तमिलनाडु ने निजी स्कूलों को नियंत्रित करने वाले अधिनियम को पारित किया | 06 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

राज्य सरकार ने हाल ही में तमिलनाडु प्राइवेट स्कूल (विनियमन) अधिनियम, 2018, सर्वसम्मति से पारित कर दिया है जिसे मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की देखभाल और सुरक्षा पर ज़ोर देने के लिये विनियमित किया गया है। इसका उद्देश्य प्रवेश, शुल्क संग्रह, परीक्षाओं के संचालन और निजी स्कूलों में बुनियादी न्यूनतम मानकों एवं मानदंडों को सुनिश्चित कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है।

अधिनियम के प्रावधान 

  • यह कानून मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं करने वाले किसी भी निजी स्कूल में छात्रों के प्रवेश को प्रतिबंधित करता है|
  • छात्रों के हितों की रक्षा के लिये  विधेयक में ख़राब अकादमिक प्रदर्शन के कारण किसी भी छात्र को बोर्ड परीक्षा में उपस्थित होने से रोके जाने पर राज्य सरकार को गंभीर दंड लागू करने का अधिकार देता है।
  • सरकार ने बच्चों के लिये नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 तथा  तमिलनाडु यूनिफॉर्म सिस्टम ऑफ स्कूल एजुकेशन एक्ट, 2010 के प्रकाश में सभी निजी स्कूलों को नियंत्रित करने के लिये 2012 में नया व्यापक अधिनियम सुझाए जाने के लिये एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की घोषणा की थी।
  • समिति ने विचार के लिये मसौदा अधिनियम सरकार को प्रस्तुत किया था। मसौदे के आधार पर  सरकार ने एक व्यापक कानून बनाने का फैसला किया था|
  • विधेयक के प्रावधान राज्य सरकार के अधिकारियों को निजी स्कूलों के बुनियादी ढाँचे और मैनपावर से संबंधित मुद्दों के निपटारे में सक्षम बनाता है|
  • इसके अलावा, निजी स्कूलों को किसी भी बोर्ड परीक्षा के संचालन के लिये अपने शिक्षकों को ड्यूटी पर रखने और विशिष्ट मांग पर उत्तर पत्रों के मूल्यांकन के लिये सरकार के अनुरोध को भी स्वीकार करना होगा।
  • विधेयक के अनुसार निजी स्कूलों के शिक्षकों को ज़रूरत पड़ने पर जनगणना या चुनाव या किसी भी सर्वेक्षण के काम को पूरा करने के लिये तैनात किया जा सकता है|
  • इसके अलावा, विधेयक राज्य सरकार को कुछ परिस्थितियों में स्कूल संबंधी मामलों की देखभाल के लिये एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने हेतु सक्षम बनाता है।