अफ्रीकन स्वाइन फीवर | 04 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

अफ्रीकन स्वाइन फीवर, क्लासिकल स्वाइन फीवर

मेन्स के लिये:

अफ्रीकन स्वाइन फीवर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने असम राज्य सरकार को 'अफ्रीकीन स्वाइन फीवर' (African Swine Fever- ASF) से प्रभावित सूअरों का इलाज करने की सलाह दी है।

मुख्य बिंदु:

  • ASF पूर्वी असम में नवंबर-दिसंबर 2019 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे चीन के इलाकों में रिपोर्ट किया गया था। ASF के कारण भारत में अप्रैल के मध्य में सूअरों की मौत होना शुरू हो गई थी तथा अब तक लगभग 2,500 सूअरों की मौत हो चुकी है। 
  • असम में ASF के कारण स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है क्योंकि असम में किसानों द्वारा सूअरों का पालन किया जाता है तथा इस क्षेत्र के किसानों के पास 20 लाख से अधिक सूअर हैं।

अफ्रीकीन स्वाइन फीवर

(African Swine Fever):

  • ASF घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल (Haemorrhagic Viral) बीमारी है।
  • यह एसफेरविरिडे (Asfarviridae) परिवार के DNA वायरस के कारण होता है। हालाँकि ASF और ‘क्लासिकल स्वाइन फीवर’ (Classical Swine Fever- CSF) के लक्षण समान हो सकते हैं लेकिन ASF तथा CSF के वायरस बिल्कुल भिन्न प्रकार के तथा दूसरे से असंबंधित है।

DNA वायरस:

  • DNA वायरस में DNA जीनोम होते हैं तथा ये मेजबान (Host) में DNA पॉलिमरेज़ की प्रक्रिया द्वारा वृद्धि करते हैं।
    • DNA पोलीमरेज़ एक विशेष प्रकार का प्रोटीन अणु होता है, जिसे एंजाइम कहा जाता है, यह एकल-स्ट्रैंड DNA श्रृंखला में पूरक क्षारों को जोड़ने का काम करता है।
  • इस वायरस को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है: 
    • एकल-स्ट्रैंड DNA वायरस (Single-Strand DNA Viruses) जैसे-परवो वायरस (Parvo Viruses)
    •  द्वि-स्ट्रैंड DNA वायरस (Double-Strand DNA Viruses)
    • डबल-स्ट्रैंड DNA वायरस को तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है:
      • छोटे आकार वाले DNA जीनोम जैसे कि पॉलीओमा वायरस;  (Polyomaviruses) और पेपिलोमा वायरस (Papilloma viruses)
      • मध्यम आकार के DNA जीनोम जैसे कि एडेनो वायरस (Adenoviruses);
      • बड़े आकार के DNA जीनोम; 
  • ASF महामारी का संचरण और प्रसार प्रक्रिया जटिल है तथा ASF का संचरण निम्न प्रकार का हो सकता है:
    • प्रत्यक्ष संक्रमण; घरेलू या जंगली सूअरों के साथ संपर्क में आने पर।
    • अप्रत्यक्ष संपर्क; यथा दूषित सामग्री के उपयोग करने से जैसे कि खाद्य अपशिष्ट, कचरा आदि के माध्यम से।
    •  संदूषित फाइटाइट्स (Fomites) या जैविक जीवाणुओं के माध्यम से।
      • संदूषित फाइटाइट्स ऐसी वस्तुएँ या सामग्री होती हैं जिनसे संक्रमण की संभावना है, जैसे कपड़े, बर्तन और फर्नीचर आदि।

ASF और मानव स्वास्थ्य:

  • ASF मानव स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इसका मानव में इसका प्रसार नहीं होता है। 

नैदानिक संकेत (Clinical Signs):

  • ASF बीमारी के लक्षण तथा मृत्यु दर वायरस की क्षमता तथा सुअर की प्रजातियों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। 
  • ASF के लक्षणों में उच्च बुखार का आना, अवसाद, भूख में कमी होना, त्वचा में रक्तस्राव (कान, पेट और पैरों पर आदि की त्वचा का लाल होना), गर्भपात होना आदि है।

रोकथाम और नियंत्रण:

  • वर्तमान में ASF के लिये कोई अनुमोदित टीका नहीं है।

भौगोलिक वितरण (Geographical Distribution):

  • ASF एशिया, यूरोप और अफ्रीका के जंगली और घरेलू सूअरों में मौजूद है।

ASF तथा CSF में में समानता और अंतर:

ASF

CSF

दोनों में 

वायरस 

बड़े DNA वायरस

छोटे RNA वायरस 

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संचरण 

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दोनों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से संचरण एवं प्रसार 

निवारक एवं नियंत्रण मानक 

कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं 

प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध 

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स्रोत: द हिंदू