ट्यूबरकुलोसिस के लिये इंजेक्शन या गोली? | 26 Jun 2018

संदर्भ

पिछले सप्ताह, दक्षिण अफ्रीका रिफाम्पीसिन-प्रतिरोधी ट्यूबरकुलोसिस (Rifampicin-Resistant Tuberculosis) के उपचार के लिये नई ओरल मेडिसिन बेडाक्यूलिन (Bedaquiline) के साथ इंजेक्शन वाली दवाओं को प्रतिस्थापित करने वाला पहला देश बन गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नवीनतम उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार 2016 में दक्षिण अफ्रीका में टीबी के 4,38,000 मामले आमने आए| दुनिया में सबसे अधिक टीबी के मामले भारत में पाए जाते हैं| भारत में 2016 में टीबी के 2.79 मिलियन मामले सामने आए जो कि दुनिया भर के मामलों का एक-चौथाई था।

मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (multi-drug resistant TB-MDR-TB)

  • MDR-TB का एक रोगी दो सबसे मज़बूत प्रथम-लाइन के एंटी-टीबी ड्रग्स, रिफाम्पीसिन (Rifampicin) और आइसोनियाज़िड (Isoniazid) पर प्रतिक्रिया बंद कर देता है।
  • WHO की 2018 ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में MDR-TB के 1,47,000 रोगी हैं।
  • MDR-TB के लिये दूसरे-लाइन के उपचार में न्यूनतम 9 महीनों के लिये दैनिक इंट्रा-मस्क्यूलर इंजेक्शन (Intra-Muscular Injection) दिया जाता है।
  • तीन सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले इंजेक्शन हैं, कनामाइसिन (Kanamycin), कैप्रियोमाइसिन (Capreomycin) और अमीकासिन (Amikacin), जिनके गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं, जिसमें गुर्दे की बीमारियाँ, सुनने की अक्षमता  और सामान्य विषाक्तता शामिल है।
  • ब्रिटेन में 100 MDR-TB रोगियों के एक अध्ययन को पिछले साल प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि 40% ने श्रवण हानि के कारण इंजेक्शन योग्य उपचार बंद कर दिया था और 55% ने कान में विषाक्तता का अनुभव किया था।

दक्षिण अफ्रीका का निर्णय

  • 2011 में दक्षिण अफ्रीका ने बड़ी संख्या में MDR-TB रोगियों के रोग का निदान करने के लिये जीनएक्सपर्ट (GeneXpert) मशीनों के उपयोग का विस्तार किया और 2013 में  देश की मेडिसिन कंट्रोल काउंसिल ने बेडाक्युलिन (Bedaquiline-BDQ) के उपयोग को मंजूरी दे दी जिसे सर्वाधिक मानक दवाओं के प्रतिरोधी रोगियों के लिये एक नई "चमत्कारिक दवा" के रूप में माना गया।
  • परीक्षण के लिये BDQ पर 200 प्री-XDR और XDR रोगियों को 2015 तक रखा गया जिसमें 73%  रोगियों में "अनुकूल परिणाम" पाए गए।
  • एक पूर्ववर्ती समूह विश्लेषण ने बेडाक्यूलिन का उपयोग नहीं करने वाले मरीजों की तुलना में 41% इलाज में सफलता पाई है और मृत्यु दर में तीन गुना कमी आई है।
  • 18 जून को  दक्षिण अफ्रीका ने सभी रिफाम्पीसिन प्रतिरोधी मरीजों (Rifampicin-Resistant Patients) के लिये इंजेक्शन बंद कर दिये और इंजेक्शन के गंभीर जहरीले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, बेडाक्युलिन (Bedaquiline) की शुरुआत की| ये सभी इंजेक्शन अक्सर इलाज ड्रॉपआउट का कारण बनते थे।

WHO की सिफारिश

  • WHO दवा प्रतिरोधी टीबी के लिये  इंजेक्शन के उपयोग की सिफारिश करता है।
  • WHO सीमित अध्ययनों के आधार पर बेडाक्यूलिन पर कुछ शर्तों के तहत प्री-XDR या XDR रोगियों के लिये इसके उपयोग की सलाह देता है।
  • WHO की जुलाई में गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप की बैठक में नई दवाओं बेडाक्यूलिन और डेलामीड के साथ ही इंजेक्शन के रूप में उपयोग पर चर्चा की जाएगी।

