एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध और मानव स्वास्थ्य | 04 May 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र अंतर-समन्वय समूह ने ‘No Time To Wait: Securing The Future From Drug-Resistant Infections’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक हर साल दवा-प्रतिरोधी बीमारियों से 10 मिलियन लोगों की मृत्यु की आशंका है।

प्रमुख बिंदु

  • एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) एक वैश्विक संकट है जो किसी भी राष्ट्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा उत्पन्न करता है।
  • मनुष्यों, जानवरों और पौधों में प्रतिजैविक दवाओं के बढ़ते प्रयोग के कारण प्रतिजैविक प्रतिरोध के प्रसार में तेज़ी आ रही है।
  • इसके मद्देनज़र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है, यदि ऐसा नही होता है तो यह भावी पीढ़ियों के लिये विनाशकारी साबित हो सकता है।
  • मौजूदा समय में प्रतिरोधी रोगों के कारण वैश्विक स्तर पर हर साल कम से कम 7,00,000 लोग मारे जाते हैं, जिनमें लगभग 2,30,000 ऐसे लोग शामिल हैं जो बहुऔषधि-प्रतिरोधी तपेदिक (Multidrug-Resistant Tuberculosis) से मरते हैं।
  • सही समय पर रोकथाम हेतु प्रयास नहीं किये जाने की स्थिति में यह बीमारी 2030 तक करीब 24 मिलियन लोगों को गरीबी के कगार पर पहुँचा देगी तथा आने वाली पीढ़ियों को अनियंत्रित रोगाणुरोधी प्रतिरोध के विनाशकारी प्रभावों का सामना करना पड़ेगा।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध के वाहक मनुष्यों, जानवरों, पौधों, भोजन और पर्यावरण में निहित हैं।
  • इस प्रकार एक साझा दृष्टिकोण और लक्ष्यों वाले सभी हितधारकों को एकजुट होकर कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • सभी देशों के लिये ज़रूरी है कि वे ऐसी योजनाओं को प्राथमिकता दें जिससे उनकी वित्तीय एवं क्षमता निर्माण में वृद्धि हो एवं प्रतिजैविकों के अधिक प्रयोग को रोकने के लिये तथा लोगों को जागरूक करने के लिये पेशेवर लोगों को भी साथ लाना ज़रूरी है।
  • सभी देशों द्वारा प्रतिजैविक प्रतिरोध से निपटने हेतु नई प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान और विकास में निवेश करना भी आवश्यक है।

प्रतिजैविक प्रतिरोध पर संयुक्त राष्ट्र अंतर समन्वय समूह (Interagency Coordination Group-IACG)

  • IACG की स्थापना 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation), खाद्य और कृषि संगठन (Food And Agriculture Organisation) तथा विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (world Organisation For Animal Health- OIE) के परामर्श से की गई थी।
  • IACG का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को रोकने के लिये व्यावहारिक रूप से मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि इसके प्रसार को रोका जा सके।

IACG की सिफारिशें

  • सभी देशों के विकास की गति को बढ़ाना

सदस्य राज्यों हेतु एंटीमाइक्रोबियल्स से निपटने के लिये नए संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करने का प्रयास होना चाहिये। साथ ही एसडीजी के संदर्भ में एक स्वास्थ्य राष्ट्रीय रोगाणुरोधी प्रतिरोध कार्य योजना (One Health National Antimicrobial Resistance Action Plan) के विकास और कार्यान्वयन में तेजी लाना।

  • भविष्य को सुरक्षित करने के लिये नवाचार

सरकारी, गैर-सरकारी, लोक हितैषी लोगों को इस क्षेत्र में निवेश करने हेतु आगे आना चाहिये ताकि उच्च गुणवत्ता वाले माइक्रोबियल्स का निर्माण हो सके। उच्च कोटि के नए माइक्रोबियल्स की पहुँच को सरल और सहज बनाने का प्रयास करना आवश्यक है।

  • अधिक प्रभावी कार्यवाही को प्रेरित करना

रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रति एक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु नागरिक समूहों और संगठनों के बीच व्यवस्थित रूप से समन्वय आवश्यक है।

  • सतत् प्रतिक्रिया के लिये निवेश आकर्षित करना

IACG एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटने के लिये ज़्यादा से ज़्यादा निवेश की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, जिसमें सभी देशों में घरेलू निवेश शामिल है जो द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वित्तीय विकास संस्थान तथा बैंक एवं निजी निवेशक हो सकते हैं।

  • मज़बूत जवाबदेही और वैश्विक शासन

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटने के लिये एक स्वास्थ्य वैश्विक नेतृत्व समूह की तत्काल स्थापना करने की आवश्यकता है, जो त्रिपक्षीय एजेंसियों (FAO, OIE, और WHO) द्वारा प्रबंधित एक संयुक्त सचिवालय द्वारा समर्थित हो।

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ कार्रवाई के लिये एक स्वतंत्र पैनल का गठन करने की आवश्यकता है जो इसकी निगरानी करेगा और सदस्य राज्यों को रोगाणुरोधी प्रतिरोध से संबंधित विज्ञान और साक्ष्यों पर नियमित रिपोर्ट प्रदान करेगा।

स्रोत: द हिंदू