमारी कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने संबंधी प्रक्रिया को समझने में मदद करती हैं जो हमारे शरीर के अंदर एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है।
  • क्रियाविधि:
    • यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को खोजने और नष्ट करने में मदद करती है।
    • व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन प्रोग्राम्ड डेथ 1 (पीडी-1) नामक प्रोटीन को निष्क्रिय करने के लिये कीट्रूडा के साथ मिलकर काम करती है, जो ट्यूमर को प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में मदद करता है।
    • रोगी में इंजेक्ट किये जाने के बाद रोगी की कोशिकाएँ एक निर्माण इकाई के रूप में कार्य करती हैं, जो उन उत्परिवर्तनों की सटीक प्रतिकृतियाँ बनाती हैं जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली पहचान सकती है और समाप्त कर सकती है।
    • वायरस के बिना म्यूटेशन के संपर्क में आने के बाद शरीर संक्रमण से लड़ना सीख जाता है।
  • प्रभाविकता (Efficacy):
    • वैक्सीन ने कैंसर से मरने या कैंसर के बढ़ने के जोखिम में 44% की कमी प्रदर्शित की।
    • mRNA-4157/V940 और कीट्रूडा का संयोजन सामान्य: सुरक्षित था एवं एक साल के उपचार के बाद अकेले कीट्रूडा की तुलना में लाभ प्रदर्शित करता है।

वैक्सीन के विभिन्न प्रकार:

  • निष्क्रिय वैक्सीन:
    • निष्क्रिय वैक्सीन रोग पैदा करने वाले रोगाणु के निष्क्रिय संस्करण का उपयोग करती है।
    • इस प्रकार के वैक्सीन रोगज़नक को निष्क्रिय करके बनाया जाता है, सामान्यतः ऊष्मा या रसायनों जैसे कि फॉर्मेल्डीहाइड या फॉर्मेलिन का उपयोग किया जाता है। यह रोगज़नक की दोहराने की क्षमता को नष्ट कर देता है या इनकी प्रजनन क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, रोगजनक के विभिन्न हिस्से बरकरार रहते हैं जैसे-एंटीजन (रासायनिक संरचना) जिसकी पहचान प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा की जाती है।
    • क्योंकि रोगजनक मृत होता है, इसलिये न तो यह प्रजनन करने में सक्षम होता है, न ही किसी रोग का कारण बन सकता है। अतः कम प्रतिरक्षा वाले लोगों जैसे कि वृद्ध एवं सहरुग्णता वाले लोगों को इन्हें दिया जाना सुरक्षित होता है और समय के साथ कई खुराक (बूस्टर शॉट्स) की आवश्यकता हो सकती है।
  • सक्रिय वैक्सीन (Live-attenuated Vaccines):
    • सक्रिय वैक्सीन रोग पैदा करने वाले रोगाणु के कमज़ोर (या क्षीण) रूप का उपयोग करती हैं।
    • क्योंकि ये वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण के इतने समान हैं कि वे रोकने में मदद करती हैं, वे एक मज़बूत और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करती हैं।
    • हालाँकि ये वैक्सीन आमतौर पर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को नहीं दी जा सकती है।
    • सक्रिय टीकों का उपयोग निम्न रोगों के विरुद्ध किया जाता है: खसरा, कण्ठमाला, रूबेला (MMR संयुक्त वैक्सीन), रोटावायरस, चेचक आदि।
  • मैसेंजर (m) RNA वैक्सीन:
    • mRNA वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिये प्रोटीन बनाती हैं। mRNA टीकों के अन्य प्रकार के टीकों की तुलना में कई लाभ होते हैं जिनमें कम निर्माण समय भी शामिल है तथा वैक्सीनीकरण कराने वाले व्यक्ति में बीमारी पैदा करने का कोई ज़ोखिम नहीं होता है। क्योंकि इसमें एक मृत वायरस प्रयोग होता है।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव के लिये किया जाता है।
  • सब-यूनिट, पुनः संयोजक, पॉलीसेकेराइड और संयुग्म वैक्सीन:
    • इनमें प्रोटीन, चीनी या कैप्सिड (रोगाणु के चारों ओर एक आवरण) जैसे रोगाणु के विशिष्ट टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। यह बहुत मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करता है।
    • इनका उपयोग कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों पर भी किया जा सकता है।
    • इन टीकों का उपयोग हिब (हीमोफिलस एंफ्लूएंज़ा टाइप बी) रोग, हेपेटाइटिस बी, HPV (ह्यूमन पेपिलोमावायरस), न्यूमोकोकल रोग से बचाने के लिये किया जाता है।
  • टॉक्सोइड वैक्सीन:
    • इनमें रोग का कारण बनने वाले रोगाणु द्वारा निर्मित विष (हानिकारक उत्पाद) का उपयोग किया जाता है। यह रोगाणु के उन हिस्सों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं जो रोगाणु के बजाय रोग का कारण बनते हैं। इसका मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरे रोगाणु के बजाय विष को लक्षित करती है।
    • डिप्थीरिया, टेटनस से बचाव के लिये टॉक्सोइड टीकों का उपयोग किया जाता है।
  • वायरल वेक्टर वैक्सीन:
    • एडिनोवायरस कुछ कोविड-19 टीकों में उपयोग किये जाने वाले वायरल वैक्टर में से एक है जिसका नैदानिक ​​परीक्षणों में अध्ययन किया जा रहा है।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 से बचाव के लिये किया जाता है।
      • कई अलग-अलग वायरस को वैक्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिसमें इन्फ्लूएंज़ा, वेसिकुलर स्टामाटाइटिस वायरस (वीएसवी), खसरा वायरस और एडेनोवायरस शामिल हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं।
    • वायरल वेक्टर वैक्सीन सुरक्षा प्रदान करने के लिये वेक्टर के रूप में एक अलग वायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 से बचाव के लिये किया जाता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. 'रिकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन' के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इन टीकों के विकास में जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जाता है।
  2. बैक्टीरिया और वायरस का उपयोग वेक्टर के रूप में किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न. कोविड-19 वैश्विक महामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की।
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है।
  3. कोवैक्सीन एक निष्कृत रोगजनक आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में कौन से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B

