शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER Report-2018) | 16 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2018 (Annual Status of Education Report-ASER, 2018) जारी की गई। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट भारत की शिक्षा प्रणाली के परिणामों के मद्देनज़र पेश की जाती है।

प्रमुख बिंदु

  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2018 में 596 ज़िलों के 3,54,944 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है।
  • इस सर्वेक्षण में 3 से 16 साल की उम्र के 5,46,527 बच्चों को शामिल किया गया।
  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2018 में 15,998 ग्रामीण सरकारी स्कूलों का भी अवलोकन किया गया है।
  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट में हर वर्ष यह जाँच की जाती है कि ग्रामीण भारत के कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं और आसान पाठ पढ़ पाने व बुनियादी गणित के प्रश्नों को हल करने में सक्षम हैं।
  • 2005, 2007 और 2009 से निरंतर, इस सर्वेक्षण में चयनित गाँव के एक सरकारी स्कूल का अवलोकन भी किया जाता है।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2010 के बाद इस सर्वेक्षण में उन मापन योग्य मानकों को भी शामिल किया गया, जो इस काननू के तहत देश के किसी भी विद्यालय के लिये बाध्यकारी हैं।

असर (ASER) 2018 में शामिल किये गए क्षेत्र

  • स्कूली स्तर: नामांकन और उपस्थिति
  • अधिगम स्तर: पढ़ने व गणित के प्रश्नों को हल करने का बुनियादी कौशल
  • अधिगम स्तर: ‘बुनियादी शिक्षा स्तर से ऊपर’
  • स्कूलों का अवलोकन

♦ छोटे स्कूल
♦ स्कूल में निहित सुविधाएँ
♦ शारीरिक शिक्षा और खेल सुविधाएँ
♦ शिक्षक और छात्र की उपस्थिति

असर (ASER) 2018 के मुख्य निष्कर्ष

  • पढ़ने की स्थिति

कक्षा 5: कक्षा 5 में नामांकित आधे से अधिक छात्र कक्षा 2 के पाठ को पढ़ सकने में सक्षम हैं। यह आँकडा 2016 में 47.9% था जो 2018 में बढ़ कर 50.3% पर आ गया है। कुछ राज्यों के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 5 के बच्चों ने इस दौरान कुछ सुधार दर्ज़ किया है। ये राज्य इस प्रकार हैं- हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम।

कक्षा 8: भारत में अनिवार्य स्कूली शिक्षा का अंतिम पड़ाव कक्षा 8 है। इस स्तर पर छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि उन्हें कम-से-कम बुनियादी कौशल में महारत हासिल हो। किंतु असर (ASER) 2018 के आँकडों से यह पता चलता है कि कक्षा 8 के 27 प्रतिशत छात्र कक्षा 2 के पाठ पढ़ने में भी सक्षम नहीं हैं। यह आँकड़ा 2016 से जस-का-तस बना हुआ है।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर 14 से 16 वर्ष की उम्र के सभी लड़कों में से 50 फीसदी गणितीय भाग (Devision) के प्रश्नों को ठीक-ठीक हल कर लेते हैं जबकि सिर्फ 44 फीसदी लड़कियाँ ही ऐसा कर सकती हैं।
  • 2018 में 6 से 14 साल के उम्र समूह के ऐसे बच्चे जिनका दाखिला स्कूल में नहीं हुआ उनका प्रतिशत तीन फीसदी से गिरकर 2.8 फीसदी हो गया है।

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) क्या है?

  • असर (Annual Status of Education Report-ASER) एक वार्षिक सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य भारत में प्रत्येक राज्य और ग्रामीण ज़िले के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति और बुनियादी शिक्षा के स्तर का विश्वसनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करना है।
  • यह आम लोगों द्वारा किया जाने वाला देश का सबसे बड़ा वाला सर्वेक्षण है साथ ही यह देश में बच्चों की शिक्षा के परिणामों के बारे में जानकारी का एकमात्र उपलब्ध वार्षिक स्रोत भी है।
  • इस सर्वेक्षण की शुरुआत 2005 में की गई थी।
  • यह सर्वेक्षण शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थ गैर-व्यवसायिक संस्था 'प्रथम' द्वारा कराया जाता है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम

  • भारत में शिक्षा का अधिकार’ संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में उल्लिखित है।
  • 2 दिसंबर, 2002 को संविधान में 86वाँ संशोधन किया गया और अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया।
  • इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right of Children to Free and Compulsory Education-RTE Act) बनाया गया।
  • इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सार्वभौमिक समावेशन को बढ़ावा देना तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन के नए अवसर सृजित करना है।
  • इसके तहत 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिये शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अंगीकृत किया गया।

स्रोत- असर की आधिकारिक वेबसाइट