अमरनाथ फ्लैश फ्लड | 11 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

फ्लैश फ्लड, क्लाउड बर्स्टिंग, फंडामेंटल्स ऑफ फिज़िकल जियोग्राफी, इंडियन फिजिकल जियोग्राफी, डिजास्टर मैनेजमेंट बॉडीज़, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ

मेन्स के लिये:

फ्लैश फ्लड और क्लाउड बर्स्टिंग के लिये भौगोलिक कारक, आपदा प्रबंधन निकाय और उनकी भूमिका, भौतिक भूगोल के मूल तत्त्व, भारतीय भौतिक भूगोल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य कश्मीर के गांदरबल इलाके में बालटाल आधार शिविर के पास फ्लैश फ्लड के कारण भूस्खलन हुआ।

  • इस घटना में 13 तीर्थयात्री मारे गए हैं और दर्जनों लापता हैं।

अमरनाथ के बारे में:

  • अमरनाथ भारत के जम्मू और कश्मीर में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
  • यह गुफा 3,888 मीटर की ऊंँचाई पर स्थित है, श्रीनगर से लगभग 100 किमी दूर जो जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी है, यहाँ पहलगाम शहर के माध्यम से पहुंँचा जा सकता है।
  • मंदिर हिंदू धर्म के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अमरनाथ यात्रा इस बार तीन वर्ष बाद फिर से शुरू हुई।
  • वार्षिक यात्रा में गुफा मंदिर तक पहुंँचने के लिये दक्षिण में पहलगाम और मध्य कश्मीर में सोनमर्ग के दो मार्ग हैं।

Amarnath-yatra-route

अमरनाथ फ्लैश फ्लड:

  • फ्लैश फ्लड:
    • इसमें आमतौर पर बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में अचानक वृद्धि होती है।
    • ये बहुत ऊँची चोटी के साथ छोटी अवधि की अत्यधिक स्थानीयकृत घटनाएँ हैं और आमतौर पर वर्षा और चरम बाढ़ की घटना के बीच छह घंटे से भी कम समय होता है।
    • पानी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा डालने वाली जल निकासी लाइनों या अतिक्रमणों की उपस्थिति में बाढ़ की स्थिति और खराब हो जाती है।
  • कारण:
    • यह घटना भारी बारिश की वजह से तेज़ आँधी, तूफान, उष्णकटिबंधीय तूफान, बर्फ का पिघलना आदि के कारण हो सकती है।
    • फ्लैश फ्लड की घटना बाँध टूटने और/या मलबा प्रवाह के कारण भी हो सकती है।
    • ज्वालामुखियों पर या उसके आस-पास के क्षेत्रों में विस्फोट के बाद अचानक बाढ़ भी आई है, जब भीषण गर्मी से ग्लेशियर पिघल जाते हैं।
    • वर्षा की तीव्रता, वर्षा का स्थान और वितरण, भूमि उपयोग तथा स्थलाकृति, वनस्पति के प्रकार एवं विकास/घनत्व, मृदा का प्रकार, मृदा, जल- सामग्री सभी यह निर्धारित करते हैं कि फ्लैश फ्लडिंग कितनी जल्दी हो सकती है और यह कहांँ प्रभावित करती है।

बादल फटना:

  • परिचय:
    • बादल फटना एक छोटे से क्षेत्र में छोटी अवधि की तीव्र वर्षा की घटना है।
    • यह लगभग 20-30 वर्ग किमी. के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मिमी./घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा के साथ एक मौसमी घटना है।
    • भारतीय उपमहाद्वीप में आमतौर पर यह घटना तब घटित होती है जब मानसून उत्तर की ओर, बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मैदानी इलाकों में और फिर हिमालय की ओर बढ़ता है जो कभी-कभी प्रति घंटे 75 मिलीमीटर वर्षा करता है।
  • घटना:
    • सापेक्षिक आर्द्रता और मेघ आवरण, निम्न तापमान एवं धीमी हवाओं के साथ अधिकतम स्तर पर होता है, जिसके कारण बादल बहुत अधिक मात्रा में तीव्र गति से संघनित होते हैं और इसके परिणामस्वरूप बादल फट सकते हैं।
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वातावरण अधिक-से-अधिक नमी धारण कर सकता है और यह नमी कम अवधि में बहुत तीव्र वर्षा (शायद आधे घंटे या एक घंटे के लिये) का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आती है और शहरों में शहरी बाढ़ कि स्थिति देखी जाती हैं।
  • बादल फटना और वर्षण:
    • वर्षण बादल से गिरने वाला संघनित जल है, जबकि बादल फटना (Cloudburst) अचानक भारी वर्षण है।
    • प्रति घंटे 100 मिमी से अधिक वर्षण को बादल फटने के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • बादल फटना प्राकृतिक घटना है, लेकिन यह काफी अप्रत्याशित रूप से अचानक और बाद के रूप में उत्पन्न होती है।
  • बादल फटने का परिणाम:

अमरनाथ जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटना:

  • पहाड़ी क्षेत्रों में कभी-कभी संतृप्त बादल संघनित हो जाते हैं लेकिन ऊपर की ओर वायु के बहुत गर्म प्रवाह के कारण बारिश नहीं कर पाते हैं।
    • वर्षा की बूंँदों को नीचे की ओर गिरने की बजाय वायु प्रवाह द्वारा ऊपर की ओर ले जाया जाता है। जिससे नई बूँदें बनती हैं और मौजूदा वर्षा की बूंदों का आकार बढ़ जाता है।
    • एक बिंदु के बाद बारिश की बूँदें इतनी भारी हो जाती हैं कि बादल ऊपर टिके नहीं रह पाते और वे एक साथ त्वरित रूप से नीचे गिर जाते हैं।
  • वर्ष 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन ने केदारनाथ क्षेत्र में बादल फटने के पीछे के मौसम संबंधी कारकों की जांँच की, जहांँ बादल फटने से वर्ष 2013 की विनाशकारी बाढ़ में आई।
    • इसमें पाया गया कि बादल फटने के दौरान कम तापमान और धीमी हवाओं के साथ सापेक्षिक आर्द्रता एवं बादलों का आवरण अधिकतम स्तर पर था।

स्रोत: द हिंदू