भारत में स्थिति

  • भारत में MDR-TB के रोगी अनुमानतः 79,000 हैं। यहाँ टीबी के इलाज में कानामाइसिन (Kanamycin), कैप्रियोमाइसिन (Capreomycin) और अमीकासिन (Amikacin) नामक इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है।
  • एक चरणवार नियंत्रण परीक्षण के बाद 2016 में बेडाक्यूलिन को पहली बार उपलब्ध कराया गया था। वर्तमान में केवल 140 केंद्रों तक इसकी पहुँच है जिसमें लगभग 1000 रोगियों को यह दवा प्राप्त हुई है।
  • 2018 में गुजरात और चेन्नई में 30 मरीजों पर इसके परीक्षण की शुरुआत करने के लिये उन्हें नामांकित किया गया है। लेकिन शुरुआती परिणाम 2021 तक आएंगे|
  • इसका उपयोग करने वाले रोगियों और चिकित्सकों के अनुसार यह ज़हरीला और दर्दनाक है, लेकिन अपरिहार्य हैं क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है|
  • दक्षिण अफ्रीका ने परीक्षण के आधार पर इसके प्रयोग का फैसला लिया है। दक्षिण अफ्रीका के अलावा, बेडाक्यूलिन पर कोई यादृच्छिक नैदानिक परीक्षण परिणाम सामने नहीं आया है।
  • मौजूदा अध्ययनों से पता चला है कि बेडाक्यूलिन से कार्डियोटॉक्सिसिटी (Cardiotoxicity) हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार, इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स होते हैं लेकिन वे शरीर में जल्दी अवशोषित हो जाते हैं|

उम्मीद है कि WHO का ध्यान बेडाक्यूलिन पर अधिक होगा 

  • दक्षिण अफ्रीका ड्रग रेसिस्टेंट टीबी को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में देखता है। बेडाक्यूलिन को शुरू में अधिक जटिल प्रतिरोधी-टीबी के लिये इस्तेमाल किया गया था, लेकिन प्रतिकूल घटनाओं की पहचान के बाद इंजेक्शन के रूप में इसके इस्तेमाल में तेज़ी लाई गई।
  • 60% मामलों में इंजेक्शन योग्य दवाओं से सुनने की क्षमता में कमी और गुर्दे की विषाक्तता जैसे अन्य गंभीर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले हैं|
  • मरीजों की मासिक ऑडीयोमेट्री और रक्त परीक्षण सहित बारीकी से निगरानी की जानी चाहिये, जो कम और मध्यम संसाधन वाले देशों में मुश्किल हो सकता है। चूँकि BDQ खाने के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली दवा है  इसलिये रोगियों का इलाज लंबे समय तक जारी रखने की अधिक संभावना है।
  • भारत में BDQ की शुरुआत हुई है, लेकिन बहुत कम पैमाने पर। हमें इस दवा के प्रयोग करने वाले मरीजों के चिकित्सकों, अनुवर्ती और प्रबंधन के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  • हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि नैदानिक परीक्षण खत्म होने के बाद इसका साइड इफेक्ट्स किस स्तर तक है|
  • कई अन्य देशों की तरह  भारत WHO के मार्गदर्शन का पालन करता है।
  • कई संगठनों ने WHO से BDQ पर जानकारी को मज़बूत करने के लिये कहा है  और आशा है कि अगले महीने संशोधित दिशा-निर्देशों से इस दवा के उपयोग के अधिक सबूत सामने आएंगे।
  • बेडाक्यूलिन  पिछले 50 वर्षों में विकसित टीबी की पहली नई दवा है  और हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हम रोगियों के लिये लाभों की बजाय अधिक समस्याएँ न उत्पन्न करें।
  • जो चिकित्सक मरीजों पर BDQ का उपयोग करते हैं उन्हें साइड इफेक्ट्स से निपटने के लिये अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।
  • इस संबंध में समुचित निगरानी की आवश्यकता है, क्योंकि BDQ का उपयोग नैदानिक परीक्षणों के संदर्भ में कार्डियोटॉक्सिसिटी से जुड़ा हुआ है।
  • हमें प्रयोगशालाओं को मज़बूत करने की ज़रूरत है| BDQ के अत्यधिक उपयोग से बचने के लिये निजी चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।