चार दिन में ही गायब हो गई नदी | 28 Apr 2017

समाचारों में क्यों?
विदित हो कि कनाडा में एक बड़े ग्लेशियर के पिघलकर पीछे खिसकने से स्लिम्स नदी का रास्ता बदल गया है, आश्चर्यजनक यह है कि केवल चार दिन के भीतर नदी का पुराना रास्ता पूरी तरह सूख गया और वहाँ मौजूद कई जीवों ने दम तोड़ दिया। जलवायु परिवर्तन की वज़ह से ऐसी घटनाएँ बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है।

कैसे हुआ रहस्योद्घाटन?
नेचर जियोसाइंस पत्रिका में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार स्लिम्स नदी अब बेरिंग सागर की तरफ नहीं बह रही है। उसने प्रशांत महासागर की तरफ जाने वाला रास्ता चुना है। रिसर्च के मुख्य लेखक कनाडा के जियोमोर्फोलोजिस्ट डैनियल शुगर और सह-लेखक जेरार्ड रोय के साथ ग्लेशियर तक पहुँचे तो इस दौरान उन्हें कहीं स्लिम्स नदी नहीं दिखाई पड़ी, इतनी बड़ी नदी कहाँ गई, इस सवाल ने वैज्ञानिकों को उलझा दिया।

नदी की खोज करते-करते दोनों ग्लेशियर के मुहाने तक पहुँचे तब उन्हें पता चला कि ग्लेशियर पिघलकर काफी पीछे जा चुका है और अब बिल्कुल उल्टी दिशा में मौजूद ढलान से पानी बह रहा है। नदी अब 1,300 किलोमीटर नए रास्ते पर निकल चुकी है।

कंप्यूटर गणना से पता चला कि यह सब कुछ चार दिन के भीतर हो गया। नदी के पुराने रास्ते में पड़ने वाली झीलों का जलस्तर भी एक मीटर गिर चुका है और नदी की पुरानी धारा के सहारे जीवन पाने वाला पारिस्थितिकी तंत्र भी अब दम तोड़ने लगा है।

भारत को भी सचेत रहने की ज़रूरत
नदियों का रास्ता बदलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह इतने नाटकीय ढंग से हो सकता है, इसका पता पहली बार चला है। अब तक यह माना जाता था कि बाढ़ के दौरान नदियाँ रास्ता बदल लेती हैं, जैसा कुछ साल पहले भारत में कोसी नदी के साथ हुआ था। लेकिन अब जलवायु परिवर्तन के साथ इसका सीधा संबध देखने को मिल रहा है।

कनाडा की यह घटना भारत के साथ-साथ अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे महाद्वीपों के लिये भी चिंताजनक है। धरती के बढ़ते तापमान का असर हिमालय, एंडीज और एटलस के ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है।

हिमालय से निकलने वाली दर्जनों नदियाँ भारत, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के लिये जीवनरेखा का काम करती हैं। बीते कई दशकों से हिमालय के ग्लेशियर भी खिसक रहे हैं जिसके  प्रमाण भारत के लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में देखे जा सकते हैं।