3-D प्रिंटिग तकनीक और चिकित्सा क्षेत्र में इसका उपयोग | 12 Sep 2017

चर्चा में क्यों?

भारत में हर साल लगभग 2 लाख बच्चे जन्मजात हृदय विकार के साथ पैदा होते हैं, जिनमें से एक महत्त्वपूर्ण अनुपात के बच्चों को हृदय सर्जरी, जो कि एक जटिल कार्य है, की आवश्यकता होती है।

हाल ही में केरल में हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने एक बालक की हृदय विकृती को ठीक करने में 3-D  प्रिंटिग तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर यह सिद्ध किया कि यह तकनीक कैसे जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में एक खेल परिवर्तक (गेम चेंजर) साबित हो सकती है। 

क्या है 3-D प्रिंटिग तकनीक ? 

  • यह एक आधुनिक प्रिंटिंग तकनीक है, जिसमें किसी वस्तु का त्रि-आयामी चित्र प्राप्त किया जा सकता है।  
  • 3-D प्रिंटिंग में इस्तेमाल होने वाले प्रिंटर योगात्मक विनिर्माण (Additive Manufacturing) तकनीक पर आधारित होते हैं।  
  • ये प्रिंटर परत-दर-परत किसी वस्तु का निर्माण करते हैं, अर्थात् इसमें 2-D प्रिंटिंग की तरह ही प्रिंट किया जाता है, परन्तु धीरे-धीरे वस्तु की चौड़ाई और ऊँचाई बढ़ती जाती है और एक त्रि-आयामी वस्तु प्रिंट हो जाती है।

चिकित्सा में उपयोग 

  • मानव शरीर, विशेष कर बच्चों में, कुछ ऐसी कार्डियोलॉजिकल (cardiological) चुनौतियाँ या विकृतियाँ उभर आती हैं जो कहीं अधिक कठिन एवं लाइलाज प्रतीत होती हैं। ऐसे जटिल अवसरों पर इस तकनीक का इस्तेमाल उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
  • अब तक हृदय की बीमारी के उपचार में चिकित्सोकों को अपना अनुभव और अनुमान के साथ-साथ कार्डियोग्राम (cardiograms) एवं सीटी स्कैन (CT scans) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करना पड़ता था, परंतु 3-D  प्रिंटिग तकनीक से अब उनका कार्य आसान हो रहा है। 
  • गत दो वर्षों से इस तकनीक का अधिकांश इस्तेमाल बालचिकित्सा कार्डियोलॉजी में जटिल संरचनात्मक विकारों को समझने में किया जा रहा है। 
  • 3-D छवि छपाई से किसी अंग का वास्तविक आकार और आकृति प्राप्त की जा सकती है। 
  • 3-D प्रोटोटाइप बनाने में उसी तरह की इमेजिंग तकनीक का प्रयोग किया जाता है जैसा कि सीटी स्कैन एवं चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) तकनीक में किया जाता है। 
  • 3डी प्रिंट मशीन एक विशेष सामग्री को वस्तु के वास्तविक आकार में विस्तारित कर बाहर निकालता है।

आगे की राह 

  • इस उपलब्धि से विशेषज्ञ चेहरे के पुनर्निर्माण, जटिल अस्थि फ्रैक्चर, अस्थि-विकारों, प्लास्टिक सर्जरी और प्रत्यारोपण जैसी जटिल सर्जरीयों में भी इसके उपयोग की संभावना को महसूस कर रहे हैं। 
  • सर्जरी के क्षेत्र में इस प्रौद्योगिकी की क्षमता का अभी तक पूर्ण अध्ययन किया जाना बाकी है, क्योंकि यह एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है। फिर भी इतना तो कहा जा सकता है कि यह तकनीक जटिल सर्जरीयों  से निपटने में एक बढ़त प्रदान कर सकती है।