सरकार ने FRDI विधेयक को वापिस लेने का लिया फैसला : बैंकों में जमा पैसा रहेगा सुरक्षित | 19 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 (Financial Resolution and Deposit Insurance-FRDI) को छोड़ने का फैसला किया है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता तो बैंकों में जमा धन पर जमाकर्त्ता का अधिकार खत्म हो सकता था। उल्लेखनीय है कि इस विधेयक का सार्वजनिक रूप से विरोध किये जाने के बाद सरकार ने इसे वापिस लेने का फैसला किया है।

क्या है FRDI विधेयक?

  • सरकार ने 10 अगस्त, 2017 को यह विधेयक संसद में प्रस्तुत किया था और उसके बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा था। समिति ने अभी तक इस विधेयक पर कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है।
  • सरकार द्वारा यह विधेयक बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिये तैयार किया गया था। यदि बैंकों के कारोबार करने की क्षमता ख़त्म हो जाती है और बैंक अपने पास जमा आम जनता के धन को वापिस नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में यह विधेयक बैंकों को इस संकट से बाहर निकलने में मदद करता। 
  • इस विधेयक में दो विवादास्पद खंड थे- पहला बेल-इन प्रावधान और दूसरा, जमाराशि पर बीमा कवर।
  • यदि यह बेल-इन प्रावधान लागू हो जाता तो बैंक में जमा धन पर जमाकर्त्ता से अधिक बैंक का अधिकार होता। बेल-इन के तहत बैंक चाहते तो ख़राब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर जमाकर्त्ता द्वारा जमा किये धन को लौटाने से इनकार कर सकते थे। 

बेल-इन तथा जमाराशि पर बीमा कवर 

  • बेल-इन का तात्पर्य है कर्ज़दारों और जमाकर्त्ताओं के धन से अपने नुकसान की भरपाई करना। FRDI विधेयक में यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाने से बैंकों को यह अधिकार मिल जाता। 
  • वर्तमान नियमों के अनुसार, अगर कोई बैंक या कोई अन्य वित्तीय संस्थान दिवालिया होता है तो ऐसी स्थिति में जमाकर्त्ता को एक लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है। 

FRDI विधेयक से होने वाले नुकसान?

  • सरकार ने यह विधेयक इसलिये प्रस्तुत किया था कि बैंकों को दिवालिया होने से बचाया जा सके, अतः किसी भी स्थिति में यदि बैंकों की कार्यक्षमता कम होती तो वे जमाकर्त्ता का धन लौटाने से इनकार कर देते। 
  • ‘बेल-इन’ के तहत बैंक सरलता से ग्राहक के पैसे का भुगतान करने से या तो मना कर देता है या इसके स्थान पर वरीयता शेयरों अर्थात् परेफरेंस शेयरों  (निश्चित लाभांश की कोई गारंटी नहीं) के रूप में ग्राहक को प्रतिभूतियाँ जारी करता है।
  • वर्तमान में जमा पर 1 लाख रुपए तक बीमा कवर प्राप्त है लेकिन इस विधेयक ने वर्तमान बीमा प्रणाली में कानूनी प्रावधान को हटाने और इस सुरक्षा को एक नए तरीके से परिभाषित करने का प्रस्ताव किया है।

मौजूदा समाधान प्रक्रिया

  • दिवालियापन और दिवालियापन संहिता 2016 के साथ, गैर-वित्तीय फर्मों के लिये मुख्य रूप से एक व्यापक संकल्प व्यवस्था सामने आई है, लेकिन वित्तीय फर्मों के लिये ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
  • विधेयक एक व्यापक संकल्प व्यवस्था प्रदान करने का इरादा रखता है जो यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि वित्तीय सेवा प्रदाता की विफलता की स्थिति में, जमाकर्त्ताओं के पक्ष में त्वरित, व्यवस्थित और कुशल समाधान उपलब्ध कराया जाए।