दुनिया भर में हर 5 सेकंड में 15 साल से कम उम्र के एक बच्चे की मृत्यु : यूएन रिपोर्ट | 19 Sep 2018

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग तथा विश्व बैंक समूह, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनिसेफ इंटर एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोर्टेलिटी एस्टीमेशन (IGME) ने शिशु मृत्यु दर अनुमान पर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 15 वर्ष से कम आयु के 6.3 मिलियन या प्रत्येक 5 सेकंड में 1 बच्चे की मृत्यु हुई है।

प्रमुख बिंदु 

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक जगह बच्चों के लिये जीवन की सबसे जोखिम भरी अवधि उसके जन्म का पहला महीना होता है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के पहले महीने में 2.5 मिलियन नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई, जबकि 5.4 मिलियन मौतें जीवन के पहले पाँच वर्षों में हुईं जो कुल नवजात शिशु मृत्यु के करीब आधे हिस्से के बराबर है।
  • इसके अलावा  उप-सहारा अफ्रीका या दक्षिण एशिया में पैदा हुए बच्चे की उच्च आय वाले देश में पैदा हुए बच्चे की तुलना में पहले महीने में मृत्यु होने की संभावना नौ गुना अधिक थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से लेकर अब तक पाँच वर्ष से कम उम्र के नवजात शिशुओं को बचाने की प्रगति धीमी रही है।
  • 5 वर्ष से कम उम्र के अधिकांश बच्चों की मृत्यु निमोनिया, दस्त मलेरिया तथा नवजात शिशु संबंधी रोग (neonatal sepsis) के कारण उत्पन्न जटिलताओं की रोकथाम के अभाव या समय पर इलाज नहीं होने के कारण हो जाती है।
  • इस आयु वर्ग में क्षेत्रीय भिन्नताएँ मौजूद हैं, उप-सहारा अफ्रीका के बच्चों की मृत्यु का जोखिम यूरोप की तुलना में 15 गुना अधिक है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों के भीतर भी असमानताएँ दिखाई देती हैं। पाँच वर्ष की आयु के शिशुओं की मृत्यु दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में 50% अधिक है।
  • इसके अलावा, अशिक्षित माताओं के बच्चों की मृत्यु की संभावना उच्च शिक्षित माताओं से पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में दोगुने से अधिक होती है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि तत्काल कोई कदम नहीं उठाया गया तो 2030 तक पाँच साल से कम उम्र के 56 मिलियन बच्चों की मृत्यु हो जाएगी जिसमें आधे नवजात शिशु होंगे।

भारत की स्थिति  

  • UN IGME की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2017 में 6,05,000 नवजात शिशुओं की मौत हुई, जबकि पाँच से 14 साल आयु वर्ग के 1,52,000 बच्चों की मृत्यु हुई।  रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल भारत में करीब 8,02,000 बच्चों की मौत हुई।
  • यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि यासमीन अली हक के मुताबिक शिशु मृत्यु दर की रोकथाम के मामले में भारत में उल्लेखनीय सुधार हो रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत में जन्म से लेकर पाँच वर्ष की आयु वर्ग तक के बच्चों की मृत्यु दर इसी आयु वर्ग के जन्म दर के समान है।
  • अस्पतालों में प्रसव कराए जाने में वृद्धि, नवजात शिशुओं के देखभाल के लिये सुविधाओं का विकास और टीकाकरण की बेहतर व्यवस्था होने से शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। 
  • नवजात शिशु मृत्यु दर 2016 के 8.67 लाख के मुकाबले कम होकर 2017 में 8.02 लाख हो गई| 2016 में भारत में शिशु मृत्यु दर 44 शिशु प्रति 1,000 थी।
  • यदि लैंगिक आधार पर शिशु मृत्यु दर की बात करें तो 2017 में लड़कों के मामले में यह प्रति 1,000 बच्चों पर 30 थी, जबकि लड़कियों में यह प्रति 1,000 पर 40 थी।
  • सबसे अच्छी बात यह है कि पिछले पाँच वर्षों में लिंगानुपात में सुधार आया है, साथ ही बालिकाओं के जन्म और जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि हुई है।
  • पोषण’ अभियान के तहत जरूरी पोषक तत्त्व मुहैया कराने और देश को 2019 तक खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) कराने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे अभियानों से भी फर्क पड़ेगा।

समाधान 

  • हालाँकि दुनिया भर में 1990 से लेकर अब तक बच्चों के जीवन को बचाने के लिये उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन अभी भी लाखों बच्चे मर रहे हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि दवाओं, स्वच्छ जल, बिजली तथा टीकों जैसे सरल समाधानों के साथ बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। 
  • वैश्विक स्तर पर  2017 में  उप-सहारा अफ्रीका में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल मृत्यु का आँकड़ा उनकी कुल संख्या का आधा हिस्सा था, जबकि दक्षिणी एशिया में यह 30% अधिक था।
  • रिपोर्ट के अनुसार, इन चुनौतियों के बावजूद दुनिया भर में प्रतिवर्ष मरने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है।
  • पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत का आँकड़ा जबरदस्त रूप से 1990 के 12.6 मिलियन से घटकर 2017 में 5.4 मिलियन हो गया है।
  • 5 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की मौत के मामले में यह संख्या इसी अवधि में 1.7 मिलियन से घटकर दस लाख हो गई है।

UN IGME के बारे में

  • यूएन इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोर्टेलिटी एस्टीमेशन या UN IGME को वर्ष 2004 में बाल मृत्यु दर पर डेटा साझा करने तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर अनुमानों को सुसंगत बनाने के लिये गठित किया गया था।
  • यह बाल मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिये विधियों में सुधार, बाल अस्तित्व के लक्ष्यों की प्रगति पर रिपोर्ट तथा बाल मृत्यु दर का उचित मूल्यांकन कर देशों की क्षमता में वृद्धि करने का काम करता है। 
  • UN IGME का नेतृत्व यूनिसेफ द्वारा किया जाता है और इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक समूह और यूनाइटेड नेशन पापुलेशन डिविजन ऑफ़ द डिपार्टमेंट ऑफ़ इकॉनोमिक एंड सोशल अफेयर्स शामिल हैं।