आधार आधारित भुगतान-एक सुविधाजनक साधन | 10 Jan 2017

सन्दर्भ

  • कैशलेस अर्थव्यवस्था के मायने क्या हैं- नकदी की शून्य उपस्थिति या नकदी की कम उपस्थिति? वस्तुतः कैशलेस अर्थव्यवस्था का अर्थ नकदी-शून्य होना ही है, लेकिन यदि उद्देश्य ‘कैशलेस अर्थव्यवस्था’ है, तो पहला साधन होना चाहिये- नकदी का कम प्रयोग|
  • हालाँकि, कैशलेस होने की यह मुहिम तभी सफल हो सकती है जब लोगों की भुगतान संबंधी आदतों तथा लेन-देन के वातावरण को अच्छे से समझा जाए| इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर ‘आधार आधारित भुगतान’ की शुरुआत की गई है|
  • ‘आधार आधारित भुगतान’ सुविधाजनक क्यों है, यह समझने के लिये हमें उपयोगकर्ताओं की प्रवृत्ति से संबंधित कुछ बातों पर गौर करना होगा| 

उपयोगकर्ताओं की प्रवृत्तियाँ

  • लेन-देन का सबसे सरल प्रचलित माध्यम नकदी है क्योंकि नकदी का प्रयोग काफी सरल है, साथ ही नकदी आधारित भुगतान के लिये न तो किसी मशीन की ज़रूरत होती है और न ही नकदी रखने के लिये किसी गैर-परंपरागतत स्रोत की ही आवश्यकता होती है|
  • चूँकि, नकदी का स्वरूप ही भौतिक होता है इसलिये उपयोगकर्ता उसे छू सकता है और महसूस कर सकता है, नकदी की यही विशेषता उसे उपयोगकर्ताओं के बीच लेन–देन का सबसे लोकप्रिय माध्यम बनाती है|
  • गौरतलब है कि कार्ड और एप आधारित लेन-देन नकदी आधारित भुगतान की तुलना में जटिल होते हैं, इसलिये उपयोगकर्ता पिन पासवर्ड्स और इन्टरनेट कनेक्शन के पचड़ों से बचना चाहते हैं|

कैसे होगा आधार आधारित भुगतान?

  • ‘आधार आधारित भुगतान’ में ग्राहक किसी भी दुकान पर बिना नकद, बिना कार्ड तथा बिना किसी पिन के सिर्फ अपना आधार नंबर और अंगूठा लगाकर भुगतान कर सकेंगे। इसके लिये उन्हें सिर्फ अपना आधार नंबर याद रखना होगा|
  • गौरतलब है कि अब तक जितने भी तरीकों से कैशलेस भुगतान हो रहा है, उनमें से अधिकांश के लिये ग्राहक के पास एक एंड्रायड फोन और उसमें नेट कनेक्शन होना आवश्यक है, लेकिन  ‘आधार आधारित भुगतान’ के लिये ग्राहक को न तो स्मार्ट फोन की आवश्यकता है और न ही इन्टरनेट कनेक्शन की|
  • ‘आधार आधारित भुगतान’ के लिये दुकानदार को अपने एंड्रायड फोन में ‘आधार पे’ एप डाउनलोड करना होगा| मोबाइल से फिंगर प्रिंट डिवाइस जुड़ा रहेगा| जब ग्राहक दुकान में खरीदारी करने के बाद भुगतान करने जाएगा, तब दुकानदार फिंगर प्रिंट डिवाइस में उसका अंगूठा लगवाएगा|
  • इसके बाद आधार नंबर डालकर उसके बैंक खाते (जो उसके आधार नंबरर से जुड़ा है) से जोड़ देगा| फिर जितनी राशि का भुगतान किया जाना है, उतनी राशि लिखकर जैसे ही मोबाइल के आधार पे एप में ओके बटन दबेगा, उतनी रकम उसके अकाउंट से कट जाएगी|
  • राशि कटने का संदेश ग्राहक को मोबाइल के माध्यम से मिल जाएगा और वह धनराशि दुकानदार के खाते में हस्तांतरित हो जाएगी, यह पूरी सूचना उस ग्राहक के आधार पे अकाउंट में दिखेगी| आधार पे से प्राप्त हुई राशि दुकानदार के चालू खाता में चली जाएगी|
  • वस्तुतः इसका उपयोग करने के लिये आपके पास केवल आधार कार्ड होना ज़रूरी है, जो आपके बैंक खाते से जुड़ा होना चाहिये|
  • आधार पे का उपयोग करते समय दुकानदार और ग्राहक दोनों में से किसी को भी अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा|
  • आधार पे के उपयोग से जहाँ लेन-देन में नकदी की समस्या समाप्त होगी, वहीं कैशलेस सर्विस का उपयोग ऐसे लोग भी कर पाएंगे, जिनके पास मोबाइल फोन तो है लेकिन उन्हें तकनीकी या फिर मोबाइल वॉलेट सर्विस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, या जिन्हें कार्ड और मोबाइल वॉलेट से भुगतान करना असुविधाजनक लगता है|

निष्कर्ष

  • ‘आधार आधारित भुगतान’ जहाँ एक ओर सुविधाजनक प्रतीत हो रहा है, वहीं इसमें कुछ समस्याएँ भी हैं जैसे, दुकानदार के पास मज़बूत इन्टरनेट कनेक्टिविटी का अभाव, समूची प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का इस्तेमाल और ‘आधार आधारित भुगतान’ के संबंध में किसी विवाद के सामाधान के लिये एक विवाद निवारक तंत्र की स्थापना|
  • यदि उपरोक्त सभी समस्याओं का सामाधान कर लिया जाए तो ‘आधार आधारित भुगतान’ डिजिटल भुगतान को तो गति देगा ही, साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं के लिये भुगतान का एक सुविधाजनक माध्यम भी तैयार होगा|