व्याख्या:

  • COVISHIELD वैक्सीन उस प्लेटफॉर्म पर आधारित है जो SARS-CoV-2 स्पाइक (S) ग्लाइकोप्रोटीन को एन्कोडिंग करने वाले एक पुनःसंयोजक, प्रतिकृति-रहित चिंपैंजी एडेनोवायरस वेक्टर का उपयोग करता है। इसे लगाए जाने के बाद कोरोनावायरस के हिस्से की आनुवंशिक सामग्री प्रकट होती है जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • स्पुतनिक V एक अच्छी तरह से अध्ययन किये गए मानव एडेनोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित विश्व की पहली पंजीकृत वैक्सीन है। इसे 4 अरब लोगों की कुल आबादी वाले 71 देशों में उपयोग के लिये मंज़ूरी दी गई है। वैक्सीन का नाम पहले सोवियत अंतरिक्ष उपग्रह के नाम पर रखा गया है। 5 दिसंबर, 2020 और 31 मार्च, 2021 के बीच दोनों वैक्सीन घटकों के साथ वैक्सीन लगाए गए रूसियों के बीच कोरोनावायरस की घटनाओं के आँकड़ों के विश्लेषण के आधार पर वैक्सीन की प्रभावकारिता 97.6% है। अतः कथन 2 सही है।
  • Covaxin एक निष्क्रिय वायरल वैक्सीन है। इस वैक्सीन को होल-विरियन इनएक्टिवेटेड वेरो सेल-व्युत्पन्न तकनीक से विकसित किया गया है। उनमें निष्क्रिय वायरस होते हैं, जो किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय वायरस के खिलाफ एक रक्षा तंत्र तैयार करने में सक्षम बनाया जा सकता है। अतः कथन 3 सही है।

अत: विकल्प B सही है।


प्रश्न. वैक्सीन के विकास के पीछे मूल सिद्धांत क्या है? वैक्सीन कैसे काम करती हैं? कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन के लिये भारतीय वैक्सीन निर्माताओं द्वारा क्या दृष्टिकोण अपनाए गए थे? (मुख्य परीक्षा, 2022)

स्रोत: द हिंदू