PSLV की 53वीं उड़ान | 03 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इसरो द्वारा PSLV-C51 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। यह इसरो के प्रक्षेपण यान की 53वीं उड़ान थी और साथ ही इसरो की वाणिज्यिक शाखा, ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) का पहला समर्पित मिशन था।

  • इस उड़ान में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR) से इसरो द्वारा भारत के 5, अमेरिका के 13, ब्राज़ील का ऑप्टिकल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह अमेज़ोनिया-1 (Amazonia-1) और 18 सह-यात्री उपग्रहों (Co-Passenger Satellites) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया किया गया।
    • SHAR, श्रीहरिकोटा भारत का स्पेसपोर्ट (Spaceport) है जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लॉन्च करने हेतु अवसंरचनात्मक आधार प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु:

  • ब्राज़ील का उपग्रह अमेज़ोनिया-1:

    • अमेज़ोनिया-1 के बारे में:
      • 637 किलोग्राम वज़नी अमेज़ोनिया-1, ब्राज़ील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्‍पेस रिसर्च का पृथ्‍वी पर्यवेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite) है। इस उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Polar Orbit) में 758 किमी. की ऊँचाई पर निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया है।
    • उद्देश्य:
      • अमेज़न क्षेत्र में निर्वनीकरण की निगरानी तथा ब्राज़ीलियाई क्षेत्र में विविध‍तापूर्ण कृषि का विश्‍लेषण करने के लिये प्रयोक्‍ताओं को सुदूर संवेदी आँकड़े प्रदान कर विद्यमान संरचना को और अधिक सुदृढ़ करना।
  • 5 भारतीय उपग्रह:

    • UNITYsat:
      • UNITYsat रेडियो प्रसारण सेवाएँ प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया तीन उपग्रहों का एक संयोजन है।
      • UNITYsat को जेप्पियार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, श्रीपेरम्बदूर (JITsat), जी एच रायसोनी कालेज आफ इंजीनियरिंग, नागपुर (GHRCEsat) और श्री शक्ति इंटीट्टयूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर (Sri Shakthi Sat) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है।
    • SDSAT:
      • सतीश धवन उपग्रह (SDSAT) एक नैनो उपग्रह है जिसका उद्देश्य विकिरण के स्तरों/अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना एवं लंबी दूरी की संचार तकनीकों का प्रदर्शन करना है।
      • इसे चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज़ (शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों हेतु नवोन्मेषी अवधारणाएँ तैयार करने के लिये समर्पित एक संगठन) द्वारा निर्मित गया है।
      • आत्मनिर्भर भारत और निजी कंपनियों के लिये अंतरिक्ष की राह खोलने वाले निर्णय के मामले में एकजुटता दिखाने और इस निर्णय के प्रति आभार व्यक्त करने के लिये SDSAT के शीर्ष पैनल पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर उकेरी गई है।
      • इनके साथ ही एक SD कार्ड में भगवद्गीता को भी भेजा गया है, जो एकात्मकता को मानवता का सर्वोच्च रूप और सर्वोच्च सम्मान बताती है।
    • सिंधु नेत्र (Sindhu Netra):
      • इसे बंगलूरू स्थित PES विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विकसित किया गया जिसके लिये रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा 2.2 करोड़ रुपए का अनुबंध किया गया था।
      • यह उपग्रह इमेजिंग के माध्यम से संदिग्ध जहाज़ों की पहचान करने में मदद करेगा।
  • अमेरिका के उपग्रह:

    • PSLV-C51 द्वारा प्रमोचित उपग्रहों में से 13 उपग्रह अमेरिका के हैं, जिसमें एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रह (SAI-1 नैनो कनेक्ट 2) तथा शेष दोतरफा संचार और डेटा प्रसारण (SpaceBEEs) से संबंधित हैं।
  • महत्त्व:

    • भारत-ब्राज़ील संबंधों को गति:
      • 2000 के दशक की शुरुआत से भारत और ब्राज़ील ने सरकारों के स्तर पर (वर्ष 2004) और अंतरिक्ष एजेंसियों के स्तर पर (वर्ष 2002 में ISRO और ब्राज़ीलियाई अंतरिक्ष एजेंसी AEB के मध्य) बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण तथा शांतिपूर्ण उपयोग हेतु सहयोगात्मक समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
      • हाल ही में लॉन्च किया गया नया उपग्रह (अमेज़ोनिया-1) विभिन्न व्यापारिक और सरकारी अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगा। ब्राज़ील द्वारा अपने प्रक्षेपण वाहन कार्यक्रम के लिये सामग्री और प्रणालियों की खरीद में भारत से समर्थन का अनुरोध भी किया गया है।
    • नए अंतरिक्ष सुधारों का कार्यान्वयन:
      • PSLV-C51 द्वारा प्रमोचित पाँच भारतीय उपग्रहों का निर्माण भारत सरकार द्वारा घोषित नए अंतरिक्ष सुधारों के तहत किया गया था।
      • स्वीकृत सुधारों से अंतरिक्ष गतिविधियों की पूरी शृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
      • सहयात्री उपग्रहों में से 4 के प्रमोचन के लिये इन-स्पेस (IN-SPACe) द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे 14 उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रमोचन के लिये NSIL के माध्यम से हस्ताक्षर किये गए थे।
    • IN-SPACe: यह अंतरिक्ष विभाग (DOS) के तहत एक स्वतंत्र नोडल एजेंसी है जो भारतीय अंतरिक्ष अवसंरचना का उपयोग करने हेतु निजी क्षेत्र की कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराएगी।
    • NSIL: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा है, जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी की अंतरिक्ष गतिविधियों में सक्षम बनाना है। यह अंतरिक्ष संबंधी भारतीय उत्पादों और सेवाओं के प्रचार एवं व्यावसायिक उपयोग हेतु भी ज़िम्मेदार है।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग:
      • इस तरह की परियोजनाएँ विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों के विस्तार को प्रदर्शित करती हैं, जो ‘पर्यावरण और मानवीय जीवन को सहजता’ प्रदान करती हैं।

ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन:

  • भारत का ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन’ (PSLV) तीसरी पीढ़ी का प्रमोचन वाहन है।
  • यह एक चार-चरणीय प्रमोचन वाहन है जिसके प्रथम और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स तथा दूसरे एवं चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।
  • यह तरल चरणों से युक्त प्रथम भारतीय प्रमोचन वाहन है।

क्षमता:

  • प्रारंभ में PSLV की वहन क्षमता 850 किलोग्राम थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 1.9 टन कर दिया गया।

उपलब्धियाँ:

  • PSLV ने जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO), चंद्रमा, मंगल सहित अंतरिक्ष में लगभग सभी कक्षाओं में पेलोड ले जाने में मदद की है और शीघ्र ही इसकी सहायता से सूर्य के लिये भी एक मिशन शुरूकिया जाएगा।
  • वर्ष 1994-2019 के मध्य PSLV द्वारा 20 देशों के 70 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों हेतु 50 भारतीय उपग्रह और 222 विदेशी उपग्रह लॉन्च किये गए हैं।
  • इस पेलोड के सफल प्रक्षेपणों में चंद्रयान -1, मार्स ऑर्बिटर मिशन और स्पेस रिकवरी मिशन आदि शामिल हैं।
  • PSLV की अब तक दो उड़ानें विफल रही हैं जिसमें वर्ष 1993 में PSLV D1 की पहली उड़ान और वर्ष 2017 में PSLV C-39 की उड़ान शामिल हैं।


स्रोत: द हिंदू