8 सालों में 461 हाथियों की मृत्यु (461 Elephants electrocuted in 8 years) | 02 Nov 2018

चर्चा में क्यों?

अगस्त से अक्तूबर 2018 के बीच भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में बिजली के तारों के संपर्क में आने के कारण एक दर्ज़न से अधिक हाथियों की मृत्यु हो गई। इनमें से 7 हाथियों की मृत्यु ओडिशा के ढेंकनाल ज़िले में हुई। ऐसे समय में जब मानव-हाथी संघर्ष नीति-निर्माताओं और संरक्षणविदों के लिये चिंता का प्रमुख विषय बना हुआ है, बिजली के तारों के संपर्क में आने के कारण होने वाली हाथियों की मृत्यु का मामला, हाथी आबादी के प्रबंधन के क्षेत्र में एक आलोचनात्मक मुद्दे के रूप में उभरकर सामने आया है। निश्चित रूप से यह गंभीर चिंता का विषय है।

प्रति वर्ष 50 हाथियों की मृत्यु

  • 2009 से नवंबर 2017 के बीच बिजली के तारों के संपर्क में आने से होने वाली हाथियों की मौत से संबंधित आँकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि हर साल लगभग 50 हाथी बिजली का करेंट लगने के कारण मर जाते हैं। इस समयावधि के दौरान विद्युतीकरण की वज़ह से कुल 461 हाथियों की मौत हुई हैं।
  • आँकड़ों के गहन अध्ययन से यह भी ज्ञात होता है कि अधिकांश मौतें देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में हुई हैं। इस दौरान विद्युतीकरण के कारण ओडिशा में 90, असम में 70, पश्चिम बंगाल में 48 और छत्तीसगढ़ में 23 हाथियों की मौत हुई।
  • कर्नाटक जहाँ हाथियों की आबादी सबसे अधिक है, वहाँ बिजली के कारण सबसे अधिक 106 हाथियों की मौत हुई है। जबकि इसी समयावधि के दौरान तमिलनाडु में 50 हाथियों की मौत हुई, जिनमें से 17 हाथियों की मौत बिजली के कारण हुई।
  • उपर्युक्त आँकड़े पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।

हाथियों की संख्या

  • हाथियों की अखिल भारतीय जनगणना के अनुसार, 2017 में हाथियों की कुल 27, 312 थी। हाथियों की उच्चतम आबादी वाले राज्य हैं- कर्नाटक (6,049), असम (5,719) और केरल (3,054)।

मानव-हाथी संघर्ष

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISC), बंगलूरू के प्रसिद्ध हाथी विशेषज्ञ और प्रोफेसर, रमन सुकुमार के अनुसार, देश के पूर्व-मध्य और पूर्वोत्तर हिस्सों में मानव-हाथी संघर्ष का कारण यह है कि हाथियों द्वारा अपने क्षेत्र में विस्तार किया जा रहा है और ये जंगलों से निकलकर कृषि क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं।
  • पूर्व-मध्य भारतीय परिदृश्य में, हाथी उन क्षेत्रों में भी नज़र आ रहे हैं जहाँ उन्हें दशकों या सदियों पहले कभी नहीं देखा गया था। उदाहरण के लिये सदियों से छत्तीसगढ़ में कोई हाथी नहीं दिखा और अब यहाँ मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएँ सामने आ रही हैं।

आगे की राह

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलिफेंट के अंतर्गत 2017 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) के प्रतिनिधियों ने देश के 101 हाथी गलियारों में आवागमन के अधिकार के संबंध में प्रस्ताव प्रकाशित कर हाथी गलियारों की अधिक निगरानी और सुरक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था।
  • अवैध विद्युत बाड़ लगाने से रोकने के उपायों और उच्च क्षमता वाले विद्युत तारों की ऊँचाई को बनाए रखने के लिये उचित दिशा-निर्देश लागू करने के साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिये कि किन क्षेत्रों से हाथी आवागमन कर सकते हैं तथा किन क्षेत्रों में उनके आवागमन पर रोक लगाई जानी चाहिये, के संबंध में एक उचित क्षेत्रवार प्रबंधन योजना लागू करने की आवश्यकता है।
  • हाथियों के आवागमन वाले क्षेत्रों से गुजरने वाले विद्युत तारों की निरंतर निगरानी किये जाने की आवश्यकता है. इसके लिये वन विभाग और बिजली विभाग सहित विभिन्न एजेंसियों के बीच अधिक-से-अधिक समन्वय होना भी आवश्यक है।