विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिये कुछ नए टीके | 16 Jan 2017

सन्दर्भ

भारत के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme -UIP)) में दो नए टीकों को शामिल किया गया है और अगले महीने से इनका टीकाकरण आरम्भ हो जाएगा। यूआईपी में शामिल किये गए इन दो नए टीकों के नाम हैं- खसरा-रुबेला(measles-rubella) और न्यूमोकोकल संयुग्‍म (pneumococcal conjugate)। हालाँकि, इन बीमारियों के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है।

रुबेला क्या है और क्यों आवश्यक है टीकाकरण?

  • रुबेला को “जर्मन खसरा” के नाम से भी जाना जाता है, यह बीमारी रुबेला वायरस के कारण होती है। यह संक्रमित व्यक्ति की नाक और ग्रसनी से स्राव की बूँदों से या फिर सीधे रोगी व्यक्ति के संपर्क में आने पर फैलता है। आमतौर पर इसके लक्षण हल्के होते हैं, जैसे नवजात बच्चों में बुखार, सिरदर्द, संक्रामक चकत्ते और कान के पीछे या गर्दन की लसिका ग्रंथियों में वृद्धि होना। हालाँकि, कभी-कभी कोई लक्षण नहीं भी पाया जाता है। अगर यह बीमारी गम्भीर हो जाए तो थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (रक्त में प्लेटलेट्स की कमी) और मस्तिष्क की सूजन जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
  • रुबेला विकसित हो रहे भ्रूण में विसंगतियाँ भी पैदा कर सकता है। वस्तुतः जन्मजात रुबेला सिंड्रोम (Congenital Rubella Syndrome-CRS) उन महिलाओं के बच्चों में होने की संभावना ज़्यादा होती है जो गर्भावस्था के पहले 3 महीनों सें इससे संक्रमित हुई हों। सीआरएस के लक्षणों में बहरापन, अंधापन, दिल की विकृतियाँ और मानसिक विकास में कमी शामिल हैं।
  • हालाँकि, टीकाकरण द्वारा सीआरएस जैसी संक्रामक बीमारियों को प्रभावशाली ढंग से को रोका जा सकता है। गोवा, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में फरवरी माह से 9 माह से लेकर 15 साल तक के बच्चों को इसका टीका दिया जाएगा। गौरतलब है कि यह नियमित टीकाकरण के अभियान का हिस्सा होगा।

न्यूमोकोकल संयुग्‍म क्या है और इसका टीकाकरण क्यों आवश्यक है? 

  • न्यूमोकोकल संक्रमण बीमारियों की एक व्यापक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्ट्रैपटोकोकस निमोनिया (एस. निमोनिया) की वजह से होता है। यह श्वसन स्राव की छोटी-छोटी बूँदों के फैलने और उनके संपर्क में आने से या संचरण के अन्य तरीके से एक मरीज़ से दूसरे मरीज़ तक फैल सकता है। न्यूमोकोकल संक्रमण से होने वाली कुछ बीमारियाँ इस प्रकार हैं:
  • दिमागी बुखार (मैनिंजाइटिस): यह न्यूमोकोकल संक्रमण का एक गंभीर प्रकार है जो आमतौर पर बुखार, गर्दन में अकड़न और मानसिक भ्रम के साथ होता है| इससे दीर्घकालिक समस्याएँ हो सकती हैं जैसे सुनाई न देना अथवा मृत्यु तक हो जाना।
  • निमोनिया: यह आमतौर पर बुखार, साँस फूलने, ठंड लगने और बलगम युक्त खाँसी के साथ होता है,  गंभीर मामलों में इससे भी मौत हो सकती है।
  • मध्यकर्णशोथ (ओटिटिस मीडिया): यह बुखार, स्राव अथवा बिना स्राव के कान दर्द के साथ होता है और बार-बार होने वाले मामलों में इससे श्रवण शक्ति समाप्त हो सकती है।  
  • वर्ष 2008 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार न्यूमोकोकल संक्रमण से होने वाली बीमारियों के शिकार आधे बच्चे विश्व के पाँच देशों (भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और नाइजीरिया) में रहते हैं।
  • न्‍यूमोकोकल कॉन्जगेट टीका (PCV) में शामिल एस. निमोनिया के सेरोटाइप व्यक्ति में तेज़ी से फैलने वाले गंभीर न्यूमोकोकल संक्रमण (अर्थात् मैनिंजाइटिस, बेक्टिरेमिक निमोनिया और सेप्टीसीमिया) से बचाव कर सकती है और इसलिये यह टीका लेने की सलाह दी जाती है।
  • मार्च माह से हिमाचल प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में इसका टीकाकरण आरम्भ कर दिया जाएगा।

कब शुरू होगा रोटा वायरस टीकाकरण?

  • राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी में आगामी मार्च से दस्त रोग प्रतिरक्षक रोटा वायरस टीका शामिल कर बच्चों को यह वैक्सीन लगाना आरम्भ कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने दो वर्ष तक की उम्र के बच्चों की अकाल मृत्यु में दस्त के मुख्य कारण को ध्यान में रखते हुए इस वैक्सीन को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। यद्यपि कई राज्यों में रोटा वायरस टीका पहले से लागू है और अगले कुछ महीनों में इसे असम, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में भी लागू किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में प्रत्येक वर्ष एक लाख बच्चों की डायरिया से मौत हो जाती है।