सेवा क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण | 02 May 2025
प्रिलिम्स के लिये:सेवा क्षेत्र, डिजिटल इंडिया, AI, ML, स्किल इंडिया डिजिटल, PMKVY 4.0, वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC), डिजिटल साक्षरता। मेन्स के लिये:भारत में निगमित सेवा क्षेत्र के उद्यमों की स्थिति, उनका योगदान, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सेवा क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण पर एक पायलट अध्ययन के निष्कर्ष जारी किये, जिसका उद्देश्य भारत के निगमित सेवा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण डेटा अंतराल को कम करना है, जो कि असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण जैसे मौजूदा सर्वेक्षणों द्वारा कवर नहीं किया गया है।
- इसमें उन सेवा क्षेत्र के उद्यमों को शामिल किया गया है जो कंपनी अधिनियम और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं।
- इसमें पाया गया कि 82.4% उद्यम निजी लिमिटेड कंपनियाँ थीं, इसके बाद सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियाँ (8%) और LLP (8%) थीं।
भारत के लिये सेवा क्षेत्र के उद्यमों का क्या महत्त्व है?
- सकल घरेलू उत्पाद में योगदान: वित्त वर्ष 2024-25 में, सेवा क्षेत्र ने भारत के सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में लगभग 55% का योगदान दिया, जो वित्त वर्ष 14 में 50.6% था।
- वित्त वर्ष 24 में इसने 7.6% की मज़बूत वृद्धि कायम रखी, जो वैश्विक चुनौतियों के बीच इसके लचीलेपन को दर्शाता है।
- रोज़गार सृजन: यह क्षेत्र भारत के लगभग 30% कार्यबल को रोज़गार प्रदान करता है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पर्यटन और खुदरा जैसे उद्योग शामिल हैं।
- वैश्विक व्यापार: अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान भारत का सेवा निर्यात 280.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं में, भारत वैश्विक निर्यात का 10.2% हिस्सा रखता है, जो इस श्रेणी में दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): अप्रैल 2000 से दिसंबर 2024 तक, सेवा क्षेत्र ने 116.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI आकर्षित किया, जो इस अवधि के दौरान भारत के कुल FDI प्रवाह का लगभग 16% है।
- अन्य क्षेत्रों के साथ एकीकरण: उद्योगों में 'सर्विसीफिकेशन' (यानी डिज़ाइन, लॉजिस्टिक्स, और आफ्टर-सेल्स सपोर्ट जैसी सेवाओं का निर्माण प्रक्रियाओं में समावेश) ने उत्पादकता बढ़ाने और औद्योगिक क्षेत्र में मूल्य संवर्द्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- शहरीकरण और डिजिटल इंडिया के लिये महत्त्वपूर्ण: फिनटेक (FinTech) और डिजिटल भुगतान का विस्तार डिजिटल इंडिया की सफलता के लिये अत्यंत आवश्यक है।
- स्मार्ट सिटी मिशन भी इस क्षेत्र पर शहरी गतिशीलता, कचरा प्रबंधन और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिये निर्भर है।
भारत में सेवा क्षेत्र के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- कौशल अंतराल और कार्यबल तत्परता: आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से संकेत मिलता है कि भारत के केवल 51.25% युवा ही रोज़गार योग्य माने जाते हैं, जिनके पास उद्योग की तेजी से विकसित हो रही मांगों को पूरा करने के लिये आवश्यक कौशल हैं।
- विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, भारत के कार्यबल का केवल 5%, जो विश्व में सबसे युवा और सबसे बड़ा है, औपचारिक रूप से कुशल माना जाता है।
- अनौपचारिक रोज़गार प्रभुत्व: 2017-18 में सेवा क्षेत्र की लगभग 78% नौकरियाँ अनौपचारिक थीं।
