भारत का संशोधित विदेशी प्राधिकरण आदेश 1964 एवं नए प्राधिकरण | 10 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC) को आधार बनाकर अवैध रूप से निवास कर रहे विदेशी प्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से निकालने के लिये विशेष दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • गृह मंत्रालय ने विदेशी (ट्रिब्यूनल्स) आदेश, 1964 [Foreigners (Tribunals) Order,1964] को संशोधित करते हुए कहा कि सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश अपने राज्य में प्राधिकरण स्थापित करेंगे जो यह तय करेगा कि अवैध रूप से निवास करने वाला व्यक्ति विदेशी है या नहीं । इससे पहले प्राधिकरण स्थापित करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास थी।
  • ये प्राधिकरण अर्द्ध-न्यायिक निकाय होते हैं, असम में देखें तो ये निकाय यह सुनिश्चित करते हैं कि अवैध रूप से निवास कर रहा व्यक्ति विदेशी है या नहीं ।
  • यदि पुलिस किसी ऐसे अवैध रूप से निवास करने वाले विदेशी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो उसे स्थानीय अदालत में पेश किया जाता है एवं उसे पासपोर्ट एक्ट 1920 या फोरेनर एक्ट 1946 के तहत तीन महीने से आठ साल तक की सज़ा हो सकती है।
  • विदेशी (ट्रिब्यूनल) आदेश 1964 के अनुसार, यह केंद्र सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि वह प्राधिकरण से यह प्रश्न कर सकती है कि कोई व्यक्ति विदेशी अधिनियम, 1946 (Foreigners Act 1946) के अंतर्गत विदेशी है या नहीं एवं इस मामले पर राय भी ले सकती है।
  • इसके साथ ही कुछ दिनों पहले गृह मंत्रालय ने इस आदेश को संशोधित कर केंद्र सरकार शब्द को प्रतिस्थापित करते हुए इसके स्थान पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, संघ शासित प्रदेश के प्रशासक, ज़िलाधिकारी शब्द जोड़े गए।
  • 31 जुलाई को NRC की अंतिम रिपोर्ट के प्रकाशन से पूर्व अवैध प्रवासियों की जाँच करने के लिये असम में लगभग 1000 ट्रिब्यूनल्स स्थापित करने की मंज़ूरी दे दी है ताकि अवैध प्रवासियों की पहचान ठोस तरीके से हो सके।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, भारत के रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General of India-RGI) ने असम में भारतीय नागरिकों और अवैध रूप से प्रवासियों को अलग करने के लिये पिछले वर्ष 30 जुलाई, 2018 को NRC की अंतिम मसौदा सूची तैयार की थी। इसमें उन लोगो की पहचान की गई जो 25 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुस आए थे।
  • इस मसौदे के आधार पर लगभग 40 लाख लोगों को चिह्नित किया गया जो अवैध रूप से भारत में निवास कर रहे थे। इनमें से 36 लाख लोगों ने इस मसौदे के खिलाफ याचिका दायर की, जबकि लगभग 4 लाख लोगों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
  • वर्ष 2019 में संशोधित विदेशी (ट्रिब्यूनल्स) आदेश में प्रत्येक व्यक्ति को ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी बात रखने की शक्ति प्रदान की गई। इससे पहले राज्य सरकार ही किसी संदिग्ध के खिलाफ ट्रिब्यूनल में जा सकती थी लेकिन अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) प्रकाशित होने के साथ ही इसमें जिन व्यक्तियों का नाम शामिल नहीं है उनको यह अवसर प्रदान किया गया कि वह इसके विरुद्ध ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं।
  • इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग की थी।
  • संशोधित आदेश ज़िलाधिकारियों को यह अनुमति प्रदान करता है ऐसे व्यक्ति जिन्होंने NRC के विरुद्ध ट्रिब्यूनल में कोई आपत्ति दर्ज़ नहीं कराई है, के संदर्भ में ज़िलाधिकारी यह तय कर सकता है कि वह व्यक्ति विदेशी है या नहीं।
  • सरकार के अनुसार, जिन व्यक्तियों ने NRC के विरुद्ध आपत्ति नहीं जताई है उन्हें यह अवसर प्रदान किया गया है कि वे भी ट्रिब्यूनल के पास जा सकते हैं और उन्हें अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिये नए सिरे से सम्मन जारी किया जाएगा।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC)

  • NRC वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था।
  • रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों का विवरण शामिल था। इसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया जा रहा है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं। उसके बाद राज्य में पहुँचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा।
  • NRC उन्हीं राज्यों में लागू होती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं। NRC की रिपोर्ट ही बताती है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।

स्रोत- द हिंदू