अल्ज़ाइमर रोग और ट्रोजन हॉर्स | 22 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

अल्ज़ाइमर रोग

मेन्स के लिये:

अल्ज़ाइमर रोग से निपटने हेतु शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए प्रयास 

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी (Indian Institute of Technology, Guwahati- IITG) के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित ‘ट्रोजन हॉर्स’ (Trojan Horse) विधि अल्ज़ाइमर रोग संबंधी स्मृति ह्रास को रोकने में मददगार साबित हो सकती है।

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि ‘ट्रोजन हॉर्स’ विधि (ट्रोजन पेप्टाइड्स का उपयोग) की मदद से मस्तिष्क में न्यूरोटॉक्सिक मॉलिक्यूल (Neurotoxic Molecules) के संचय को रोका जा सकता है। 
  • ट्रोजन पेप्टाइड्स (Trojan Peptides) का उपयोग एक कम वोल्टेज वाले विद्युत क्षेत्र के रूप में किया जाता है जो मस्तिष्क में ‘एमीलॉइड प्लेक्स’ (Amyloid Plaques) के एकत्रीकरण को रोकता है। 
  • मस्तिष्क में एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स (Amyloid-beta Peptides) के संचय के कारण अल्ज़ाइमर रोग होता है। 
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, बाहरी विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग कर एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स के संचय को रोका जा सकता है जिसके कारण अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित होने की संभावना कम हो जाती है।
  • एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स ‘एमीलॉइड प्लेक्स’ के ही समान होता है जो एक निश्चित अवधि के बाद धमनियों को अवरुद्ध कर रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स (Amyloid Beta Peptides) के संचय से अल्ज़ाइमर रोग होता है। इससे हृदय संबंधी रोग भी उत्पन्न होते हैं।

कार्यप्रणाली:

  • ट्रोजन पेप्टाइड शरीर में मौजूद पेप्टाइड की तरह ही होता है किंतु जब यह शरीर में मौजूद अन्य पेप्टाइड्स के साथ मिश्रित होता है, तो इसका कार्य एकत्रीकरण के विपरीत हो जाता है।
  • ट्रोजन पेप्टाइड के इंजेक्शन के माध्यम से तंत्रिका कोशिकाओं के नष्ट होने की दर को 17-35% तक कम किया जा सकता है। इस विधि से अल्ज़ाइमर रोग को लगभग 10 वर्ष तक रोका जा सकता है।

अल्ज़ाइमर रोग 

  • अल्ज़ाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorder) है जो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट करता है। 
  • इसके कारण रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति कमज़ोर हो जाती है उसे कुछ भी याद नहीं रहता है, उसकी निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है, स्वभाव में लगातार परिवर्तन होता रहता है, आदि। 
  • प्रारंभ में ये लक्षण कम मात्रा में होते हैं लेकिन समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो यह गंभीर और असाध्य हो जाता है। 
  • 55-60 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में अल्ज़ाइमर, डिमेंशिया (dementia) का प्रमुख कारण है। डिमेंशिया रोग मानसिक रोगों का एक समूह होता है जिसमें व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता घट जाती हैं। 
  • यह रोग मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की टैंगल्स (Tangles) नामक प्रोटीन निर्माण के कारण होता है। 
  • उम्र बढ़ने के साथ साथ इसका खतरा और बढ़ जाता है लेकिन कभी-कभी दुर्लभ आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण इसके लक्षण 30 वर्ष की आयु के लोगो में भी देखने को मिल जाते है। 
  • अल्ज़ाइमर एक असाध्य रोग है क्योंकि इसमें मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं, जो पुनः जीवित नहीं हो सकती हैं। 
  • यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज़ के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अल्ज़ाइमर होने का खतरा दोगुना होता है।
  • अल्ज़ाइमर रोग का इलाज भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका और चीन के बाद भारत इस रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित है।

स्रोत: द हिंदू