- गिग वर्कर्स (स्विगी, ओला, उबर) के पास स्वास्थ्य बीमा, सेवानिवृत्ति निधि या सवेतन अवकाश जैसी सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा और संरक्षणवाद: सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के समक्ष वीज़ा प्रतिबंध (जैसे, अमेरिका द्वारा H-1B की अस्वीकृति), प्रतिस्पर्द्धी केंद्रों के उदय {जैसे, फिलीपींस (BPO), वियतनाम (IT)} और लागत लाभ में कमी (जैसे, भारतीय IT क्षेत्र के वेतन में औसतन वार्षिक 8-10% की वृद्धि) जैसी चुनौतियाँ विद्यमान हैं।
- बुनियादी ढाँचे का अभाव: बड़ी इकाइयों ने अभी भी AI और ML का पूर्ण रूप से अंगीकार नहीं किया है, जो कनेक्टिविटी और ग्राहक सहभागिता बढ़ाने की दृष्टि से आवश्यक हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं, SC-ST और अन्य उपांतिकीकृत समूहों द्वारा संचालित अधिकांश MSME इकाइयों के पास बुनियादी डिजिटल टूल का अभाव है।
- महामारी के बाद की सुभेद्यताएँ: भारत में विदेशी पर्यटकों का आगमन अभी भी महामारी से प्रभावित है, जहाँ वर्ष 2024 की पहली छमाही में विदेशी पर्यटकों का आगमन वर्ष 2019 की पहली छमाही का लगभग 90% था।
सेवा क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?
- कौशल उन्नयन: AI, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में श्रमिकों को प्रमाणित करने के लिये स्किल इंडिया डिजिटल का विस्तार करने और PMKVY 4.0 के तहत व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।
- रोज़गार क्षमता बढ़ाने तथा शैक्षिक ज्ञान और उद्योग आवश्यकताओं के बीच अंतराल को कम करने के लिये प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (PMIS) का और अधिक सुदृढ़ता से कार्यान्वन करने की आवश्यकता है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता का सुदृढ़ीकरण: वीज़ा प्रतिबंधों को कम करने के लिये यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर वार्ता की जानी चाहिये।
- सूचना प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास तथा वित्त जैसे विभिन्न कार्यों को समर्थन देने के लिये भारत के विशाल प्रतिभा पूल का लाभ उठाने हेतु वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- डिजिटल अवसंरचना और साइबर सुरक्षा: सुदृढ़ ढाँचे में निवेश करके, सुरक्षित क्लाउड अपनाने को बढ़ावा देकर, विशेष रूप से वित्तीय संस्थानों में, और सुरक्षित और प्रभावी तकनीक उपयोग के लिये डिजिटल साक्षरता को बढ़ाकर साइबर सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण करना चाहिये।
- टियर-2 और टियर-3 शहरों में विकास को बढ़ावा देना: नीति आयोग द्वारा बुनियादी ढाँचे और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में सेवा क्षेत्र के विकास को विकेंद्रित करने की पहल निर्णायक है।
निष्कर्ष
सेवा क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है जिसका सकल घरेलू उत्पाद, रोज़गार और वैश्विक व्यापार में प्रमुख योगदान है। हालाँकि, कौशल अंतराल, अनौपचारिक रोज़गार और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा जैसी चुनौतियाँ विकास में बाधाक हैं। अपस्किलिंग, बुनियादी ढाँचे के विकास एवं छोटे शहरों में विकास को बढ़ावा देने के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने से इस क्षेत्र में अनुकूलन और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिल सकता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: आर्थिक क्षेत्र में निर्णायक होने के बावजूद, भारत के सेवा क्षेत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ कौन सी हैं तथा इसे और अधिक समावेशी एवं लचीला किस प्रकार बनाया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: ‘आठ कोर उद्योग सूचकांक' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015) (a) कोयला उत्पादन उत्तर: b मेन्स:प्रश्न. "सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइए। औद्योगिक नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017) प्रश्न. सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014) |