अमृत मिशन का द्वितीय चरण | 05 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये:

अमृत मिशन

मेन्स के लिये:

अमृत मिशन का महत्त्व और संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT 2.0) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

  • आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) योजना के लिये नोडल मंत्रालय है।

प्रमुख बिंदु 

  • अमृत मिशन के बारे में:
    • अमृत मिशन को हर घर में पानी की सुनिश्चित आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन के साथ सभी की नल तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये जून 2015 में शुरू किया गया था।
    • अमृत ​​2.0 का लक्ष्य लगभग 4,700 ULB (शहरी स्थानीय निकाय) में सभी घरों में पानी की आपूर्ति के मामले में 100% कवरेज प्रदान करना है।
    • इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स और एंटरप्रेन्योर्स (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देना है।
  • उद्देश्य:
    • यह पानी की ज़रूरत को पूरा करने, जल निकायों को फिर से जीवंत करने, जलभृतों का बेहतर प्रबंधन, उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने के लिये अमृत मिशन की प्रगति सुनिश्चित करेगा, जिससे पानी की एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
    • यह 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का 100% कवरेज प्रदान करेगा।
    • उपचारित अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग से शहरों की कुल पानी की ज़रूरत का 20% तथा औद्योगिक मांग का 40% पूरा होने की उम्मीद है। मिशन के तहत प्राकृतिक संसाधनों का टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करने के लिये स्वच्छ जल निकायों को प्रदूषित होने से बचाया जाएगा।
    • जल के समान वितरण, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग और जल निकायों के मानचित्रण का पता लगाने के लिये शहरों में पेयजल सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • अमृत मिशन के पहले चरण का प्रदर्शन:
    • अमृत मिशन के तहत ​​शहरों में 1.14 करोड़ नल कनेक्शन के साथ कुल 4.14 करोड़ कनेक्शन किये गए हैं। 
    • 470 शहरों में क्रेडिट रेटिंग का काम पूरा हो चुका है। इनमें से 164 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग (IGR) प्राप्त हुई है, जिसमें 36 शहर A- या उससे ऊपर की रेटिंग वाले हैं।
    • 10 ULB ने म्युनिसिपल बॉण्ड के ज़रिये 3,840 करोड़ रुपए जुटाए हैं। ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली को 455 अमृत शहरों सहित 2,471 शहरों में लागू किया गया है।
    • इस सुधार से वर्ष 2018 की विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट (डीबीआर) की भारतीय रैंकिंग 181 रैंक से वर्ष 2020 में 27 हो गई।
    • 89 लाख पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों को ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटों से बदल दिया गया है, जिससे प्रतिवर्ष 195 करोड़ यूनिट की अनुमानित ऊर्जा बचत और CO2 उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 15.6 लाख टन की कमी आई है।

स्रोत: पीआईबी