‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ का 7वाँ संस्करण | 02 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी, रीयूनियन द्वीप

मेन्स के लिये:

भारत के लिये IONS का महत्त्व और हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित अन्य पहलें

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) के 7वें संस्करण की मेज़बानी फ्रांँसीसी नौसेना द्वारा रीयूनियन द्वीप पर की गई थी।

  • यह एक द्विवार्षिक आयोजन है, जिसकी कल्पना भारतीय नौसेना ने वर्ष 2008 में की थी।

Indian-Ocean

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) एक स्वैच्छिक और समावेशी पहल है, जो समुद्री सहयोग को बढ़ाने व क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं को एक साथ लाता है।
  • यह प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध एक प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) सुनिश्चित करने का भी कार्य करता है।
  • ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) की अध्यक्षता भारत (2008-10), संयुक्त अरब अमीरात (2010-12), दक्षिण अफ्रीका (2012-14), ऑस्ट्रेलिया (2014-16), बांग्लादेश (2016-18) और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान (2018-21) द्वारा की गई है।
    • फ्रांँस ने जून 2021 में दो वर्षीय कार्यकाल के लिये अध्यक्षता ग्रहण की है।

सदस्य देश:

  • IONS में 24 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं जो हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) क्षेत्र की सीमा पर मौजूद हैं तथा 8 पर्यवेक्षक देश शामिल हैं।
  • सदस्यों को भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर निम्नलिखित चार उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है:
    • दक्षिण एशियाई समुद्र तट: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, सेशेल्स, श्रीलंका और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र)।
    • पश्चिम एशियाई समुद्र तट: ईरान, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात।
    • पूर्वी अफ्रीकी समुद्र तट:  फ्रांँस (रीयूनियन), केन्या, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका और तंजानिया।
    • दक्षिण-पूर्व एशियाई और ऑस्ट्रेलियाई समुद्र तट: ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्याँमार, सिंगापुर, थाईलैंड और  तिमोर-​लेस्ते।

भारत के लिये महत्त्व:

  • IONS इस क्षेत्र में भारत की तीन महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करता है:
    • हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों के साथ संबंधों को मज़बूत और गहरा करना।
    • शुद्ध सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider) होने की अपनी नेतृत्व क्षमता और आकांक्षाओं को स्थापित करना।
    • IOR  में नियम-आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को पूरा करना।
  • यह भारत को मलक्का जलडमरूमध्य (Straits of Malacca) से होर्मुज़ (Hormuz) तक अपने प्रभाव क्षेत्र को मज़बूत करने में मदद करेगा।
  • IONS का उपयोग इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को प्रतिसंतुलित करने के लिये किया जा सकता है।

IOR से जुड़े अन्य महत्त्वपूर्ण समूह/पहल:

  • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन: हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी।
    • इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के भीतर क्षेत्रीय सहयोग और सतत् विकास को मज़बूत करना है।
  • हिंद महासागर आयोग: हाल ही में भारत को हिंद महासागर आयोग के पर्यवेक्षक के रूप में अनुमोदित किया गया है, यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में बेहतर सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) की दिशा में कार्य करता है।
  • क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR): इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
    • सागर के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करना चाहता है और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
  • एशिया अफ्रीका विकास गलियारा: वर्ष 2016 में भारत और जापान द्वारा जारी संयुक्त घोषणा में एशिया अफ्रीका विकास गलियारा (Asia Africa Growth Corridor- AAGC) का विचार उभरा था।
    • AAGC को विकास और सहयोग परियोजनाओं, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे तथा संस्थागत कनेक्टिविटी, क्षमता व कौशल बढ़ाने जैसे लोगों की भागीदारी के चार स्तंभों पर खड़ा किया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी